अकसर हम लोग खूब पढ़ते रहते हैं कि वजन कम ऐसे होगा, वैसे होगा.....लेकिन कईं बार कुछ ऐसा दिख जाता हैकि हम लोग इस बारे में सोचने पर मजबूर हो ही जाते हैं जैसा कि मेरे साथ पिछले सप्ताह हुआ....मैंने इंगलिश के अखबार में एक कैप्सूल पढ़ा.......
वजन कम करने का सुनहरी फार्मूला क्या है ?
उस के आगे लिखा था कि कम खाओ। प्रतिदिन 500 कैलेरी कम का सेवन करें और हर हफ्ते एक पौंड वजन कमहो जायेगा। और अगर इस के साथ साथ खूब शारीरिक परिश्रम भी करेंगे तो वजन कम होने की यह प्रक्रिया और भी तेज़ हो जायेगी।
बात मेरे भी मेरे मन में लग गई। सोचा कि क्या किया जाए। वैसे किसी नॉन-मैडीकल बंदे से इस बात का ज़िक्र किया जाये तो शायद वह यही कहेगा कि कल से नाश्ता बंद या लंच बंद, या कल से फल बिल्कुल बंद...या कल से चावल बंद ....ऐसे कईं ही विचार किसी के भी मन में आने लगेंगे कि किसी तरह से ये 500 कैलेरी रोजाना कम करनी हैं।
लेकिन यह बात बिलकुल गलत है कि बिना सोचे समझे नाश्ता बंद कर दिया ....लंच बंद कर दिया......हमें सभी आहार करने हैं लेकिन फिर भी अपनी कैलेरी को कम करना है। और विशेषकर यह ध्यान रखना तो और भी ज़रूरी है कि कैलेरी कम करनी है, ठीक है लेकिन आहार तो फिर भी संतुलित ही रहना चाहिये....ऐसा नहीं होगा तो शरीर में तरह तरह की तकलीफ़ें होने लगेंगी। और फायदे की बजाए नुकसान होने की ज़्यादा आशंका है।
अब आप सोच रहे होंगे कि नाश्ता भी लेना बंद नहीं करना, लंच भी खाना है, फल भी खाने हैं तो फिर ये 500 कैलेरी कैसे कम होंगी। तो, ठीक है, मैं अपनी उदाहरण दे कर यह बाद स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं आज कल धीरे धीरे प्रतिदिन 500 कैलेरी कम करने की तरफ़ कैसे बढ़ रहा हूं....
1. मैं बहुत मीठी चाय पीने का शौकीन हूं.....मतलब कि पांच-छः चीनी के चम्मचों का ज़्यादा सेवन ....अर्थात् लगभग तीस ग्राम चीनी ज़्यादा.....यानि कि लगभग 125 कैलेरी का ज़्यादा सेवन......तो मैंने पिछले कुछ दिनों से चाय में चीनी का सेवन बिलकुल कम करना शुरू कर दिया है। और कुछ न सही, 100 कैलेरी की तो बचत हो गई।दही में भी चीनी बिलकुल डालनी बंद कर दी है और मीठी लस्सी भी बंद कर दी है।
2.वैसे तो आज सुबह ही दो जंबो साइज़ के आलू के परांठे खाये हैं और वैसे भी रोज़ाना दो परांठे नाश्ते में लेता हूं। पता नहीं पिछले कईं वर्षों से ये परांठे छोड़ रखे थे लेकिन फिर से शुरू कर रखे हैं अर्थात् लगभग बीस ग्राम घी का सेवन इन परांठों की वजह से हो ही जाता है.......तो लगभग 200 कैलेरी तो इन्हीं परांठों के द्वारा ही शरीर में पहुंच गईं। तो अबयह फैसला किया है कि आने वाले दो-तीन दिनों में परांठों को भी पूरी तरह बंद कर दूंगा।
अगर मैं यह भी कर पाऊं तो कुल 300 कैलेरी एक्स्ट्रा प्रतिदिन लेने से बच जाऊंगा।
