शुक्रवार, 12 सितंबर 2014

दांत की क्विकफिक्स रिपेयर

जी हां, दांत की क्विकफिक्स रिपेयर भी होती है.....लेकिन इस में क्विकफिक्स या फेवीक्विक का कोई कमाल नहीं है, यह कमाल तो है आज की तारीख में उपलब्ध बेहतरीन मैटीरियलज़ (materials) का जो एक तो दांतों के साथ बिल्कुल मैच करते हुए विभिन्न शेड में आते हैं और दूसरा इस तरह के मैटिरियल आने लगे हैं जो दांतों के साथ बिल्कुल एकदम एक ही हो जाते हैं......दांतों के साथ इस तरह से बांडिंग कर लेते हैं कि आप कुछ भी खाएं-पिएं यह बंधन नहीं टूटता।

अच्छा, एक उदाहरण के ज़रिये अपनी बात कहता हूं.........यह तस्वीर एक १८-१९ साल के युवक की है, चार पांच रोज़ मेरे पास आया था.....आप उस के अगले दांत की हालत देख रहे हैं ना.....यह दांत दंत-क्षय की वजह से पूरी तरह से सड़ चुका है लेकिन इसे इस में दर्द कभी भी नहीं हुई.....शायद कुछ कह तो रहा था कि पांच छः वर्ष पहले एक बार थोड़ी दर्द हुई थी।

चाहे उसे दर्द हुई या नहीं, लेकिन दांत की अवस्था देखने पर ही पता चलता है कि उस की आरसीटी..रूट कैनाल ट्रीटमैंट---होना ज़रूरी है और उस के बाद उस पर कैप आदि का लगवाना ज़रूरी लगता है। दांत को उखड़वाने की कोई ज़रूरत नहीं। मैंने उसे समझाया तो कहने लगा कि वह तो उसे पता है, वह तो बाद में वह करवा ही लेगा लेकिन इस समय उसे किसी विशेष इंटरव्यू और एक विशेष कार्यक्रम में जाना है, इसलिए वह इस तरह के दांत के साथ जा नहीं सकता, इसलिए इस भद्दे से दांत का कुछ कर दें।

मैं हमेशा हर मरीज़ को पूरा और सही इलाज करवाने के लिए ही प्रेरित करता हूं लेकिन इस लड़के की आवाज़ में इतनी बेबसी सी लगी कि मैंने सोचा चलो इस का कुछ जुगाड़ करते हैं।

आधुनिक डैंटिस्ट्री.... इस दांत को ठीक करने में मेरा कोई विशेष योगदान नहीं है......आज कल डैंटल मैटिरियल ही इतने इतने अच्छे उपलब्ध होने लगे हैं.....हमारे अस्पताल में हम बढ़िया विदेशी किस्म के ही मैटिरियल इस्तेमाल करते हैं.....अब मुझे पता नहीं कि हिंदोस्तान में इस तरह के मैटिरियल क्यों नहीं तैयार हो सकते.....बस, जो भी है, मुझे विदेशी और अच्छी कंपनियों के मैटिरियल पर ही भरोसा है क्योंकि बरसों बरसों तक इन मैटिरियल ने लोगों के मुंह में रहना होता है, हर तरह के तापमान और हर तरह के ऐसिडिक, तीखी, नमकीन ...कुछ भी चीज़ को सहना होता है ...इसलिए मैं हमेशा ही से पिछले ३० वर्षों से सब से बढ़िया मैटिरियल ही इस्तेमाल करता हूं..

