गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

पीने वालों को पीने का बहाना चाहिये ..

अभी अभी बीबीसी की यह न्यूज़-स्टोरी दिख गई ...Alcohol in moderation can help prevent heart disease. अब इस तरह की रिपोर्टें नियमित दिखनी शुरू हो गई हैं .. इन्हें देख-पढ़ कर मुझे बहुत चिढ़ सी होती है क्योंकि इस तरह की खबरें देख-सुन कर फिर हमें मरीज़ों की कुछ ऐसी बातों का जवाब देने के लिये खासी माथापच्ची करनी पड़ती है।

इसी तरह की ख़बरें देखने के बाद ही लोग अकसर चिकित्सकों को कहना शुरू कर देते हैं ... डाक्टर साहब, आप लोग ही तो कहते हो कि थोड़ी बहुत ड्रिंक्स दिल की सेहत के लिये अच्छी होती है, फिर पीने में बुराई कहां है?


मुझे तो ऐसा लगने लगता है कि ये जो इस तरह की ख़बरें हमें दिखती हैं न ये सब के हाथ में (महिलाओं समेत) जाम थमाने की स़ाजिश है। आज जिस तरह से मीडिया ऐसी ख़बरों को उछालता है, ऐसे में ये बातें आम आदमी से छुपी नहीं रहतीं और वह समझता है कि उसे जैसे रोज़ाना जॉम छलकाने का  एक लाइसैंस ही मिल गया हो।

आप इस तरह की रिपोर्ट ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि कितनी कम मात्रा की की बात की जा रही है...और शायद दूर-देशों में शुद्धता आदि का इतना इश्यू होता नहीं होगा।

भारत में विषम समस्याएं हैं—देसी दारू, नकली शराब, ठर्रा ...आए दिन इन से होने वाली मौतों के बारे में देखते सुनते रहते हैं, इसलिये इस तरह की खबर किसे के हाथ पड़ने का क्या अंजाम हो सकता है, वह हम समझ ही सकते हैं।

रोज़ाना हम शराब से तबाह हुई ज़िदगींयां एवं परिवार देखते रहते हैं ... घटिया किस्म की दारू और साथ में नमक या प्याज़ या फिर आम के आचार के मसाले के साथ तो दारू पी जाती है, वहां पर तो दारू के शरीर पर होने वाले प्रभाव उजागर होते कहां देर लगती है, छोटी छोटी उम्र में लोगों को अपनी ज़िंदगी से हाथ धोना पड़ता है।

लेकिन इस का मतलब यह भी नहीं कि अंग्रेज़ी दारू सुरक्षित है--उस के भी नुकसान तो हैं ही, और माफ़ कीजियेगा लिखने के लिये सभी तरह की दारू--देसी हो या अंग्रेज़ी --  ज़िंदगींयां तो खा ही रही  है--गरीब आदमी की देसी ठेकों के बाहर नाली के किनारे गिरे हुये और रईस लोगों की बड़े बड़े अस्पतालों के बिस्तरों पर...लिवर खराब होने पर कईं कईं वर्ष लंबा, महंगा इलाज चलता है ....लेकिन अफ़सोस... !!  और एक लिवर ही तो नहीं जो दारू से खराब होता है !!

लेकिन एक बात जो इस तरह की रिसर्च के साथ विशेष तौर पर लिखी रहती है वह प्रशंसनीय है .... इस में लिखा है कि इस रिपोर्ट का यह मतलब नहीं कि जो दारू नहीं पीते, वे इसे थोड़ा थोड़ा लेना शुरू कर दें...नहीं नहीं ऐसा नहीं है, क्योंकि रोज़ाना दारू से होने वाले दिल के रोग से जिस बचाव की बात हो रही है, वह तो रोज़ाना शारीरिक श्रम करने से और संतुलित आहार लेने से भी संभव है.

तो फिर इस तरह की रिपोर्ट की हमारे देश के लिये क्या उपयोगिता है ... इस की केवल यही उपयोगिता है कि जो लोग सभी तरह की जुगाड़बाज़ी के बावजूद भी रोज़ाना बहुत मात्रा में अल्कोहल गटक जाते हैं वे शायद इस तरह की खबर से लाभ उठा पाएं। लेकिन मुझे ऐसा कुछ खास लगता नहीं ...क्योंकि पुरानी पी हुई दारू भी तो शरीर के अंदर अपना रंग दिखा ही चुकी होगी!

लेकिन फिर भी एक शुरूआत करने में क्या बुराई है ... अगर कोई एक बोतल से एक पैग पर आ जाए तो यह एक खुशख़वार बात तो है ही ....लेकिन सोचता हूं कि क्या यह कर पाना इतना आसान है ?  नहीं न, आप को लगता है कि यह इतना आसान नहीं है तो फिर क्यों न हमेशा के लिये इस ज़हर से दूर ही रहा जाए........ हां, अगर कोई इस रिपोर्ट को पढ़ कर डेली-ड्रिंकिंग को जस्टीफाई करे तो करे, कोई फिर क्या करे  ?
इसे भी देखियेगा ...
थोड़ी थोड़ी पिया करो ? 
Alcohol in moderation 'can help prevent heart disease' (BBC Story)




3 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी रपट डॉक्टर साहब
    पहले दारु राजा महाराजाओं तक ही सीमित थी।
    लोकतंत्र में आम आदमी राजा महाराजा है,
    इसलिए दारु का मजा डट के लिया जाता है।

    "एक पैग में बने सिपाही,दो मे थाणेदार।
    चढी एक बोतल तो,खुद घर की सरकार ।।"

    यो मन्ने एक रागनी सुणी थी :)

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  2. विडियो के लिये हार्दिक आभार
    पोस्ट के बारे में कुछ विचार नहीं आ रहा, क्षमा करें

    प्रणाम

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