हमारे स्कूल कालेज के दौर के एक वाट्सएप ग्रुप में अपने दोस्त डा अमरजीत ने एक पोस्ट शेयर की...पढ़ते ही मन को छू गई...यही लगा कि यह तो इंगलिश में है ...ज़ाहिर है डाक्टर लोग इंगलिश में ही अपनी बात कहने में सहज महसूस करते हैं...
लेकिन उसे पढ़ते ही मन में ध्यान आया कि यार ऐसी बात तो हिंदी में भी लिख कर शेयर करनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग इस को पढ़ सकें... और एक सर्जन की ज़िंदगी के एक दिन से रू-ब-रू हो सकें...
एक सर्जन ने अपनी आप बीती लिखी है ...
जब हम लोग अपने बॉस को यह सब सुना चुके तो उसने फिर से प्रश्न दोहरा दिया...इस के अलावा आप लोगों ने क्या किया?
खीझे हुए हमारे चीफ रेज़ीडेंट ने तपाक से कह दिया.... हम लोगों ने एक और दिन की नींद, डिनर और परिवार के साथ अच्छा समय बिताना खो दिया...
अब हमारे बॉस ने कृष्ण भगवान की तरह कहना शुरू किया....
आप्रेशन के दौरान इस्तेमाल किए गये चाकू के एक कट से हम लोग एक परिवार को सड़क पर ले आ सकते हैं या उस खुदा के बंदे की उम्र को दसियों साल तक एक्सटेंड कर सकते हैं... हमारे फैसले मरीज़ की हालत तय करते हैं.. हमें ईश्वर ने इस नायाब प्रोफैशन के लिए चुना है ...हम खुशकिस्मत हैं........यह कहते ही बॉस ने अपनी कॉफी की आखिरी सिप लिया।
हम सब भी अपने अपने वार्डों की तरफ़ रवाना हो गये ....इस बात का अहसास करते हुए कि हम लोग कितने नोबल प्रोफैशन में हैं... और हमारे दिल फख्र और खाकसारी (pride and humility) महसूस कर रहे थे..
हम लोगों ने ता-उम्र के लिए एक सबक सीख लिया ....जब तक इस ब्रह्मांड में जीवन रहेगा..सभी तरह की कमियों के बावजूद हम लोग सब से उत्तम प्रोफैशन में हैं... और हम सच्चे हीरो हैं.....
बहुत अच्छा लगा किसी सर्जन की आपबीती पढ़ कर .. भावुक हो गया मैं भी ...कुछ और मैं इस में एड नहीं करना चाहता...बस यह कि यह सब काम करते हुए सर्जन और अन्य डाक्टरों को तरह तरह की भयंकर और जानलेवा बीमारियों का संक्रमण होने का खतरा लगातार बना रहता है ...
आज कल टीवी में फिल्मों के दौरान ब्रेक के समय एक्स्ट्रा-शॉट नाम से कुछ आता है जिस दौरान फिल्म के निर्माण के दौरान की कुछ बातें दिखाते बताते हैं...मैं भी शेयर करना चाहता हूं कि मैंने कैसे डा अमरजीत की इस पोस्ट को हिंदी में लिखा ..मोबाईल से देख देख कर इंगलिश को हिंदी में करना पड़ता तो मैं ऊब जाता....मैंने सोचा कि लैपटाप पर वाट्सएप खोल कर पोस्ट को कापी कर के व्लर्ड-डाक्यूमेंट में खोल लेता हूं .. लेिकन लैपटाप पर वाट्सएप ही न खुला ..फिर एक जुगाड़ किया ... पोस्ट को कापी किया...ब्लूटुथ से लैपटाप में ट्रांसफर किया... और वहां से प्रिंट-आउट लेकर सामने रखा ...फिर इंगलिश को हिंदी में लिखते लिखते यह पोस्ट लिख डाली.. पोस्ट को देखते यही लगा था कि इसे हिंदी में भी होना चाहिए... प्रूफ के लिए प्रिंट-आउट साथ लगा रहा हूं.. 😄😄😄
इतनी भारी भरकम बातों के बाद अब कुछ इबादत भी कर ली जाए... इस काफ़ी को हम अकसर सत्संग में सुना करते थे...सारी बातें मन को छूने वाली...
