शायद मैं पिछले एक वर्ष से ऐपल पर काम कर रहा हूं और देख रहा हूं कि इस पर हिंदी ढंग से लिखी नहीं जा रही थी, बड़ी दिक्कत थी।
लेकिन एक बात तो थी कि जब जी-मेल या फेसबुक पर कुछ टिपियाना हो तो सब कुछ ठीक से लिखा जाता था।
लेकिन वर्ल्ड डाक्यूमैंट पर कुछ लिखना सिर दर्द के बराबर था।
बहुत महीने ऐसे ही चलता रहा, लेकिन परेशान होकर दो दिन पहले मैंने आलोक जी से ई-मेल के द्वारा संपर्क किया और उन के मार्ग-दर्शन के अनुसार ओपन ऑफिस का इस्तेमाल शुरू कर दिया है , अब ठीक से लिखा जाता है।
इस लिखे को भी अभी अपने ब्लॉग पर पोस्ट के रूप में डाल कर देखता हूं कि यह प्रयोग कितना सफल रहा है।
देखते हैं.........
आज कल जून की भयंकर गर्मी चल रही है......पता नहीं कैसे इस गीत का दो दिन से ध्यान बार बार आ रहा है कि किस तरह से भयंकर गर्मी के दिनों में ही अमृतसर के एक थियेटर में साईकिल पर जा कर यह फिल्म डिस्को-डांसर देखी थी......कितना क्रेज़ सा मिथुन की फिल्मों का, उस के गीतों का, उस के डांस का............. OMG..... लीजिए, आप भी मेरे साथ सुनिए.........राजेश खन्ना तो आउटस्टैंडिंग है ही, इस लिटिल मास्टर को भी इस की धांसू पर्फाममैंस के लिए १०में से १० अंक.......