कल वाट्सएप में ये मैसेज मिले जिन्हें इस पोस्ट में शामिल कर रहा हूं.....लेिकन हैरानगी हुई कि टैक्स्ट में कोई भी ऐसा मैसेज वाट्सएप में नहीं दिखा जिसे इस पोस्ट में शामिल करने की मेरी इच्छा हुई हो...सब पुराना माल...दूसरों का मज़ाक उड़ाते, अजीब से ... जिन्हें एक बार पढ़ कर लगा कि काश! ये अभी के अभी भूल जाएं...
लेकिन ये फोटो यहां शामिल करने की इच्छा हुई..
और ये वीडियो भी वाट्सएप पर ही मिले हैं...
सत्संग में यह गीत अकसर सुनने को मिलता है... रुह की असली खुराक
निदा फ़ाज़ली साहब के बारे में विविध भारती के उद्घोषक युनूस खान का लेख रेडियोवाणी पर दिख गया आज सुबह सुबह...पढ़ कर अच्छा लगा ..आप भी यहां इसे पढ़ सकते हैं.. मुंह की बात सुने हर कोई, दिल के दर्द को जाने कौन!
रेडियोवाणी की इसी पोस्ट से पता चला कि यह सुपर-डुपर फिल्मी गीत..अजनबी कौन हो तुम..जब से तुम्हें देखा है ....यह भी निदा फ़ाज़ली साहब का दिया हुआ तोहफ़ा है....मुझे जैसे ही यह पता चला, मैं इसे सुनने बैठ गया..(फिल्म- स्वीकार किया मैंने)...