सोमवार, 9 मई 2011

गुप्त रोगों के लिये नेट पर बिकने वाली दवाईयां

बचपन में स्कूल आते जाते देखा करते थे कि दीवारों पर अजीबो-गरीब विज्ञापन लिखे रहते थे....गुप्त-रोगों का शर्तिया इलाज, गुप्त रोग जड़ से खत्म, बचपन की गल्तियों की वजह से खोई ताकत हासिल करने के लिये आज ही मिलें, और फिर कुछ अरसे बाद समाचार-पत्रों में विज्ञापन दिखने शुरू हो गये इन ताकत के बादशाहों के जो ताकत बेचने का व्यापार करते हैं।

इस में तो कोई शक नहीं कि ये सब नीम हकीम भोली भाली कम पढ़-लिखी जनता को कईं दशकों से बेवकूफ बनाए जा रहे हैं....बात केवल बेवकूफ बनाए जाने तक ही सीमित रहती तो बात थी लेकिन ये लालची इंसान जिन का मैडीकल साईंस से कुछ भी लेना देना नहीं है, ये आज के युवाओं को गुमराह किये जा रहे हैं, अपनी सेहत के बारे में बिना वजह तरह तरह के भ्रमों में उलझे युवाओं को भ्रमजाल की दलदल में धकेल रहे हैं...... और इन का धंधा दिनप्रतिदिन बढ़ता जा रहा है ...अब इन नीमहकीमों ने बड़े बड़े शहरों में होटलों के कमरे किराये पर ले रखे हैं जहां पर जाकर ये किसी निश्चित दिन मरीज़ों को देखते हैं।

यह जो कुछ भी ऊपर लिखा है, इस से आप सब पाठक भली भांति परिचित हैं, है कि नहीं ? ठीक है, आप यह सब पहले ही से जानते हैं और अकसर जब हम यह सब देखते, पढ़ते, सुनते हैं तो यही सोचते हैं कि अनपढ़ किस्म के लोग ही इन तरह के नीमहकीमों के शिकार होते होंगें.....लेकिन ऐसा नहीं है।

हर जगह की, हर दौर की अपनी अलग तरह की समस्याएं हैं..... अमेरिकी साइट है –फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (Food and Drug Administration) ..कल जब मैं उस साइट को देख रहा था तो अचानक मेरी नज़र एक आर्टिकल पर रूक गई। एफडीआई द्वारा इस लेख के द्वारा लोगों को कुछ पंद्रह तरह के ऐसे उत्पादों के बारे में चेतावनी दी गई है जो गल्त क्लेम करती हैं कि वे यौन-संक्रमित रोगों (sexually-transmitted diseases –STDs--- हिंदोस्तानी भाषा में कहें तो गुप्त रोग) से बचाव करती हैं एवं इन का इलाज करने में सक्षम हैं। इस के साथ ही एक विशेषज्ञ का साक्षात्कार भी था।

आम जनता को चेतावनी दी गई है कि ऐसी कोई भी दवाई नहीं बनी जिसे कोई व्यक्ति अपने आप ही किसी दवाई से दुकान से खरीद ले (over-the-counter pills) अथवा इंटरनेट से खरीद ले और यौन-संक्रमित से बचा रह सके और इन रोगों का इलाज भी अपने आप कर सके। ये जिन दवाईयों अथवा फूड-सप्लीमैंट्स के बारे में यह चेतावनी जारी की गई है, उन के बारे में भी यही कहा गया है कि इन दवाईयों के किसी भी दावे को एफडीआई द्वारा जांचा नहीं गया है।

यौन-संक्रमित रोग होने की हालत में किसी सुशिक्षित विशेषज्ञ से परामर्श लेना ही होगा और अकसर उस की सलाह अनुसार दवा लेने से सब कुछ ठीक ठाक हो जाता है लेकिन ये देसी ठग या इंटरनेट पर बैठे ठग बीमारी को ठीक होना तो दूर उस को और बढ़ाने से नहीं चूकते, साथ ही साथ चूंकि दवाई खाने वाले को लगता है कि वह तो अब दवाई खा ही रहा है (चाहे इलाज से इस तरह की दवाईयों को कोई लेना देना नहीं होता) इसलिये इस तरह की यौन-संक्रमित रोग उसके सैक्सुयल पार्टनर में भी फैल जाते हैं।

