मुझे एक बडी शिकायत उन सब उत्पादकों से है जो कि इस देश में सब वस्तुओं पर सारी लेबलिंग अंग्रेजी में ही करते हैं.उन्हॆ यह अच्छी तरह से पता है कि हिंदी ही हमारी आम बोलचाल की भाषा है और बहुत ही कम लोग इस देश में अंग्रेज़ी पढ़ना जानते हैं। तो फिर क्यों वे अंग्रेज़ी को इतना बढ़ावा देते हैं। मुझे तो लगता है कि यह सब आम बंदे को उल्लू बनाने के लिए ही किया जाता है...न वह पढ़ सके कि वह वस्तु कब बनी, कब उस की एक्सपायरी है, उस में क्य़ा है क्या नहीं है,,,उसे तो अंधकार में ही रखा जाए। हम लोग वैसे तो ढिंढोरा पीटते रहते हैं कि यह काम हिंदी में होना चाहिए , वो काम हिंदी में होना चाहिए , लेकिन इस बारे में मीडिया में क्यों कुछ नहीं कहा जाता। यहां तक कि आम बंदा जो दवाईयां ले कर खाता है,उस के नाम और उस की सारी जानकारी भी अंग्रेज़ी में ही दी जाती है। लेकिन. जहां इन कंपनियों का अपना हित होता है वहां ये देश की सभी भाषाओं में भी सूचना उपलब्ध करवाने से भी कोई दिक्कत महसूस नहीं करती। अगर आप को विश्वास नहीं हो रहा हो तो किसी मच्छर भगाने वाली दवाई के डिब्बे को खोल के देख लीजिए।।।।