रविवार, 6 अप्रैल 2008

अब मछली-भात को भी लगी नज़र !



आप की तरह मैं भी यह नहीं सोचता कि यह खबर पढ़ने के बाद रातों-रात उन सब लोगों के खाने की आदतें बदल जायेंगी जो युगों-युगों से इस का सेवन करते आ रहे हैं। लेकिन मैं इस समय वैसे भी बात इस खबर की प्रामाणिकता की कर रहा हूं....कितनी बढ़िया तरह से सब कुछ कवर किया है। सोचता हूं कि जिस न्यूज़-रिपोर्ट से प्रामाणिकता की महक आती है वो तो अपने काम में सफल ही है। लोग चाहे दाल-भात आज से खाना बंद नहीं कर देंगे.....लेकिन एक पत्रकार ने एक मंजे हुये शोधकर्त्ता के अनुभव पब्लिक के समक्ष रख कर एक बीज रोप दिया .....जो धीरे धीरे पनपता रहेगा.....और जब भी वह बंदा दाल-भात खा रहा होगा, दिल के किसी ना किसी कौने में कहीं तो इस खबर की याद बनी रहेगी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

इस पोस्ट पर आप के विचार जानने का बेसब्री से इंतज़ार है ...