आज की युवा पीढ़ी पढ़ी लिखी है, सब कुछ जानती है, अपने शरीर के बारे में सचेत हैं लेकिन इंटरनेट पर बैठे ठग भी बड़े शातिर किस्म के हैं, इन्हें हर आयुवर्ग की कमज़ोरियों को अच्छे से जानते हैं ....अकसर नेट पर कुछ प्रॉप-अप विज्ञापन आते रहते हैं –दो दिन पहले ही कुछ ऐसा विज्ञापन दिखा कि आप अपने घर की प्राइवेसी से ही पर्सनल वस्तुएं जैसे की कंडोम आदि आर्डर कर सकते हैं ताकि आप को मार्कीट में जाकर कोई झिझक महसूस न हो। चलिए, यह तो एक अलग बात थी लेकिन अगर तरह तरह की बीमारियों के लिये (शायद इन में से बहुत सी काल्पनिक ही हों) स्वयं ही नेट पर दवाई खरीदने का ट्रेंड चल पड़ेगा तो इंटरनेट ठगों की तो बांछें खिल जाएंगी ........ध्यान रहे कि इन के जाल में कभी न फंसा जाए क्योंकि आज हरेक को प्राईव्हेसी चाहिए और यह बात ये इंटरनेट ठग अच्छी तरह से जानते हैं।

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बुधवार, 4 मई 2011

यह कैसा स्मोकिंग बैन हुआ!

आज पता चला कि चीन में जितने स्मोकर हैं उतने किसी देश में भी नहीं.... थोड़ा सा इत्मीनान हुआ कि चलो इस काम में तो हम अभी पीछे हैं। हां, तो खबर थी कि चीन में स्मोकिंग पर बैन तो लग गया है लेकिन स्मोकिंग करने वाले को किसी दंड की बात नहीं कही गई है।

और एक बात, स्मोकिंग को रेस्टरां, होटलों, पब्लिक जगहों पर तो बैन किया गया है (वह भी बिना किसी दंड के!!) लेकिन दफ्तरों में ऐसा कोई बैन नहीं लगाया गया है। बड़ी हैरानी सी हुई यह पढ़ कर ...और अगर बीबीसी साइट पर यह लिखा है तो खबर विश्वसनीय तो है ही।
  
The new rules prohibit smoking in places like restaurants, hotels, railway stations or theatres, but not at the office.    ......BBC Story... China Ban on Smoking in Public Places
यह खबर पढ़ कर इत्मीनान तो आप को भी होगा कि चलिये कुछ भी हो, कुछ स्मोकिंग करने वाले लोग ढीठ किस्म के हों, हट्ठी हों, अड़ियल हो, गुस्सैल हों, और चाहे अक्खड़ ही क्यों न हों, जिन्हें आप अपनी जान की सलामती की परवाह किये बिना स्मोकिंग न करने का मशविरा देने की हिम्मत न जुटा पाते हों, लेकिन एक बढ़िया सा कानून तो है जिस के अंतर्गत ज़ुर्माने आदि का प्रावधान तो है, इस से ज़्यादा जानकारी इस कानून के नुकीले दांतों के बारे में मुझे भी नहीं है।

बीबीसी की इस स्टोरी में यह भी लिखा है कि किस तरह चीन के लोग स्मोकिंग के दुष्परिणामों से अनभिज्ञ हैं, वैसे यह बड़ी ताजुब्ब की बात है कि रेस्टरां, होटल में कोई खाना खा रहा है तो साथ वाले टेबल पर कोई सिगरेट फूंके जा रहा है जिस का धूंआ आप को परेशान कर रहा है। कम से कम मुझे यह सब भारत में तो देखने को नहीं मिलता। और वहां चीन में रेस्टरां वालों का कहना है कि वे किसी को सिगरेट सुलगाने के लिये मना भी नहीं कर सकते क्योंकि लोग बुरा मान जाते हैं।

और एक मजबूरी चीन में यह है कि वहां पर सिगरेटों का सारा धंधा एक सरकारी कंपनी के ही पास है जिससे सरकार को बेशुमार फायदा होता है .....अब समझ में बात आई कि स्मोकिंग का कानून तो बन गया है लेकिन दंड का प्रावधान नहीं है।

लेकिन सोच रहा हूं कि इस खबर से मैं क्यों इतना इतरा रहा हूं ...अगर हमारे यहां पर पब्लिक जगहों पर स्मोकिंग करने पर बैन है और इस के लिये जुर्माने आदि का भी प्रावधान है और शायद कुछ दंड का भी ...देखिये मेरा जी.के कितना खराब है, कि कानून का ठीक से पता ही नहीं है, कुछ लिखा तो होता है अकसर इन सार्वजनिक जगहों पर जहां कुछ बीड़ीबाजों के सिर के ऊपर एक तख्ती सी टंगी तो रहती है कि यहां धूम्रपान करने पर इतने रूपये का जुर्माना लगाया जायेगा और ,...........कुछ ध्यान में आ नहीं रहा। लेकिन इन लोगों को स्मोकिंग करने से रोकने के कुछ अपने अनुभव मैं अपने पुराने लेखों में लिख चुका हूं।

