मुझे हमेशा से यह जिज्ञासा रही है कि पानमसाला छोड़ने के कितने अरसे के बाद मुंह के अंदरूनी चमड़ी की लचक लौट आती होगी ... लेकिन कभी किसी मरीज़ का इतने लंबे समय तक फॉलो-अप हो नहीं पाया कि इस का कुछ पुख्ता प्रमाण मिल पाता .. कारण कुछ भी हो सकते हैं...हम लोगों का ट्रांसफर हो जाता है, मरीज़ कब लौट कर आएंगे या नहीं, कोई भरोसा नहीं.. लेकिन मुझे यह जिज्ञासा तो हमेशा ही से रही..
आज से ९-१० साल पहले मैंने इसी ब्लॉग पर पोस्ट लिखी थी .. अब यह मुंह न खुल पाने का क्या लफड़ा है! जब कभी भी मैं अपने ब्लॉग के स्टैटेस्टिक्स देखता हूं तो पता चलता है कि इसे इतने वर्षों से लोग निरंतर पढ़ रहे हैं ...रोज़ लगभग २०० पाठक इस पोस्ट पर आते है ं....किसी के कहने-कहलवाने से नहीं, बल्कि गूगल सर्च से वे इस पोस्ट तक पहुंचते हैं...सब कुछ पता चल जाता है .. मुझे लगता है कि मैंने वह पोस्ट इतनी अच्छी लिखी भी नहीं, तब मैं ब्लॉगिंग में नया नया था, जो सच लगा, लिख दिया था बस..
उस पोस्ट को पढ़ने के बाद मुझे लोग इस के इलाज के लिए ईमेल भेजते हैं... कि इलाज बताओ... मैं उन को सब से बड़ा इलाज तो यही बताता हूं कि आज ही से इस लत से छुटकारा पा लो....इस काम में उन्हें अपनी मदद खुद ही करनी पड़ेगी...कोई किसी की कोई लत नहीं छुड़वा सकता .. और कब मुंह की हालत बिल्कुल दुरुस्त हो जायेगी, इस के बारे में बिल्कुल कुछ नहीं कहा जा सकता...
यह सारी भूमिका लिखनी ज़रूरी इसलिए थी क्योंकि कल मेरे पास एक ६१ साल की महिला आई थीं...अपने दांतों का इलाज करवाने के लिए....कोई परेशानी थी इस महिला को दांतों में...
मैं जब इस महिला के मुंह का परीक्षण कर रहा था तो मुझे मुंह के हालात कुछ ऐसे लगे जैसे कि यह पानमसाला खाती हों....ये लक्षण क्या हैं, इस के बारे में मैं बीसियों लेख इसी ब्लॉग पर लिख चुका हूं, अगर ज़रूरत हो तो सर्च कर लीजिए इसी ब्ल़ॉग को, मैं तो इन दस सालों में गुटखे-पान मसाले की विनाशलीला की ऐसी गाथाएं लिख चुका हूं कि एक ग्रंथ तैयार हो सकता है ...पर अब मैं यह सब लिख लिख कर पक चुका हूं...कोई सुनता है नहीं...और अगर सुनता भी है तो तब जब चिड़िया खेत को चुग कर उड़ चुकी होती है ....तब क्या फायदा!
चलिए, उस ६१ वर्षीय महिला की बात ही करते हैं.....इस महिला ने पानमसाला आज से १५ वर्ष पहले छोड़ दिया था....और जो इन्होंने मुझे बताया वह यह कि इन्होंने खाया भी कुछ महीने ही ... मैंने पूछा कि अचानक ४५ साल की उम्र में पानमसाला खाने की क्या सूझी? ...बताने लगीं कि इन के पति ये सब पानमसाला-गुटखा खूब खाते थे .. इसीलिए इन्होंने उन का छुड़वाने के लिए खुद भी शुरू कर लिया कि शायद पति को इसी बात से ही पानमसाले से नफ़रत हो जाए....लेकिन कुछ ही महीने खाने के बाद इन के मुंह में घाव हो गये...खूब उपचार करवाया ...और पानमसाला का त्याग किया, तब कहीं जाकर इन्हें इस तकलीफ़ से मुक्ति मिली ..
