कल हम लोग घर के पास ही एक सब्जी मंडी में थे....मैंने देखा कि किस तरह से वहां बाज़ार में पनीर बिक रहा था....१४० रूपये का एक किलो।
लखनऊ की सब्जी मंडियों में अब पनीर ऐसे बिकने लगा है |
आप के शहर में भी इस तरह से पनीर तो बिकता ही होगा। ऐसा नहीं है कि इस तरह से बिकने वाला पनीर ही खराब है या इस के ही मिलावटी दूध से बने होने की आशंका होती है।
मेरे को तो एक बात ही हमेशा परेशान करती है कि दूध तो बाज़ार में ढंग का दिखता नहीं....फिर इतना सारा पनीर कहां से तैयार हो कर बिकने लगता है। है ना सोचने वाली बात। मिलावटी पनीर के बारे में हम लोग अकसर मीडिया में पढ़ते, देखते-सुनते रहते हैं। खराब पनीर मिलावटी दूध से तैयार तो होता ही है, इस को तैयार करने के लिए किस किस तरह के हानिकारक कैमीकल इस्तेमाल होते हैं, यह भी अकसर मीडिया में दिखता रहता है।
दो दिन पहले मेरी पत्नी बता रही थीं कि इधर लखनऊ में एक प्रसिद्ध ब्रॉंड है दूध का ...इस कंपनी का पनीर भी खुले में बिकता है....उन्होंने कंपनी की थैली में तो डाला होता है लेकिन ऊपर से खुला होता है..
यह भी कल की ही तस्वीर है.. |
बाहर का पनीर खाया ही नहीं जाता....कईं बार तो बिल्कुल रबड़ जैसा लगता था। इसलिए शायद १०-१५ वर्षों से न तो हम बाज़ार का खुला पनीर लाये हैं (चाहे वह बड़ी बड़ी डेयरीयों में बिकता हो) और न ही हम लोगों ने बाहर कभी किसी पार्टी में या कोई रेस्टरां में पनीर की कोई भी आटइम खाई है। इच्छा ही नहीं होती......कौन इन की क्वालिटी चैक करता होगा....जिस देश मेें ऐंटीबॉयोटिक दवाईयों में चूहे मारने की दवा भरी पड़ी हो, वहां पर मिलावटी पनीर की सुध लेने की किसे फुर्सत है!
मैं तो अकसर अपने संपर्क में आने वाले लोगों को भी यही कहता हूं कि अगर बाज़ार में खुले में बिक रहा पनीर ही खाना है तो इस से बेहतर है कि आप इसे इस्तेमाल ही न करिए, हो सके तो घर ही में तैयार किये हुए पनीर की ही सब्जी खाइए।
अब आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं कि जिस तरह का पनीर कल मैंने बिकते देखा ...वह किस स्तर का होगा, देखिए वह दाम तो पूरे ले रहा है, लेकिन मुझे यही भय रहता है कि ऐसे खोमचे वाले कहीं पनीर की जगह बीमारियां ही तो नहीं परोस रहे।
लिखते लिखते अचानक ध्यान आ गया....पता नहीं मैंने कहां देखा था, शायद हरियाणा में वहां यह रवायत है कि लोग कच्चा पनीर बाज़ार में लेकर उस पर नमक-मसाला लगा कर अकसर खाते दिख जाते हैं..बस, यह ऐसे ही याद आया तो लिख दिया।
होटल, ब्याह शादी में खाए पनीर से अनुभव बड़े कटु रहे हैं......सुबह होते ही पेट पकड़ कर बार बार बाथरूम भागने का दौर........इसलिए अब लगभग १२-१५ वर्षों से इस झंझट में पड़ते ही नहीं......किसी भी पार्टी में बस दाल चावल बहुत सुख देते हैं। आप का क्या ख्याल है? .... सही है बात ..गोलमाल है भाई सब गोलमाल है!!
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