रविवार, 13 जनवरी 2008

बच्चों में खांसी ?--- जब कुछ भी न करना ही गोल्डन !

जर्नल आफ अमेरिकी मैडीकल एशोशिएशन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अब मां-बाप को अपने खांसते हुए बच्चे को दवाईयों की बजाए शहद देने के बारे में सोचना होगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि शहद लेने से बच्चों को खांसी में डैक्सट्रोमिथार्फैन से भी ज्यादा राहत महसूस हुई और वे रात को बेहतर ढंग से सो भी पाए। यहां यह बताने योग्य है कि आमतौर पर खांसी दबाने वाली कैमिस्ट से बिना किसी प्रैस्क्रिप्शन के मिलने वाली ज्यादातर दवाईयों में डैक्सट्रोमिर्थाफेन ही होती है। लेकिन इस तरह की खांसी-जुकाम के लिए कुछ भी न करने से शहद ले लेना बेहतर है, और कैमिस्ट की दुकान का रुख करने से पहले इस शहद को अवश्य ट्राई कर लेना चाहिए।

दोस्तो, वैसे भी हमारे देश में तो इस शहद को सदियों से ही खांसी की तकलीफ़ को भगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन क्या करें, दोस्तो, हम लोगों की मानसिकता ही कुछ ऐसी बन चुकी है कि जब तक हमारी किसी अच्छी से अच्छी प्रामाणिक एवं सिद्ध बात पर अमेरिकी वैज्ञानिकों की स्टैंप का ठप्पा नहीं लगता , हम कहां मानते हैं.........Generally, it is said that for anything to become popular( even it could be an ancient Indian practice), it has to be routed through America…………….that’s exactly what is happening with our Yoga………यह योग भी हमें तब ही ज्यादा भाया जब इसे अमेरिकी चासनी में घोल कर योगा बना कर हमारे सामने पेश किया गया। ।

अपनी शहद वाली बात पर वापिस आते हुए यह बताना भी जरूरी है कि शहद को एक साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं देना चाहिए

अमेरिकी मैडीकल एसोशिएशन के इस अध्ययन को एक शुभ संकेत इस लिए भी माना जा रहा है क्योकि आजकल मां बाप अपने खांसी-जुकाम से जूझ रहे बच्चों के लिए कोई दूसरे रास्ते तलाश रहे हैं क्योंकि पिछले महीने ही अमेरिकी फूड एवं ड्रग एडमिनीस्ट्रेशन के एक पैनल ने यह महत्वपूर्ण सिफारिश की है कि छःसाल से कम बच्चों ( children under the age of 6) को अपने आप ही खांसी-जुकाम की दवाईयां देनी शुरू नहीं कर देना चाहिए क्योंकि ऐसी अधिकांश दवाईयों में डैक्स्ट्रोमिथार्फैन ही होती है।

इस अध्ययन में दो से पांच साल के बच्चों को एक टी-स्पून का आधा हिस्सा, छः से ग्यारह साल के बच्चों को एक टी-स्पून एवं बारह से अठारह साल के बच्चों को शहद के दो चम्मच दिए गए

नैट बंधुओं, इस बात का ज़रा ध्यान रखें कि यह सब बातें आम खांसी-जुकाम के लिए ठीक हैं, कहने से भाव यह नहीं कि अगर दूसरी तरह की खांसी वगैरह की तकलीफ है तो उस में शहद कारगर नहीं है, जी नहीं, शहद तो शहद है- उसने तो अपना काम करना ही है---लेकिन यह ध्यान भी रखना होगा कि कब एक बार डाक्टर से मिलना भी जरूरी होता है। सीधी सीधी सी बात है कि जब बच्चे को ज्यादा ही तकलीफ़ है, वह तेज़ बुखार से भी परेशान है, गले में बेहद दर्द भी है, और खांसी करने से पीली बलगम निकलती है-------ऐसे में अपने फैमिली डाक्टर से मिल लेना चाहिए क्योंकि कईं बार इस इंफैक्शन की नकेल कसने के लिए एँटीबायोटिक दवाईयां भी देनी पड़ सकती हैं।
मैंने इस चिकित्सा क्षेत्र में इन एंटीबायोटिक दवाईयों का बहुत ज्यादा मिसयूज़ देखा है और वह भी इस सादी खांसी-जुकाम की परेशानी के लिए ही------जिस में अकसर किसी एंटीबायोटिक दवाईयों की जरूरत होती ही नहीं है। बचपन में सुनी एक बात याद आ रही है -------If you take medicines for common cold, it will take seven days to cure it……..if you don’t take any medicines, it will be alright in a week.
So, the weather here is getting colder day by day………..take care……..
Enjoy all those seasonal delicacies that are offered to us during this Lohri festival……………………….HAPPY LOHRI !!

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