पिछले कुछ दिनों से मैं टीवी पर खबरें नहीं देख रहा था..कोई विशेष कारण नहीं था..बस, ऐसे ही किसी न किसी काम में व्यस्त था..
मेरी मां ने ही दो तीन दिन पहले एक बार ऐसे ज़िक्र किया कि मथुरा में बहुत बुरा हो रहा है ...मुझे कुछ पता नहीं था..मैंने ऐसे ही कह दिया...जी हां।
कुछ समय बाद उसी दिन या अगले दिन किसी खबरिया चैनल पर एक टिक्लर चल रहा था ...रामवृक्ष के बारे में कुछ...
अब अफवाहें, अंधविश्वास, डर, खौफ़, तथाकथित बाबाओं के बारे में सुन सुन कर अपनी भी कुछ इस तरह की कंडीशनिंग हो चुकी है कि हम कुछ इस तरह के नाम सुन कर अपनी ही राय तुरंत बना लेते हैं...
रामवृक्ष का नाम मैंने जैसे ही सुना ..मुझे लगा यह भी किसी वृक्ष-रिक्श का चक्कर होगा...ढूंढ लिया होगा किसी पुरातन पेड़ को ..वैसे भी पर्यावरण दिन आने वाला है ...लेकिन तभी देखा कि वहां पर आगजनी हो रही है, लाठियां भंाजी जा रही हैं...सब कुछ अजीब सा लग रहा था..
अगले दिन पेपर में पढ़ लिया...कुछ कुछ समझ में आया...बहुत से खबरिया चैनलों पर अब विश्वास पूरा होता नहीं है..
दो दिन से खूब देख रहे हैं कि किस तरह से वहां मथुरा के उस पार्क में एक अलग सत्ता केन्द्र उस बंदे रामवृक्ष ने स्थापित कर रखा था..
एक बात और भी है कि हम वही देखते हैं वही सुनते हैं ..जो मीडिया हमें दिखाना चाहता है ...सब टीआरपी का चक्कर तो है ही, पैसों का भी चक्कर है ...बड़ा अजीबोगरीब बिजनेस माडल है हिंदोस्तान में मीडिया का ...सच्चाई जनता तो कहां पहुंच पाती है !
और कुछ दिखे न दिखे...ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी के बारे में सनसनीखेज खबरें ज़रूर देख-सुन ली कि उस के लोकसभा क्षेत्र में इतनी आगज़नी हो रही थी और वह अपनी शूटिंग के बारे में तस्वीरें ट्विट करती रही....वैसे सुनील दत्त को छोड़ कर सभी फिल्मी सितारे जो लोकसभा राज्यसभा पहुंचे, उन का ट्रैक रिकार्ड ऐसा ही है...यह मैंने एक रिपोर्ट में पढ़ा आज..शायद नवभारत टाइम्स में ...पूरे आंकड़ों के साथ उन सब का रिपोर्ट कार्ड लगा हुआ था...
मेरे मन में पिछले दो तीन दिन से कईं प्रश्न उठते रहे कि यार, यह बंदा रामवृक्ष ...शरीर से भी इतना हृष्ट-पुष्ट नहीं लग रहा..लेकिन इस की बॉडी-लैंग्वेज ..और इतना दुःस्साहस ...पता नहीं कौन इस के पीछे है...अकेला आदमी ऐसी हिम्मत नहीं कर सकता...कुछ तो ताकतें पीछे होंगी...
कल एक मंत्री का ब्यान टीवी में देख रहा था जिसके बारे में सत्ताधारी पार्टी के एक व्यक्ति ने टिप्पणी की थी ...उस का ब्यां सुना तो उसने साफ़ कहा कि जांच तो होने दो, सच सामने आ जायेगा...
कल रात और आज सुबह उस पार्क में विनाशलीला की तस्वीरें दिखती रहीं...क्योंकि कल मीडिया को उस पार्क के अंदर जाने की अनुमति मिल गई थी...
चलिए, आप के सब्र का और इम्तिहान नहीं लेता हूं.. बस, इस पोस्ट के माध्यम से मैं एक सुझाव देना चाहता हूं हम लोग सारा दिन कुछ न कुछ इधर से उधर और उधर से इधर वाट्सएप पर शेयर करते रहते हैं...ऐसा ही है ना?...लेकिन संवेदनशील मुद्दों के बारे में शेयर करते समय हमें उस जानकारी के स्रोत के बारे में भी बता देना चाहिए...