मैंने ये जो तस्वीरें इस पोस्ट में लगाई हैं ये सभी इन के मुहं की है ं....पानमसाला छोड़ने के १५ साल बाद अाज भी इन के मुंह में ओरल-सबम्यूक्सफाईब्रोसिस (मुंह के कैंसर की पूर्वावस्था --oral pre-cancerous condition) के सभी लक्षण दिख रहे हैं....इन के मुंह के अंदर गालों की चमड़ी एकदम सख्त है . और पीछे भी देखिए तालू के पिछले हिस्से में कैसे एक सफेद सा रिंग बना हुआ है ...(Blanched out appearance of oral mucosa) ...
मैंने पूछा कि आपने १५ साल पहले जब पानमसाला छोड़ा तो क्या मुहं खुलना कम हो गया था ...कहने लगी, नहीं,ऐसी तो कोई बात नहीं थी.... लेकिन जब मैंने पूछा कि तब आप पानी के बताशे खा लेती थीं, तब इन्होंने याद आया कि हां, हां, इसी से तो तकलीफ़ का पता चला था कि मैं पानी के बताशे जैसे ही खाने लगती, वे मुंह के अंदर ठीक से जा नहीं पाते थे और टूट जाते थे ....
लेकिन अब यह कहती है ं कि अब मैं पानी के बताशे ठीक से खा लेती हूं....वैसे भी आप देख सकते हैं कि ये दो उंगली से थोड़ा ज्यादा ही मुंह इन का खुलने लगा है ...मुंह के अंदर घाव भी अब नहीं होते ...
लेकिन ये कुछ अपनी जुबान के काले रंग और गालों के अंदरूनी हिस्से के अजीब से रंग के कारण चिंतित थीं....उन्हें बता दिया कि इस के बारे में घबराने की ज़रूरत नहीं ...यह बहुत बार हार्मोन्स की वजह से या शरीर में किसी तत्व की कमी की वजह से या कुछ दवाईयों के अधिक प्रयोग की वजह से भी हो जाता है ...इस के बारे में ज़्यादा न सोचें, जीवनशैली ठीक रहें, संतुलित आहार लें...
यह पोस्ट मैं कल ही से लिखना चाह रहा था, लेकिन इतनी गर्मी है कि इच्छा नहीं हो रही थी....इस बात को लिखना बेहद ज़रूरी था क्योंकि मेेरे मोबाइल में तो सैंकड़ों तस्वीरें पड़ी रहती हैं ...लेकिन दो दिन बाद मैं मरीज़ को भूल जाता हूं...इसलिए लिख नहीं पाता....यह तो ताज़ा ताज़ा वार्तालाप था, इसलिए लिख दिया...
लिखने का मकसद केवल इतना है कि पान-मसाले से होने वाले नुकसान का सब से उत्तम इलाज यही है कि इस लत को लात मार दीजिए आज ही ......और उसी दिन से आप को इस के फायदे महसूस होने लगेंगे ...मुंह के घाव आदि भरने लगेंगे ... लेकिन इस महिला के केस से इतना हमेशा याद रखिएगा कि सब कुछ एकदम से कुछ ही दिनों में अच्छा हो जायेगा, इस की उम्मीद भी मत करिए.....इतना तो है कि आप मुंह के कैंसर से बच जाएंगे.....लेकिन मुंह कितना खुल पायेगा, कितना नहीं, यह तो आप के दंत चिकित्सक ही आप के मुंह का परीक्षण कर के बता सकते हैं...
सीधी सीधी बात कहूं तो यह है गुटखे-पान मसाला खाने वाला कभी न कभी किसी बीमारी की चपेट में आ ही जाता है ... कह रहा हूं तो मान लो और इस खतरनाक खेल से तौबा कर लो ... मोटरसाईकिल में पैट्रोल डलवाते हुए मुंह में पानमसाला उंडेलने वाले लौंडों के लिए एक मरदाना टशन होता होगा ....लेकिन जब हम लोग किसी को मुंह के कैंसर की खबर सुनाते हैं या पहली बार संदेह की ही बात करते हैं तो उस बंदे की हालत देखी नहीं जाती .. मैं तो आए दिन मुंह के कैंसर के नये मरीज़ देखता हूं और किस तरह से वे उस समय कहते हैं कि हम गाड़ी से नहीं, प्लेन सी आज ही टाटा अस्पताल चले जाएंगे ....लेकिन वे भी कौन सा जादू की छड़ी लेकर बैठे हुए हैं...
