शादी के बाद बच्चे पैदा करने की इतनी भी क्या जल्दी कि इस के लिये कुदरत के नियमों से डायरैक्ट पंगा ही लेलिया और एक ऐसा उपाय इस्तेमाल कर डाला कि शायद मेरी तरह आप ने भी इस जल्दबाजी के लिये इस तरह केइस्तेमाल की बात न सुनी होगी।
यह तो आप जानते ही हैं कि आई.वी.एफ अर्थात् in-vitro fertilization तकनीक आज कल खूब चल निकलीहै...इस तकनीक में शरीर से बाहर ही अंडे एवं शुक्राणु का मेल करवा कर उसे महिला के गर्भाशय में डाक्टर द्वारारख दिया जाता है। जिन दंपतियों में शादी के बाद विभिन्न कारणों की वजह से बच्चा होने में दिक्कत होती है उनमें पूरी जांच के बाद इस तरह की तकनीक इस्तेमाल की जाती है।
लेकिन मुझे तो दोस्तो आज पता चला कि इस तकनीक का इस्तेमाल अमेरिका की एक बेहद सुप्रसिद्ध विवाहितहस्ती ने इसलिये किया कि वह नार्मल तरीके से गर्भधारण की इंतज़ार के झंझट में नहीं पड़ना चाहती थी। इस केबारे में आज के इंगलिश न्यूज़-पेपर में एक ब्रीफ सी खबर छपी है।
उस खबर में बताया गया है कि उस हस्ती ने ऐसा इसलिये किया क्योंकि उस महिला को इस बात की बहुत हीजल्दी है कि जल्दी जल्दी ही उस के बहुत सारे बच्चे हो जाएं। और इस के लिये एक तो उस ने नैचुरल कंसैप्शन कीबजाए आई.व्ही.एफ का रास्ता चुना और यह रास्ता चुनने का दूसरा कारण यह भी है कि इस आई.व्ही.तकनीकद्वारा जुड़वा बच्चे होने का चांस नार्मल गर्भ-धारण की तुलना में 25 गुणा बढ़ जाता है। तो, फिर गुड-न्यूज़ यही हैकि उसे जुड़वा बच्चे पैदा हुये हैं।
वैसे तो हर किसी की अपनी लाइफ़ है, क्या परिस्थितियां हैं, हम लोग कैसे कोई टिप्पणी कर सकते हैं, लेकिन वोब्लागर ही क्या जो बिना-वजह टिप्पणी देने से बाज आ जाए। तो, मुझे तो भई यही लगता है कि यह तो कुदरत केनियमों के साथ बिलकुल डायरैक्ट पंगा है कि अब लोगों की बेताबी इतनी बढ़ गई है कि नार्मल कंसैप्शन का भीइंतज़ार इन्हें गवारा नहीं है।
एक बात और भी है ना ....उस छोटी सी खबर में यह भी बताया गया है कि उस हस्ती ने इस तकनीक के लिये 12 हज़ार डालर खर्च किये हैं.......सोच रहा हूं कि जब कोई बड़ी हस्ती इस तरह की तकनीक का सहारा ( केवलजल्दबाजी के लिये ही !!....... well, that is what is written in that snippet and let’s believe it ! ) लेती हैतो कईं बार दुनिया को इस का गलत मैसेज मिलता है.....कहीं यह भी कोई फैशन-फैड ही ना बन जाए कि कौननार्मल-कंसैप्शन के चक्कर में पड़े, पता नहीं कितने साईकल्ज़ व्यर्थ ही निकल जाएं.......अब अगर लोगों की सोचइस तरफ हो जायेगी कि नहीं, भई , हमें तो तुरंत रिज़ल्ट चाहिये.....तो फिर वही बात हो गई कि फास्ट-फूड ज्वाईंटसे कुछ भी लेकर खाने वाला कैसे चूल्हे-चौके में चक्कर में पड़े।
वैसे सोच रहा हूं कि अगर किसी हस्ती ने इस तरह की तकनीक का सहारा लिया भी है तो उसे मीडिया द्वारा इतनातूल क्यों दिया जाता है..........पता है क्यों ?..... ताकि हम हिंदी ब्लागरों को भी पता चलता रहे कि दुनिया में क्याक्या चल रहा है, दुनिया कितनी आगे निकल चुकी है और किस कदर हम लोग मदर-नेचर से जबरदस्त पंगे लियेजा रहे हैं और फिर उसे ही कोसने लगते हैं।