इतना कुछ आता रहता है ...गु्र्दे खराब है, कैंसर जैसा रोग है ..तो फलां फलां जगह पर फलां फलां नंबर पर फोन करिए... उसे मिलिए...शर्तिया इलाज है, कुछ कुछ सरकारी जानकारी भी कभी कभी मिल जाती है ...लेकिन मैं गूगल पर जा कर या उस मंत्रालय की वेबसाइट पर विज़िट करने के बाद पुष्टि होने के बाद ही उसे आगे किसी से शेयर करता हूं....अगर उस में कुछ शेयर करने लायक होता है तो ...
दरअसल हम जो कुछ भी वाट्सएप पर शेयर करते हैं...चाहे वह माल हमें पीछे से आया है या अपने दिमाग की ही उपज हो ..एक बार हमारे हाथ से वह निकल गया तो उस पर हमारी मोहर लग गई...और अगर वह बात गलत निकली तो हमारी विश्वसनीयता पर ही प्रश्न लग जाता है ...इसलिए वाट्सएप पर अपनी छवि इस तरह की बनाईए कि अगर आप कुछ शेयर कर रहे हैं तो आप के संपर्क में आने वाले लोगों को लगे कि यह बंदा यह बात शेयर कर रहा है तो ज़रूर सच ही होगी... He/she is a no-nonsense type of person!
अपनी बात की विश्वसनीयता के लिए एक अच्छा उपाय यह भी है कि आप जो भी शेयर कर रहे हैं उस के नीचे उस का स्रोत भी लगा दें...जैसा कि मैंने ऊपर भी लिखा है....आज मैं एक ग्रुप में रामवृक्ष के इतिहास के बारे में कुछ पढ़ने लगा....उस पढ़ते हुए लग रहा था कि अब यह बात ठीक है या गलत, इस का कौन फैसला करे....इसे आगे शेयर करने का तो प्रश्न ही नहीं उठता....लेकिन तभी देखा उस पोस्ट के अंत में उस वेबसाइट का लिंक था जहां से उसे लिया गया था...
तुरंत उस महानुभाव की प्रशंसा की ...उन की इस शेयरिंग की वजह से इतनी अहम् जानकारी हासिल हुई...यह आदत आप भी डाल लीजिए...किसी की वाजिब प्रशंसा करने से कुछ कम नहीं हो जाता ...जो दिल में हो कह डालिए.
मैं उस लिंक पर भी गया ...और उस का लिंक आप के लिए यहां भी लगा रहा हूं...इसे अवश्य पढ़िए...और अच्छे से मेरी तरह दो बार पढ़िए....हम राजनीति नहीं करते ..लेकिन खबरों की खबर तो ले ही सकते हैं...उस में तो कोई बुराई नहीं...
यह जो मैं स्रोत को quote करने की बात कह रहा हूं...(attribution) ..वह इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि हम लोग वाट्सएप पर जब भी कोई वाकया शेयर करते हैं उस समय हम लोग एक सिटिजन जर्नलिस्ट की भूमिका में हैं...
और सीधी सी बात ...बाकी बातों को दरकिनार भी कर दीजिए..तो भी अपनी विश्वसनीयता की खातिर केवल और केवल वही शेयर करें जिस के बारे में आपने पुष्टि कर ली हो.....वरना लोग आप को भी गंभीरता से लेना बंद कर देते हैं....
और एक सुझाव जाते जाते ..कईं बार ५०० शब्दों की जगह आप की टूटी फूटी टाइपिंग के माध्यम से कही दो पंक्तियां ज़्याद प्रभावशाली हो जाती हैं...और इस से अपनी बात को खुल कर कहना भी आने लगता है ....
