शुक्रवार, 1 अप्रैल 2016

वाट्स-एप डायरी से ..1.4.16

मैंने पिछले िदनों वाट्सएप पर आने वाले कुछ संदेशों को इस ब्लॉग पर सहेजना शुरू किया था...

कुछ दिनों वह सिलसिला चला...फिर मैं किसी और काम में मसरूफ़ हो गया..

लेिकन विभिन्न जगहों से इतने बढ़िया बढ़िया वाट्सएप संदेश आते हैं कि उन्हें पढ़ते ही लगता है कि इन्हें तो संभाल के रखना चाहिए, इसे आगे भी शेयर करना चाहिए...और इसे बार बार देखना चाहिए...मकसद सिर्फ इतना कि किसी के चेहरे पर हंसी आ जाए, कोई कुछ सोचने लगे...और शायद किसी को कोई रास्ता ही मिल जाए.....वैसे इतना भारी भरकम मकसद भी नहीं....Just a time pass!

इसीलिए मुझे आज अप्रैल फूल के दिन एक बार फिर से यह बेवकूफाना विचार आया है कि एक डायरी ही लगा लेनी चाहिए और दिन भर में जिन वाट्सएप संदेशों ने दिल को छुआ हो, उन्हें डॉयरी में लिख लेना चाहिए...

उस दिन भी मैंने एक पोस्ट में लिखा था कि मैं बाग में टहल रहा था तो किसी योग ग्रुप में किसी ने वाट्सएप पर मिले किसी संदेश को जब सारे ग्रुप में सुनाया तो सब लोगों के ठहाके मुझे बहुत अच्छे लगे...हर बंदा नेट से जुड़ा नहीं है, ऐसे में अगर कुछ अच्छे संदेश (अपनी पसंद के अनुसार) ऑफ लाईन यूज़ के लिए लिख लिए जाएं तो कैसा रहेगा...

और इस तरह की डायरी कभी कभी देखते रहने से हम उन मस्त लम्हों को बार बार जी पाते हैं...




अभी अभी बेटे ने भी एक बढ़िया अप्रैल फूल संदेश भेजा है...शायद यह बात मेरे ऊपर बिल्कुल सही बैठती है ...सच में...

और आज अप्रैल फूल के दिन का जश्न इस गीत से मनाते हुए पोस्ट को यहीं विराम देते हैं...