आज के लिए इतना ही ....अगर यह पढ़ कर अभी तक आप पानमसाला-गुटखे छोड़ने की योजना ही बना रहे हैं तो God bless you.....Panmasala-Gutkha is a killer...Quit this habit now ....मैं तो इसे भी आत्महत्या ही मानता हूं..
बच के रहिए, बचे रहिए....
आज से ९-१० साल पहले मैंने इसी ब्लॉग पर पोस्ट लिखी थी .. अब यह मुंह न खुल पाने का क्या लफड़ा है! जब कभी भी मैं अपने ब्लॉग के स्टैटेस्टिक्स देखता हूं तो पता चलता है कि इसे इतने वर्षों से लोग निरंतर पढ़ रहे हैं ...रोज़ लगभग २०० पाठक इस पोस्ट पर आते है ं....किसी के कहने-कहलवाने से नहीं, बल्कि गूगल सर्च से वे इस पोस्ट तक पहुंचते हैं...सब कुछ पता चल जाता है .. मुझे लगता है कि मैंने वह पोस्ट इतनी अच्छी लिखी भी नहीं, तब मैं ब्लॉगिंग में नया नया था, जो सच लगा, लिख दिया था बस..
उस पोस्ट को पढ़ने के बाद मुझे लोग इस के इलाज के लिए ईमेल भेजते हैं... कि इलाज बताओ... मैं उन को सब से बड़ा इलाज तो यही बताता हूं कि आज ही से इस लत से छुटकारा पा लो....इस काम में उन्हें अपनी मदद खुद ही करनी पड़ेगी...कोई किसी की कोई लत नहीं छुड़वा सकता .. और कब मुंह की हालत बिल्कुल दुरुस्त हो जायेगी, इस के बारे में बिल्कुल कुछ नहीं कहा जा सकता...
यह सारी भूमिका लिखनी ज़रूरी इसलिए थी क्योंकि कल मेरे पास एक ६१ साल की महिला आई थीं...अपने दांतों का इलाज करवाने के लिए....कोई परेशानी थी इस महिला को दांतों में...
मैं जब इस महिला के मुंह का परीक्षण कर रहा था तो मुझे मुंह के हालात कुछ ऐसे लगे जैसे कि यह पानमसाला खाती हों....ये लक्षण क्या हैं, इस के बारे में मैं बीसियों लेख इसी ब्लॉग पर लिख चुका हूं, अगर ज़रूरत हो तो सर्च कर लीजिए इसी ब्ल़ॉग को, मैं तो इन दस सालों में गुटखे-पान मसाले की विनाशलीला की ऐसी गाथाएं लिख चुका हूं कि एक ग्रंथ तैयार हो सकता है ...पर अब मैं यह सब लिख लिख कर पक चुका हूं...कोई सुनता है नहीं...और अगर सुनता भी है तो तब जब चिड़िया खेत को चुग कर उड़ चुकी होती है ....तब क्या फायदा!
चलिए, उस ६१ वर्षीय महिला की बात ही करते हैं.....इस महिला ने पानमसाला आज से १५ वर्ष पहले छोड़ दिया था....और जो इन्होंने मुझे बताया वह यह कि इन्होंने खाया भी कुछ महीने ही ... मैंने पूछा कि अचानक ४५ साल की उम्र में पानमसाला खाने की क्या सूझी? ...बताने लगीं कि इन के पति ये सब पानमसाला-गुटखा खूब खाते थे .. इसीलिए इन्होंने उन का छुड़वाने के लिए खुद भी शुरू कर लिया कि शायद पति को इसी बात से ही पानमसाले से नफ़रत हो जाए....लेकिन कुछ ही महीने खाने के बाद इन के मुंह में घाव हो गये...खूब उपचार करवाया ...और पानमसाला का त्याग किया, तब कहीं जाकर इन्हें इस तकलीफ़ से मुक्ति मिली ..
मैंने ये जो तस्वीरें इस पोस्ट में लगाई हैं ये सभी इन के मुहं की है ं....पानमसाला छोड़ने के १५ साल बाद अाज भी इन के मुंह में ओरल-सबम्यूक्सफाईब्रोसिस (मुंह के कैंसर की पूर्वावस्था --oral pre-cancerous condition) के सभी लक्षण दिख रहे हैं....इन के मुंह के अंदर गालों की चमड़ी एकदम सख्त है . और पीछे भी देखिए तालू के पिछले हिस्से में कैसे एक सफेद सा रिंग बना हुआ है ...(Blanched out appearance of oral mucosa) ...