अब मैंने तो स्मोकिंग के विरूद्ध जंग का एक नया रास्ता अपना लिया है, अपने मरीज़ों को तो बीडी-सिगरेट-तंबाकू के खिलाफ़ बताता ही हूं लेकिन उस के मन में यह भी अच्छी तरह से डाल देता हूं कि काम करने वाली जगह पर जो तुम्हारा साथी बीड़ी फूंकता रहता है वह भी तुम्हारे लिये बड़ी नुकसानदायाक है, नुकसान केवल कश खींचने वाले तक ही महदूद नहीं है, यह धुआं जिधर भी जायेगा बीमारी ही पैदा करेगा।

इस लेख को समाप्त करते वक्त उस गीत का ध्यान आ गया .......अल्ला करम करना......



हुक्का पार्लर का नशा .... दम मारो दम !

आज एक युवक ने मेरे से पूछा कि यह जो शहर में हुक्का-ज्वाईंट खुला है, उसके बारे में मेरा क्या ख्याल है। मैं बड़ा हैरान हुआ यह सुन कर कि हमारे जैसे छोटे शहर में भी यह खुल गया है, विदेशों में और महानगरों में तो सुना था कि इस तरह के पार्लर खुल गये हैं, लेकिन छोटे छोटे शहरों में भी अब यह सब !!

वह युवक मुझे बता रहा था कि यह ज्वाईंट आजकल कालेज के छात्र-छात्राओं में पापुलर होने लगे हैं। उस ने यह भी बताया कि अकसर ऐसी जगहों पर जाने वालों का कहना है कि इस तरह का “मीठा हुक्का” गुड़गड़ाने से कुछ नहीं होता, इस का कोई नुकसान नहीं है।

कालेज की उम्र होती ही नई नई चीज़ों को ट्राई करने के लिये है ...ऐसे में इस तरह के हुक्का पार्लर खुलना अपने आप में खतरे का संकेत है। और जहां तक हुक्का पीने की बात है, तंबाकू तो है ही जिसे पिये जा रहा है, तो फिर ज़हर तो ज़हर है ही ....इस में कोई दो राय हो ही नहीं सकती।

Planning to bunk classes to gang up at a hookah parlour?

मुझे तो यकीन है कि ऐसे पार्लर खोलने के पीछे युवकों को तंबाकू की लत लगाने की साज़िश है, जिन युवकों की ज़िंदगी तंबाकू के बिना सीधी लाइन पर चल रही है, क्यों उन की ज़िंदगी में ज़हर घोलने का षड़यंत्र रचा जा रहा है। कुछ ही दिन ये हुक्का-वुक्का गुड़गुड़ाने के बाद ऐसा हो ही नहीं सकता कि उन्हीं युवकों के हाथ में सिगरेट न हों, जब कि हमें पता ही है कि सिगरेट की लत लगाने के लिये मज़ाक मज़ाक में केवल एक सिगरेट पिया जाना ही काफ़ी है।

उस युवक ने कहा कि यह जो हुक्का पीने के लिये सभी लोग एक ही पाइप का इस्तेमाल करते हैं, यह भी सेहत के लिये ठीक नहीं होगा, बिल्कुल यह भी सेहत के लिये खतरा है क्योंकि कितनी ही ऐसी बीमारियां हैं जिन के कीटाणु/विषाणु लार में मौजूद रहते हैं।

और इस तरह के पार्लरों को युवकों में लोकप्रिय करना कोई मुश्किल काम थोड़े ही है, इस तरह का धंधा करने वाले सभी तरह के हथकंडे अपनाने से कहां चूकने वाले हैं। इसलिये युवकों को ही इन सब से बच कर रहना होगा।

जब हम लोग पांचवी छठी कक्षा में पढ़ा करते थे तो हमारे स्कूल के पास एक दुकान हुआ करती थी जिस के आगे से निकलना बहुत मुश्किल सा लगा करता था ... भयानक बदबू निकला करती थी उस दुकान से.....धीरे धीरे पता चला कि उस दुकान पर तंबाकू बिका करता था, उन दिनों इतना यह सब पता नहीं होता था कि इस का लोग क्या करते हैं, लेकिन अब ध्यान आता है कि वह सूखे तथा गीले तंबाकू (Tobacco leaves, Moist tobacco) की दुकान थी जहां पत्थरों जैसे दिखने वाले काले जैसे रंग के गीले तंबाकू के बड़े बड़े ढेले पड़े रहते थे। इन्हें हुक्के में इस्तेमाल किया जाता होगा और सूखे तंबाकू की पत्तियों को चूने के साथ रगड़ के चबाया जाता होगा।


इन हुक्का पार्लरों से मन जब जल्दी ही युवकों का मन ऊब सा जाएगा तो शायद इस के आगे की स्टेज यह गीत दिखा रहा है .....


