अभी दो तीन दिन पहले ही की बात है कि एक पेपर के पहले पन्ने पर बहुत बड़ा विज्ञापन था कि अब दांतों की झनझनाहट की वजह से आप में से जो लोग शर्म महसूस करने की वजह से किसी शादी-ब्याह पार्टी में नहीं जा सकते, अब आप की समस्या यह पेस्ट दूर कर देगी।
मुझे अपने उस्तादों का ध्यान आया कि उन्होंने यह बात तो हमें बताई नहीं, न ही किताबों में यह लिखा है ..
जिस तरह से आज कल महंगी महंगी पेस्टों के विज्ञापन दांतों में ठंडा गर्म का इलाज करने के लिए मीडिया में दिखने लगेंगे ..बड़ा अजीब सा लगता है। और इस तरह के बढ़िया बढ़िया विज्ञापन आते हैं कि लोग जा कर ये सब खरीद ही लेते हैं।
पहले जब हम लोग पूछा करते थे कि कौन सा पेस्ट इस्तेमाल करते हो तो लगभग एक पापलुर ब्रांड का नाम सुनने को मिलता था.. लेकिन अब तो लोग दवाई वाली पेस्टों के नाम बताने लगे हैं कि हम तो वे इस्तेमाल करते हैं, लेकिन फिर भी ठंडा गर्म में कुछ फायदा हुआ नहीं।
कितना बड़ी कहानी लिखूंगा ..चंद लफ्ज़ों में पूरी सच्चाई लिख कर छुट्टी करूं?...ध्यान से सुनिए...
ऐसा कैसे हो सकता है कि ये जो ठंडा गर्म वाली पेस्टें लोग इस्तेमाल करने लगें ... और सब कुछ ठीक हो जाए...यह असंभव है। एक बात है ..कभी कभी ठंडा तो हम सब को लगता ही है, किसी जगह पर आइसक्रीम खाते हुए हमारे सभी दांत चंद लम्हों के लिए झनझना जाते हैं...अगर यह झनझनाहट कुछ मिनटों तक रहती है, या किसी एक दो दांतों में ज़्यादा होती है या दिन में बार बार होती है तो भी आप को दंत चिकित्सक से संपर्क करना ही चाहिए...
दांतों में ठंडा-गर्म लगने के बीसियों कारण हैं, यह तो विशेषज्ञ ही बता सकता है कि आप को किस वजह से यह तकलीफ़ हो रही है। अपने आप ही तरह तरह के पेस्ट मंजन उठा कर ले आना और उसे घिसना चालू कर देना यह कोई समाधान नहीं है। हमें यही बताया गया है कि दांतों में ठंडे गर्म लगने वाली पेस्ट अगर दंत चिकित्सक ही इस्तेमाल करने की सलाह देगा, तभी आप उसे इस्तेमाल करिए....सेहतमंद दांतों के लिए इन पेस्टों का कोई काम नहीं है और पायरिया या अन्य बीमारी से ग्रस्त दांतों और मसूड़ों को जब तक आप दंत चिकित्सक से ठीक नहीं करवा लेंगे, आप की तकलीफ़ जस की तस बनी रहेगी..
मैंने तरह तरह के खुरदरे ..चालू किस्म के या बड़ी बड़ी कंपनियों की ठंडा गर्म लगने से निजात दिलाने वाली पेस्टों के इस्तेमाल के बावजूद हज़ारों मरीज़ परेशान होते देखे हैं..केवल अपने इन्हीं अनुभवों को लेकर एक १००-१५० पन्नों की किताब लिख सकता हूं .. इसीलिए प्रोफैशन में इतना साल बिताने के बाद मुझे अब इस बात का पूर्ण विश्वास है कि किसी मरीज़ को उस के दांत की सफाई करने का सलीका, जुबान साफ़ करने की प्रेरणा और तंबाकू-गटुखा-पान से दूर रख पाना ही दंत चिकित्सक की सब से बड़ी ड्यूटी है ..जब मैं किसी से पूछता कि आप ब्रुश कैसे करते हैं तो ९९प्रतिशत लोग ठीक से नहीं कर पाते, ठीक से नहीं कर पाते एक बात है, लेिकन वे इस तरह से ब्रुश का इस्तेमाल करते हैं कि दांत बुरी तरह से कट जाते हैं....
बस थोड़ी खाली समय था, बैठ गया लिखने ..कोई खास बात तो है नहीं, लेिकन दांतों की झनझनाहट से इतना भयभीत मत होइए, किसी प्रशिक्षित दंत चिकित्सक को दिखा कर आइए....कईं बार, कईं बार क्या बहुत बार तो कुछ करने की ज़रूरत ही नहीं होती, हम लोग चालू किस्म के खुरदरे मंजन के बारे मे मरीज़ को समझा देते हैं और ब्रुश करने का तरीका समझा देते हैं और पंद्रह बीस दिनों में सब कुछ दुरुस्त हो जाता है .....it is as simple as that!
कल यहां गूगल की मीटिंग में भी मेरे कुछ मित्र मुझे कह रहे थे कि हम आप के ब्लॉग पर आते हैं तो बढ़िया बढ़िया ६०-७०-८० के दशक फिल्मी गीत सुनने को भी मिल जाते हैं.. दरअसल उस दौर के सभी गीत होते भी एकदम जबरदस्त थे ... एक एक गीत शायर के दिल की गहराईयों से निकला हुआ...