यह तो आप जानते ही हैं कि आई.वी.एफ अर्थात् in-vitro fertilization तकनीक आज कल खूब चल निकलीहै...इस तकनीक में शरीर से बाहर ही अंडे एवं शुक्राणु का मेल करवा कर उसे महिला के गर्भाशय में डाक्टर द्वारारख दिया जाता है। जिन दंपतियों में शादी के बाद विभिन्न कारणों की वजह से बच्चा होने में दिक्कत होती है उनमें पूरी जांच के बाद इस तरह की तकनीक इस्तेमाल की जाती है।
लेकिन मुझे तो दोस्तो आज पता चला कि इस तकनीक का इस्तेमाल अमेरिका की एक बेहद सुप्रसिद्ध विवाहितहस्ती ने इसलिये किया कि वह नार्मल तरीके से गर्भधारण की इंतज़ार के झंझट में नहीं पड़ना चाहती थी। इस केबारे में आज के इंगलिश न्यूज़-पेपर में एक ब्रीफ सी खबर छपी है।
उस खबर में बताया गया है कि उस हस्ती ने ऐसा इसलिये किया क्योंकि उस महिला को इस बात की बहुत हीजल्दी है कि जल्दी जल्दी ही उस के बहुत सारे बच्चे हो जाएं। और इस के लिये एक तो उस ने नैचुरल कंसैप्शन कीबजाए आई.व्ही.एफ का रास्ता चुना और यह रास्ता चुनने का दूसरा कारण यह भी है कि इस आई.व्ही.तकनीकद्वारा जुड़वा बच्चे होने का चांस नार्मल गर्भ-धारण की तुलना में 25 गुणा बढ़ जाता है। तो, फिर गुड-न्यूज़ यही हैकि उसे जुड़वा बच्चे पैदा हुये हैं।
वैसे तो हर किसी की अपनी लाइफ़ है, क्या परिस्थितियां हैं, हम लोग कैसे कोई टिप्पणी कर सकते हैं, लेकिन वोब्लागर ही क्या जो बिना-वजह टिप्पणी देने से बाज आ जाए। तो, मुझे तो भई यही लगता है कि यह तो कुदरत केनियमों के साथ बिलकुल डायरैक्ट पंगा है कि अब लोगों की बेताबी इतनी बढ़ गई है कि नार्मल कंसैप्शन का भीइंतज़ार इन्हें गवारा नहीं है।
एक बात और भी है ना ....उस छोटी सी खबर में यह भी बताया गया है कि उस हस्ती ने इस तकनीक के लिये 12 हज़ार डालर खर्च किये हैं.......सोच रहा हूं कि जब कोई बड़ी हस्ती इस तरह की तकनीक का सहारा ( केवलजल्दबाजी के लिये ही !!....... well, that is what is written in that snippet and let’s believe it ! ) लेती हैतो कईं बार दुनिया को इस का गलत मैसेज मिलता है.....कहीं यह भी कोई फैशन-फैड ही ना बन जाए कि कौननार्मल-कंसैप्शन के चक्कर में पड़े, पता नहीं कितने साईकल्ज़ व्यर्थ ही निकल जाएं.......अब अगर लोगों की सोचइस तरफ हो जायेगी कि नहीं, भई , हमें तो तुरंत रिज़ल्ट चाहिये.....तो फिर वही बात हो गई कि फास्ट-फूड ज्वाईंटसे कुछ भी लेकर खाने वाला कैसे चूल्हे-चौके में चक्कर में पड़े।
वैसे सोच रहा हूं कि अगर किसी हस्ती ने इस तरह की तकनीक का सहारा लिया भी है तो उसे मीडिया द्वारा इतनातूल क्यों दिया जाता है..........पता है क्यों ?..... ताकि हम हिंदी ब्लागरों को भी पता चलता रहे कि दुनिया में क्याक्या चल रहा है, दुनिया कितनी आगे निकल चुकी है और किस कदर हम लोग मदर-नेचर से जबरदस्त पंगे लियेजा रहे हैं और फिर उसे ही कोसने लगते हैं।
डॉ साहिब, जब शादी जैसा पंगा ले लिया तो ये छोटे मोटे पंगे लेने में काहे का डर. प्रॉपर्टी आपकी है पंगा लेते रहो. :) काहे का डर...
जवाब देंहटाएंवाह, कल यह फैड हो जायेगा कहना कि "मेरा मोनू आईवीएफ का पैदा हुआ है। यू नो, मेरे पास टाइम कम था सो यह बड़ा कॉस्ट इफेक्टिव रहा!":D
जवाब देंहटाएंdoctor saheb...yeh sab defective soch ka nateeza hai...aise bachche kahan se apne honge, jinke janm main itnee jaldbaazi macha dee jaye?
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