रामवृक्ष के बारे में जानिए इस लिंक पर जाकर .... जयगुरूदेव के साम्राज्य पर कब्जे को लेकर हुआ मथुरा में महाभारत ....इस रिपोर्ट को पढ़ते हुए मैं यही सोच रहा था कि जो लोग इस तरह की रिपोर्ट तैयार करते हैं वे निःसंदेह बहुत निर्भीक होते हैं...वरना अखबारों से तो मुझे इस तरह की कोई सूचना इन दिनों में दिखी नहीं...सब की मजबूरियां हैं..चुनाव सिर पर खड़े हैं, और इस तरह का लफड़ा सत्ताधारी पार्टी कहां अफोर्ड कर सकती है!
पोस्ट का उद्देश्य केवल यही था कि किसी खबर को शेयर करते समय उस का सोर्स भी बता दिया करिए....यह बात मैंने दस -बारह साल पहले सीखी थी...आज ध्यान आया आप से साझा की जाए...it add to your credibility!
मेरी मां ने ही दो तीन दिन पहले एक बार ऐसे ज़िक्र किया कि मथुरा में बहुत बुरा हो रहा है ...मुझे कुछ पता नहीं था..मैंने ऐसे ही कह दिया...जी हां।
कुछ समय बाद उसी दिन या अगले दिन किसी खबरिया चैनल पर एक टिक्लर चल रहा था ...रामवृक्ष के बारे में कुछ...
अब अफवाहें, अंधविश्वास, डर, खौफ़, तथाकथित बाबाओं के बारे में सुन सुन कर अपनी भी कुछ इस तरह की कंडीशनिंग हो चुकी है कि हम कुछ इस तरह के नाम सुन कर अपनी ही राय तुरंत बना लेते हैं...
रामवृक्ष का नाम मैंने जैसे ही सुना ..मुझे लगा यह भी किसी वृक्ष-रिक्श का चक्कर होगा...ढूंढ लिया होगा किसी पुरातन पेड़ को ..वैसे भी पर्यावरण दिन आने वाला है ...लेकिन तभी देखा कि वहां पर आगजनी हो रही है, लाठियां भंाजी जा रही हैं...सब कुछ अजीब सा लग रहा था..
अगले दिन पेपर में पढ़ लिया...कुछ कुछ समझ में आया...बहुत से खबरिया चैनलों पर अब विश्वास पूरा होता नहीं है..
दो दिन से खूब देख रहे हैं कि किस तरह से वहां मथुरा के उस पार्क में एक अलग सत्ता केन्द्र उस बंदे रामवृक्ष ने स्थापित कर रखा था..
एक बात और भी है कि हम वही देखते हैं वही सुनते हैं ..जो मीडिया हमें दिखाना चाहता है ...सब टीआरपी का चक्कर तो है ही, पैसों का भी चक्कर है ...बड़ा अजीबोगरीब बिजनेस माडल है हिंदोस्तान में मीडिया का ...सच्चाई जनता तो कहां पहुंच पाती है !
और कुछ दिखे न दिखे...ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी के बारे में सनसनीखेज खबरें ज़रूर देख-सुन ली कि उस के लोकसभा क्षेत्र में इतनी आगज़नी हो रही थी और वह अपनी शूटिंग के बारे में तस्वीरें ट्विट करती रही....वैसे सुनील दत्त को छोड़ कर सभी फिल्मी सितारे जो लोकसभा राज्यसभा पहुंचे, उन का ट्रैक रिकार्ड ऐसा ही है...यह मैंने एक रिपोर्ट में पढ़ा आज..शायद नवभारत टाइम्स में ...पूरे आंकड़ों के साथ उन सब का रिपोर्ट कार्ड लगा हुआ था...
मेरे मन में पिछले दो तीन दिन से कईं प्रश्न उठते रहे कि यार, यह बंदा रामवृक्ष ...शरीर से भी इतना हृष्ट-पुष्ट नहीं लग रहा..लेकिन इस की बॉडी-लैंग्वेज ..और इतना दुःस्साहस ...पता नहीं कौन इस के पीछे है...अकेला आदमी ऐसी हिम्मत नहीं कर सकता...कुछ तो ताकतें पीछे होंगी...
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पोस्ट का उद्देश्य केवल यही था कि किसी खबर को शेयर करते समय उस का सोर्स भी बता दिया करिए....यह बात मैंने दस -बारह साल पहले सीखी थी...आज ध्यान आया आप से साझा की जाए...it add to your credibility!