लेकिन उसे पढ़ते ही मन में ध्यान आया कि यार ऐसी बात तो हिंदी में भी लिख कर शेयर करनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग इस को पढ़ सकें... और एक सर्जन की ज़िंदगी के एक दिन से रू-ब-रू हो सकें...
एक सर्जन ने अपनी आप बीती लिखी है ...
उसने लिखा है ...आज सुबह राउंड के बाद जब हम लोग काफी पी रहे थे तो बॉस ने पूछा कि तुम लोगों ने कल क्या किया?
हम लोगों की कल रात बड़ी बिज़ी थी..हम लोगों सो भी नहीं पाए थे, ब्लड-ग्लूकोज़ का स्तर गिर रहा था..हम बहुत थके हुए थे.. हम लोगों में से कोई भी हंसी मज़ाक के लिए उस समय तैयार नहीं था..
कल रात १० बजे के करीब हम लोगों ने एक २० साल के इंजीनियरिंग छात्र का पेट खोल कर (लेपोरेटमी) उस की आंतों के अवरोध (small bowel obstruction) को ठीक किया... और इस आप्रेशन से फारिग हो कर, उस छात्र के चिंतित मां-बाप को तसल्ली देकर, हम लोग डिनर के लिए जा रहे थे कि हमें ट्रामा केयर सेंटर तुंरत आने के लिए कहा गया...
एक ३५ साल को बिजली विभाग का लाईनमेन था जो ड्यूटी के दौरान बिजली के खंभे से गिर गया था...उस के सी.टी स्कैन से पता चला कि उस के पेट के इर्द-गिर्द झिल्ली में रक्त भर गया था...(Hemoperitoneum)...और उस की तिल्ली (स्पलिन- spleen) कट गई थी... और वह शॉक की स्थिति में जाने लगा था...
उस की पत्नी लगभग ३० साल की, साथ में पांच साल के बच्चे के साथ बदहवास हालत में वहां पहुंच चुकी थी... और जब उसे आप्रेशन के लिए फार्म पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा तो वह तो बिल्कुल गुमसुम सी ही हो गई... उस लाइनमैन के साथियों ने उसे संभाला ...और मरीज को आप्रेशन थियेटर में ले जाया गया जहां पर उस की तिल्ली को निकाल दिया गया...
The usual ritual of profuse thanking by the family followed when we went out and our chief resident donned the role of a smiling Krishna reassuring a frightened Arjuna.
फिर उस के बाद हमने दो और मरीज़ों को दाखिल किया... एक की बाईं टांग भयंकर पक चुकी थी.. (cellulitis) और दूसरे मरीज़ में पित्ताशय़ की पथरियों की वजह से पैनक्रिया में सूजन आ गई थी...(pancreatitis)....और इन के इलाज उपचार में लगे रहे ...इतने में देखा तो हमारा सुबह का वार्ड राउंड लेने का समय हो चुका था..
जब हम लोग अपने बॉस को यह सब सुना चुके तो उसने फिर से प्रश्न दोहरा दिया...इस के अलावा आप लोगों ने क्या किया?
खीझे हुए हमारे चीफ रेज़ीडेंट ने तपाक से कह दिया.... हम लोगों ने एक और दिन की नींद, डिनर और परिवार के साथ अच्छा समय बिताना खो दिया...
अब हमारे बॉस ने कृष्ण भगवान की तरह कहना शुरू किया....
