स्वपनदोष एवं वीर्य पतन से संबंधित पिछली पोस्ट से आगे पढ़िए....
क्या स्वपनदोष के लिए किसी उपचार की आवश्यकता होती है ?
स्वपनदोष पूर्णरूप से नैसर्गिक है। इसके लिए किसी भी उपचार या दवाईयों की जरूरत नहीं है। वयस्क अवस्था में स्वपनदोष बार-बार हो सकता है, क्योंकि इस आयु में शरीर में विभिन्न शारीरिक व मनोवैज्ञानिक परिवर्तन होते हैं। कभी-कभी उत्तेजित करने वाले स्वपनों के दौरान किसी से लैंगिक संबंध रखने की कल्पना पुरूषों में आती है, जिसके परिणामस्वरूप स्वपनदोष होता है। स्वपनदोष से मन में अपराधभाव निर्मित होता है। यदि यह बार-बार हुआ तो अपराधभावना बढ़ती जाती है और मानसिक दुर्बलता की अवस्था आ जाती है। इस स्थिति से बचने के लिए योग्य मार्गदर्शन लेना आवश्यक होता है। किसी भी दवाई या इलाज की आवश्यकता नहीं होती है और ऐसी कोई दवा उपलब्ध भी नहीं है।
स्वपनदोष को रोकने के लिए क्या कोई दवाईयां हैं ?
स्वपनदोष, कामभावना पूर्ण करने की एक नैसर्गिक क्रिया है। स्वपनदोष रोकने के लिए किसी भी तरह के इलाज या दवा की आवश्यकता नहीं है, और ये उपलब्ध भी नहीं हैं।
क्या नियमित व्यायाम का स्वपनदोष पर कुछ प्रभाव पड़ता है ?
व्यायाम का स्वपनदोष से कोई सीधा संबंध नहीं है। ये दोनों भिन्न क्रियाएं हैं। व्यायाम के कारण स्वपनदोष अधिक होता है या कम होता है, ये सब गलतफहमी फैलाने वाली धारणाएं हैं। इस के विपरीत नियमित व्यायाम करने से युवकों में स्वपनदोष से ध्यान हटाने में मदद ही मिलती है और उनका आत्मविश्वास बढ़ता है, साथ ही मानसिक तनाव भी कम होता है। अतः कभी-कभी, इन दो क्रियाओं के मध्य परस्पर सम्बंध प्रतीत होता है।
क्या स्वपनदोष का बौद्धिक क्षमता पर कोई असर होता है ?
स्वपनदोष एक नैसर्गिक क्रिया है। स्वपनदोष का बौद्धिक क्षमता पर कोई असर नहीं होता है। यद्यपि अपराध भाव के कारण, मानसिक एकाग्रता कम हो जाती है। बुद्धि कम हो गई है, ऐसा लगता है। यह मानसिक दुर्बलता भी योग्य मार्गदर्शन से ठीक की जा सकती है।
बार-बार स्वपनदोष होने से गुप्तरोग या एड्स हो सकता है क्या ?
नहीं। गुप्तरोग और एड्स, संभोग के द्वारा, एक ग्रसित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति मैं फैलने वाले रोग हैं, इनका स्वपनदोष से कोई संबंध नहीं है। बार-बार स्वपनदोष होने से, गुप्तरोग या एड्स जैसा कोई रोग नहीं होता है।
क्या बार-बार स्वपनदोष होने का प्रजनन क्षमता पर या नवजात शिशु पर कुछ बुरा असर पड़ता है?
नहीं। बार-बार स्वपनदोष होने से भविष्य में संतान पर या संतान उत्पन्न करने की क्षमता पर, किसी भी प्रकार का विपरीत परिणाम नहीं होता है। जहां तक शरीर से वीर्य के निकलने का प्रश्न है, बार-बार स्वपनदोष और बार-बार संभोग, इन दोनों ही क्रियाओं में वीर्यपतन होता है। अतः इस भ्रम के पीछे कोई तथ्य नहीं है।
स्वपनदोष होना अच्छा है या बुरा ?
स्वपनदोष पूर्णतया एक नैसर्गिक प्रक्रिया है। मन में उठने वाली लैंगिक भावनाओं को तृप्त करके मानसिक शान्ति देने का यह एक प्राकृतिक तरीका है। इसका शरीर पर कोई बुरा परिणाम नहीं होता है। स्वपनदोष होने पर किसी को अपराध भाव होने का कोई कारण नहीं है। स्वपनदोष अच्छा है या बुरा, यह नहीं सोचना चाहिए।
Source: पुस्तक "यौवन की दहलीज पर" .. unicef publication ...लेखक डा प्रकाश भातलवंडे डा रमण गंगाखेडकर
क्या स्वपनदोष का बौद्धिक क्षमता पर कोई असर होता है ?
स्वपनदोष एक नैसर्गिक क्रिया है। स्वपनदोष का बौद्धिक क्षमता पर कोई असर नहीं होता है। यद्यपि अपराध भाव के कारण, मानसिक एकाग्रता कम हो जाती है। बुद्धि कम हो गई है, ऐसा लगता है। यह मानसिक दुर्बलता भी योग्य मार्गदर्शन से ठीक की जा सकती है।
बार-बार स्वपनदोष होने से गुप्तरोग या एड्स हो सकता है क्या ?
नहीं। गुप्तरोग और एड्स, संभोग के द्वारा, एक ग्रसित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति मैं फैलने वाले रोग हैं, इनका स्वपनदोष से कोई संबंध नहीं है। बार-बार स्वपनदोष होने से, गुप्तरोग या एड्स जैसा कोई रोग नहीं होता है।
क्या बार-बार स्वपनदोष होने का प्रजनन क्षमता पर या नवजात शिशु पर कुछ बुरा असर पड़ता है?
नहीं। बार-बार स्वपनदोष होने से भविष्य में संतान पर या संतान उत्पन्न करने की क्षमता पर, किसी भी प्रकार का विपरीत परिणाम नहीं होता है। जहां तक शरीर से वीर्य के निकलने का प्रश्न है, बार-बार स्वपनदोष और बार-बार संभोग, इन दोनों ही क्रियाओं में वीर्यपतन होता है। अतः इस भ्रम के पीछे कोई तथ्य नहीं है।
स्वपनदोष होना अच्छा है या बुरा ?
स्वपनदोष पूर्णतया एक नैसर्गिक प्रक्रिया है। मन में उठने वाली लैंगिक भावनाओं को तृप्त करके मानसिक शान्ति देने का यह एक प्राकृतिक तरीका है। इसका शरीर पर कोई बुरा परिणाम नहीं होता है। स्वपनदोष होने पर किसी को अपराध भाव होने का कोई कारण नहीं है। स्वपनदोष अच्छा है या बुरा, यह नहीं सोचना चाहिए।
Source: पुस्तक "यौवन की दहलीज पर" .. unicef publication ...लेखक डा प्रकाश भातलवंडे डा रमण गंगाखेडकर