रविवार, 1 मई 2011

पतला करने वाले हर्बल जुगाड़..सावधान !

काफी समय से यह खबरें तो सुनने में आ ही रही हैं कि कुछ हर्बल दवाईयों में, या कुछ देसी दवाईयों में एलोपैथिक दवाईयों को डाल दिया जाता है जिस के बारे में पब्लिक को कुछ बताया नहीं जाता। इस का परिणाम यह होता है कि उस दवाई से कुछ अप्रत्याशित परिणाम निकलने से लोगों को नुकसान हो जाता है। इस पर मैंने पहले भी बहुत से लेख लिखे हैं।

अभी मैं बीबीसी की साइट पर यह न्यूज़-स्टोरी देख रहा था कि किस तरह से यूरोपीयन देशों में हर्बल दवाईयों पर शिकंजा कसा जा रहा है। अनेकों दवाईयां ऐसी बिक रही हैं जिन की प्रामाणिकता, जिन की सेफ्टी प्रोफाइल के बारे में कुछ पता ही नहीं ...इसलिये वहां पर कानून बहुत कड़े हो गये हैं।
New EU regulations on herbal medicines come into force....(BBC Health)

लेकिन भारत में क्या है, देसी दवाईयों की तो वैसे ही भरमार है, लेकिन जगह जगह पर मोटापा कम करने वाले कैप्सूल, हर्बल दवाईयों के इश्तिहार चटका कर भोली भाली जनता को बेवकूफ़ बनाया जा रहा है।

आज सुबह मैं टीवी पर देख रहा था कि एक हर्बल चाय का विज्ञापन दिखाया जा रहा था ... दो महीने के लिये 2000 रूपये  का कोर्स –मोटापा घटाने के लिये इसे रोज़ाना कईं बार पीने की सलाह दी जा रही थी। और विज्ञापन इतना लुभावना की मोटापे से परेशान कोई भी शख्स कर्ज़ लेकर भी इस खरीदने के लिये तैयार हो जाये।

मैं उस विज्ञापन को देखता रहा –बाद में जब उस में मौजूद पदार्थों की बात आई तो बहुत बढ़िया बढ़िया नाम गिना दिये गये ..जिन्हें सुन कर कोई भी प्रभावित हो जाए... और साथ में इस चाय में चीनी हर्बल औषधियों के डाले जाने की भी बात कही गई।

इस तरह के हर्बल प्रोडक्ट्स से अगर विकसित देशों के पढ़े लिखे लोग बच नही पाये तो इस देश में किसी को कुछ भी बेचना क्या मुश्किल काम है?
वजन कम करने वाली दवाईयों के बारे में चेतावनी 

बात केवल इतनी सोचने वाली है कि ऐसा क्या फार्मूला कंपनियों के हाथ लग गया कि इन्होंने एक चाय ही ऐसा बना डाली जिस से इतना वज़न कम हो जाता हो......मेरी खोजी पत्रकार जैसी सोच तो यही कहती है कि कुछ न कुछ तो लफड़ा तो होता ही होगा.....अगर सब कुछ हर्बल-वर्बल ही है तो इस देश में इतने महान् आयुर्वैदिक विशेषज्ञ हैं, वे क्यों इन के बारे में नहीं बोलते ....क्यों यह फार्मूला अभी तक रहस्य ही बना हुआ है?

पीछे भी कुछ रिपोर्टें आईं थीं कि मोटापे कम करने वाले कुछ उत्पादों में कुछ ऐसी एलोपैथिक दवाईयों की मिलावट पाई गई जिस से भयंकर शारीरिक परेशानियां इन्हें खाने वालों में हो गईं........तो फिर इस से सीख यही लें कि ऐसे ही हर्बल वर्बल का लेबल देख कर किसी तरह के झांसे में आने से पहले कम से कम किसी की सलाह ले लें, और अगर हो सके तो ऐसी हर्बल दवाई की लैब में जांच करवा लें, लेकिन क्या ऐसी जांच वांच करवाना सब के वश की बात है!!