तुम चिकित्सकों के लिए वह १० सैंटीमीटर का सड़ी आंत का टुकड़ा था और एक कटी हुई तिल्ली थी जिसे तुम लोगों ने निकाल बाहर किया... लेिकन कल रात तुम लोगों ने एक दंपति के उस सपने को जीवित रखा जो वे पिछले बीस साल से देख रहे हैं... तुम लोगों ने एक कम उम्र की महिला को विधवा होने से भी बचा लिया... और एक छोटे बच्चे को हमेशा के लिए उस के बाप के साये से महरूम होने से बचा लिया... तुम लोगों ने एक ऐसे इंसान की मुसीबतें भी खत्म कीं जिस का कोई कसूर नहीं था ...हां, तुम लोगों ने एक रिक्शा वाले की टांग कटने से बचा ली क्योंकि तुम ने उस के तकलीफ़ का तुरंत समाधान कर दिया...We often don't understand the influence we exert on the lives of others. When we do, we all will be much more careful in our attitudes an actions.
एक रात की नींद और डिनर तो कुछ भी नहीं ....इस की तुलना में जो वे लोग खो देते अगर तुम लोग समय पर अपना काम न करते। अकसर हम लोग इस बात से बेपरवाह होते हैं कि हम दूसरों की ज़िंदगी को कितना प्रभावित कर सकते हैं.. जब हम में यह समझ आ जाती है तो हम लोगों का नज़रिया और दूसरों के प्रति व्यवहार बिल्कुल बदल जाता है ..
आप्रेशन के दौरान इस्तेमाल किए गये चाकू के एक कट से हम लोग एक परिवार को सड़क पर ले आ सकते हैं या उस खुदा के बंदे की उम्र को दसियों साल तक एक्सटेंड कर सकते हैं... हमारे फैसले मरीज़ की हालत तय करते हैं.. हमें ईश्वर ने इस नायाब प्रोफैशन के लिए चुना है ...हम खुशकिस्मत हैं........यह कहते ही बॉस ने अपनी कॉफी की आखिरी सिप लिया।
हम सब भी अपने अपने वार्डों की तरफ़ रवाना हो गये ....इस बात का अहसास करते हुए कि हम लोग कितने नोबल प्रोफैशन में हैं... और हमारे दिल फख्र और खाकसारी (pride and humility) महसूस कर रहे थे..
हम लोगों ने ता-उम्र के लिए एक सबक सीख लिया ....जब तक इस ब्रह्मांड में जीवन रहेगा..सभी तरह की कमियों के बावजूद हम लोग सब से उत्तम प्रोफैशन में हैं... और हम सच्चे हीरो हैं.....
बहुत अच्छा लगा किसी सर्जन की आपबीती पढ़ कर .. भावुक हो गया मैं भी ...कुछ और मैं इस में एड नहीं करना चाहता...बस यह कि यह सब काम करते हुए सर्जन और अन्य डाक्टरों को तरह तरह की भयंकर और जानलेवा बीमारियों का संक्रमण होने का खतरा लगातार बना रहता है ...
आज कल टीवी में फिल्मों के दौरान ब्रेक के समय एक्स्ट्रा-शॉट नाम से कुछ आता है जिस दौरान फिल्म के निर्माण के दौरान की कुछ बातें दिखाते बताते हैं...मैं भी शेयर करना चाहता हूं कि मैंने कैसे डा अमरजीत की इस पोस्ट को हिंदी में लिखा ..मोबाईल से देख देख कर इंगलिश को हिंदी में करना पड़ता तो मैं ऊब जाता....मैंने सोचा कि लैपटाप पर वाट्सएप खोल कर पोस्ट को कापी कर के व्लर्ड-डाक्यूमेंट में खोल लेता हूं .. लेिकन लैपटाप पर वाट्सएप ही न खुला ..फिर एक जुगाड़ किया ... पोस्ट को कापी किया...ब्लूटुथ से लैपटाप में ट्रांसफर किया... और वहां से प्रिंट-आउट लेकर सामने रखा ...फिर इंगलिश को हिंदी में लिखते लिखते यह पोस्ट लिख डाली.. पोस्ट को देखते यही लगा था कि इसे हिंदी में भी होना चाहिए... प्रूफ के लिए प्रिंट-आउट साथ लगा रहा हूं.. 😄😄😄
इतनी भारी भरकम बातों के बाद अब कुछ इबादत भी कर ली जाए... इस काफ़ी को हम अकसर सत्संग में सुना करते थे...सारी बातें मन को छूने वाली...