मैंने पूछा कि आपने १५ साल पहले जब पानमसाला छोड़ा तो क्या मुहं खुलना कम हो गया था ...कहने लगी, नहीं,ऐसी तो कोई बात नहीं थी.... लेकिन जब मैंने पूछा कि तब आप पानी के बताशे खा लेती थीं, तब इन्होंने याद आया कि हां, हां, इसी से तो तकलीफ़ का पता चला था कि मैं पानी के बताशे जैसे ही खाने लगती, वे मुंह के अंदर ठीक से जा नहीं पाते थे और टूट जाते थे ....
लेकिन अब यह कहती है ं कि अब मैं पानी के बताशे ठीक से खा लेती हूं....वैसे भी आप देख सकते हैं कि ये दो उंगली से थोड़ा ज्यादा ही मुंह इन का खुलने लगा है ...मुंह के अंदर घाव भी अब नहीं होते ...
लेकिन ये कुछ अपनी जुबान के काले रंग और गालों के अंदरूनी हिस्से के अजीब से रंग के कारण चिंतित थीं....उन्हें बता दिया कि इस के बारे में घबराने की ज़रूरत नहीं ...यह बहुत बार हार्मोन्स की वजह से या शरीर में किसी तत्व की कमी की वजह से या कुछ दवाईयों के अधिक प्रयोग की वजह से भी हो जाता है ...इस के बारे में ज़्यादा न सोचें, जीवनशैली ठीक रहें, संतुलित आहार लें...
यह पोस्ट मैं कल ही से लिखना चाह रहा था, लेकिन इतनी गर्मी है कि इच्छा नहीं हो रही थी....इस बात को लिखना बेहद ज़रूरी था क्योंकि मेेरे मोबाइल में तो सैंकड़ों तस्वीरें पड़ी रहती हैं ...लेकिन दो दिन बाद मैं मरीज़ को भूल जाता हूं...इसलिए लिख नहीं पाता....यह तो ताज़ा ताज़ा वार्तालाप था, इसलिए लिख दिया...
लिखने का मकसद केवल इतना है कि पान-मसाले से होने वाले नुकसान का सब से उत्तम इलाज यही है कि इस लत को लात मार दीजिए आज ही ......और उसी दिन से आप को इस के फायदे महसूस होने लगेंगे ...मुंह के घाव आदि भरने लगेंगे ... लेकिन इस महिला के केस से इतना हमेशा याद रखिएगा कि सब कुछ एकदम से कुछ ही दिनों में अच्छा हो जायेगा, इस की उम्मीद भी मत करिए.....इतना तो है कि आप मुंह के कैंसर से बच जाएंगे.....लेकिन मुंह कितना खुल पायेगा, कितना नहीं, यह तो आप के दंत चिकित्सक ही आप के मुंह का परीक्षण कर के बता सकते हैं...
सीधी सीधी बात कहूं तो यह है गुटखे-पान मसाला खाने वाला कभी न कभी किसी बीमारी की चपेट में आ ही जाता है ... कह रहा हूं तो मान लो और इस खतरनाक खेल से तौबा कर लो ... मोटरसाईकिल में पैट्रोल डलवाते हुए मुंह में पानमसाला उंडेलने वाले लौंडों के लिए एक मरदाना टशन होता होगा ....लेकिन जब हम लोग किसी को मुंह के कैंसर की खबर सुनाते हैं या पहली बार संदेह की ही बात करते हैं तो उस बंदे की हालत देखी नहीं जाती .. मैं तो आए दिन मुंह के कैंसर के नये मरीज़ देखता हूं और किस तरह से वे उस समय कहते हैं कि हम गाड़ी से नहीं, प्लेन सी आज ही टाटा अस्पताल चले जाएंगे ....लेकिन वे भी कौन सा जादू की छड़ी लेकर बैठे हुए हैं...
आज के लिए इतना ही ....अगर यह पढ़ कर अभी तक आप पानमसाला-गुटखे छोड़ने की योजना ही बना रहे हैं तो God bless you.....Panmasala-Gutkha is a killer...Quit this habit now ....मैं तो इसे भी आत्महत्या ही मानता हूं..
बच के रहिए, बचे रहिए....