प्रमाण इस का तब मिलता है जब मुझे मेरे नेटिव प्लेस में कोई कहता है कि डा साहब, यह फिलिंग जो आपने की थी, पच्चीस साल पहले वह तो वैसी की वैसी है, या जब मैं अपने बड़े भाई के दांतों पर २५ वर्ष पहले की हुई फिलिंग देखता हूं तो अच्छा लगता है...अभी दो दिन पहले जब मुझे एक सहपाठिन ने व्हाटस-एप पर बताया कि उस के पति मुझे १६-१७ वर्ष तक याद करते रहे ...जब तक उन के मुंह में मेरे द्वारा की हुई फिलिंग टिकी रही......यह एक मुश्किल तरह की फिलिंग थी, जो अगर ध्यान से ....या मन लगा के न करो तो कुछ ही महीनों में या तो गिर जाती है या फिर आसपास के मसूड़े में सूजन पैदा कर देती है। लेकिन मैं यहां यह क्यों लिख रहा हूं.......अपनी तारीफ़ करने से बाज़ नहीं आता मैं भी...  Self praise has no recommendation! ... अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने वाली बात ही तो है यह भी।

एक बात और भी है ना कि आखिर क्यों न करें अपना काम मन लगा के, अच्छे से काम करना चाहिए ...अपना पूरी क्षमता लगा कर। किसी को भी देखें हर वह आदमी जो अपने धंधे को ईमानदारी से करता है, उस के काम में ईश्वर कृपा से निखार आने लगता है।

हां तो बात उस ऊपर वाले युवक की हो रही थी......सरकारी अस्पताल में काम करते हुए मेरे लिए कोई मुश्किल काम नहीं था उसे कहना कि नहीं, नहीं, काम तो तुम्हें पूरा ढंग से ही करवाना होगा।

जुगाड़बाजी........लेकिन फिर जब मैंने उस की जगह पर अपने को खड़ा कर के देखा तो मुझे लगा कि इस का जुगाड़ तो कर ही देना चाहिए....ये कुछ दिन के लिए बाहर तो जा ही रहा है, और अगर कुछ करवाए बिना भी गया तो वहां से लौटने के बाद इस के दांत का यह हिस्सा भी नहीं बचेगा......अवश्य टूट जायेगा। वैसे तो यह देश ही सारा जुगाड़बाजी पर चल रहा है ....।

जुगाड़ ठीक ठाक ही तो लग रहा है... 
यही सोच कर मैंने उस के दांत का इस तरह का जुगाड़ कर दिया  ...आईने में देख कर उस की तो बांछें खिल गईं.....मुझे भी खुशी हुई..लेकिन मैंने उसे समझा दिया कि यह केवल जुगाड़ है, तुम्हें लौट कर पूरा इलाज करवाना होगा.....वह समझ गया।

बहरहाल, यह जुगाड़ कितना समय चलेगा, चलेगा तो खूब लेकिन पूरी आरसीटी तो करवानी ही होगी.. वरना कभी भी दर्द तो हो ही सकता है। यह तो केवल उस युवक की फरमाईश पर कर दिया था। अब आप सोच रहे होंगे कि मैंने तो रिपेयर का अच्छा जुगाड़ कर दिया और अगर यह वापिस ही न आया तो........ नहीं आए तो नहीं आए, सरकारी अस्पताल है, लेकिन ऐसा नहीं, मैं चाहता हूं कि वापिस आए और उस का काम मैं ढंग से पूरा करूं.......इसीलिए शायद आप नोटिस करेंगे कि मैंने इस जुगाड़ को भी इतना परफैक्ट भी नहीं बनाया कि वह सही इलाज करवाने के लिए लौटे ही ना........आप इस जुगाड़ को साथ वाले स्वस्थ दांत से कम्पेयर कर के देखेंगे कि इस की बनावट में बिल्कुल थोड़ी सी कमी इसीलिए रख छोड़ी है।

मैटिरियल कौन से इस्तेमाल किए हैं..........एक तो लाइट-क्यूर कंपोज़िट और दूसरा ग्लॉस-ऑयोनोमर सीमेंट.....मुश्किल नाम हैं ना, मुझे भी पच्चीस साल पहले बहुत मुश्किल जान पड़ते थे, लेकिन इस से आप को क्या, बस मैंने तो ऐसे ही अपने ट्रेड-सीक्रेट आप के सामने खोल दिए.....

क्या आपने अपने दांतों को समय रहते रिपेयर करवा लिया है, अगर नहीं, तो अपने दंत चिकित्सक से शीघ्र ही संपर्क करिएगा।

दांतों और मैटिरियल का इतना बढ़िया जोड़--बंधन देख कर यह गीत याद आ गया....

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