पहले जब हम लोग पूछा करते थे कि कौन सा पेस्ट इस्तेमाल करते हो तो लगभग एक पापलुर ब्रांड का नाम सुनने को मिलता था.. लेकिन अब तो लोग दवाई वाली पेस्टों के नाम बताने लगे हैं कि हम तो वे इस्तेमाल करते हैं, लेकिन फिर भी ठंडा गर्म में कुछ फायदा हुआ नहीं।
कितना बड़ी कहानी लिखूंगा ..चंद लफ्ज़ों में पूरी सच्चाई लिख कर छुट्टी करूं?...ध्यान से सुनिए...
ऐसी कोई भी पेस्ट मंजन न तो अभी तक बना है और शायद न ही कभी बन पायेगा जो कि पायरिया जैसे रोग को ठीक कर सके, यह असंभव है... कुछ समय के लिए कुछ पेस्टें-मंजन लक्षण शायद दबा दें, लेिकन उस से नुकसान तो आप का ही हुआ...अगर दांतों में पायरिया है, खून आता है..चाहे ब्रुश या दातुन करते वक्त ही, दांतों में ठंडा-गर्म-मीठा-खट्टा लगता है तो उस के लिए आप को किसी प्रशिक्षित दंत चिकित्सक के पास जाकर उचित इलाज करवाना होगा, सभी तरह की तंबाकू पान मसाला गुटखा आदि चीज़ों को छोड़ना होगा और दंत चिकित्सक से दांतों को साफ करने का ढंग सीखना होगा....और एक बात, रोज़ाना अपनी जुबान साफ़ करने का भी बहुत महत्व है...
ऐसा कैसे हो सकता है कि ये जो ठंडा गर्म वाली पेस्टें लोग इस्तेमाल करने लगें ... और सब कुछ ठीक हो जाए...यह असंभव है। एक बात है ..कभी कभी ठंडा तो हम सब को लगता ही है, किसी जगह पर आइसक्रीम खाते हुए हमारे सभी दांत चंद लम्हों के लिए झनझना जाते हैं...अगर यह झनझनाहट कुछ मिनटों तक रहती है, या किसी एक दो दांतों में ज़्यादा होती है या दिन में बार बार होती है तो भी आप को दंत चिकित्सक से संपर्क करना ही चाहिए...
दांतों में ठंडा-गर्म लगने के बीसियों कारण हैं, यह तो विशेषज्ञ ही बता सकता है कि आप को किस वजह से यह तकलीफ़ हो रही है। अपने आप ही तरह तरह के पेस्ट मंजन उठा कर ले आना और उसे घिसना चालू कर देना यह कोई समाधान नहीं है। हमें यही बताया गया है कि दांतों में ठंडे गर्म लगने वाली पेस्ट अगर दंत चिकित्सक ही इस्तेमाल करने की सलाह देगा, तभी आप उसे इस्तेमाल करिए....सेहतमंद दांतों के लिए इन पेस्टों का कोई काम नहीं है और पायरिया या अन्य बीमारी से ग्रस्त दांतों और मसूड़ों को जब तक आप दंत चिकित्सक से ठीक नहीं करवा लेंगे, आप की तकलीफ़ जस की तस बनी रहेगी..
मैंने तरह तरह के खुरदरे ..चालू किस्म के या बड़ी बड़ी कंपनियों की ठंडा गर्म लगने से निजात दिलाने वाली पेस्टों के इस्तेमाल के बावजूद हज़ारों मरीज़ परेशान होते देखे हैं..केवल अपने इन्हीं अनुभवों को लेकर एक १००-१५० पन्नों की किताब लिख सकता हूं .. इसीलिए प्रोफैशन में इतना साल बिताने के बाद मुझे अब इस बात का पूर्ण विश्वास है कि किसी मरीज़ को उस के दांत की सफाई करने का सलीका, जुबान साफ़ करने की प्रेरणा और तंबाकू-गटुखा-पान से दूर रख पाना ही दंत चिकित्सक की सब से बड़ी ड्यूटी है ..जब मैं किसी से पूछता कि आप ब्रुश कैसे करते हैं तो ९९प्रतिशत लोग ठीक से नहीं कर पाते, ठीक से नहीं कर पाते एक बात है, लेिकन वे इस तरह से ब्रुश का इस्तेमाल करते हैं कि दांत बुरी तरह से कट जाते हैं....
बस थोड़ी खाली समय था, बैठ गया लिखने ..कोई खास बात तो है नहीं, लेिकन दांतों की झनझनाहट से इतना भयभीत मत होइए, किसी प्रशिक्षित दंत चिकित्सक को दिखा कर आइए....कईं बार, कईं बार क्या बहुत बार तो कुछ करने की ज़रूरत ही नहीं होती, हम लोग चालू किस्म के खुरदरे मंजन के बारे मे मरीज़ को समझा देते हैं और ब्रुश करने का तरीका समझा देते हैं और पंद्रह बीस दिनों में सब कुछ दुरुस्त हो जाता है .....it is as simple as that!
कल यहां गूगल की मीटिंग में भी मेरे कुछ मित्र मुझे कह रहे थे कि हम आप के ब्लॉग पर आते हैं तो बढ़िया बढ़िया ६०-७०-८० के दशक फिल्मी गीत सुनने को भी मिल जाते हैं.. दरअसल उस दौर के सभी गीत होते भी एकदम जबरदस्त थे ... एक एक गीत शायर के दिल की गहराईयों से निकला हुआ...
आपने बहुत ही बढ़िया तरीके से दांतो के बारे में बताया
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