3. आगे आइए....आप के सामने एक और राज़ खोल ही दूं कि किस तरह आदमी अपनी आदतों के हाथों का खिलौना होता है।
पिछले कुछ सालों से मैंने दाल में घी या मक्खन के एक-दो चम्मच उंडेलने बंद किये हुये थे लेकिन पिछले कुछ महीनों से फिर यह काम करने लगा था जो कि पिछले कुछ दिनों से बंद पड़ा है। यानि की लगभग 50-100 कैलेरीकी और बचत।
4. बचपन से ही एक आदत है कि लगभाग रोज़ाना( डाक्टर, तू तो यार खुदकुशी की पूरी तैयारी कर रहा है !!) चावल में दूध-चीनी या घी-चीनी डाल कर खाना( वैसे बचपन में तो चीनीके परांठे भी खूब खाये हैं) .....अब अगर मेरी उम्र में यह सब चलता रहेगा तो कैसे चलेगा......यह तो वही बात हो गई कि आदमी अपने पैरों पर खुद कुल्हाडी मारता रहे। अब अगर दूध-चीनी-चावल या घी-चीनी-चावल रोजाना खाये जा रहे हैं तो लगभग 100-150 कैलेरी तो शरीर के अंदर जा ही रहे हैं। तो, अब मैंने कईं दिनों से यह वाली आदतभी छोड़ दी है क्योंकि ज़्यादा वज़न के बुरे परिणाम रोज़ाना देख कर, सुन कर, पढ़ कर डरने लगा हूं।
मैंने अपने खाने पीने की बातें यहां इस लिये लिखी हैं कि मैं एक बात को रेखांकित कर सकूं कि हमें कम खाने के लिये अपना खाना कम करने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन यूं ही ऊल-जलूल खाने से बचना होगा जैसे कि बच्चे के हाथ में बिस्कुट देखे तो खुद भी दो-तीन खा लिये....आधी कटोरी भुजिया ऐसे ही ज़रूरत न होते हुये भी निगल डाली......ये कैलेरीज़ हमें देती तो कुछ भी नहीं, केवल गलत जगहों पर जा कर जम जाती हैं।
वैसे आप भी कहीं यह तो नहीं सोच रहे कि यार, डाक्टर तू अपनी पोस्टों में प्रवचन तो अच्छे-खासे करता है लेकिन तेरा खुद का खाना-पीना इस तरह का है या रहा है, यह पढ़ कर बहुत हैरानगी हो रही है। ठीक है, आप का हैरान होना मुनासिब है, लेकिन मेरी मजबूरी यह है कि मैं आपसे झूठ नहीं बोल सकता...जब तक मैं पूरी सच्चाई आप के सामने न रखूंगा तो मैं अपनी बात ठीक तरह से कह ही नहीं पाऊंगा।
और हां, यह भी बताना चाह रहा हूं कि पिछले कुछ दिनों से रोज़ाना 30-40 मिनट का भ्रमण करना भी शूरू करदिया है। लेकिन बस एक ही मुश्किल है कि इन आमों के ऊपर कंट्रोल नहीं हो रहा.......रोज़ाना दो-तीन आम तो खा ही लेता हूं......क्या करूं ये आम मेरी कमज़ोरी हैं। लेकिन, एक सुकून है कि चलिये अब तो आम खत्म होने का टाइम आने को है। अगले सीज़न से एहतियात बरतूंगा।
तो, इतनी बातें करने का मतलब तो बिलकुल साफ़ ही है कि हम अपने आहार में छोटे मोटे बदलाव कर के भीअपनी कैलेरी की खपत को अच्छा-खासा कम कर सकते हैं। आप किस सोच में पड़ गये ??....मेरे साथ साथ आप भी तो कुछ बदलाव करिये, साथ रहेगा तो बदलाव निभ जायेंगे, मैं आप के resolutions की इंतज़ार कर रहा हूं।