वाट्सएप ज्ञान गंगा के लिए मुझे भी वाट्सएप मैसेज ध्यान से पढ़ने होंगे...आज सुबह अभी मैंने वाट्सएप पर मिला यह वीडियो देखा तो इस के क्लाईमेक्स तक पहुंचते पहुंचते आंखें नम हो गईं...काश, हम सब की सोच ऐसी हो जाए...कैसी?....भागने वाले बच्चे की सोच जैसी, या फिर गाड़ी में सवार बच्चे के जैसी !!
यह वीडियो हमेशा मेरे ध्यान में रहेगी....it's a fact of life!
हां, पिछले दो दिन में कुछ मैसेज ऐसे भी आए जिन्हें भी याद रखना होगा...शायद आपने पहले भी इस तरह के पैट्रोल की घटतौली के बारे में पढ़ा हो..लेिकन इस में भी बड़ी स्पष्टता से सब कुछ वर्णन किया गया है...
संदेश एक और भी मिला लेकिन उस में थोड़ा सा बदलाव मैं अपनी तरफ़ से करना चाहता हूं ..अगर आप की अनुमति हो तो ...आप पहले इसे पढ़ लीजिए, बाद में बदलाव करता हूं...
सारा दिन दुनिया भर के संदेश इधर से उधर करते हांफ जाते हैं लेिकन अपने ही आस पास जो हो रहा है उसी से बेखबर रहते हैं...बिल्कुल मुन्ना भाई के इस बेहतरीन संवाद की तरह .. एक एक शब्द पर ध्यान देने की ज़रूरत है ... शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है, अगर जीना यही है तो मरना क्या है!
इसी बात पर मां की कला का एक नमूना हो जाए...मां ने यह कैप मेरी बहन के लिए तैयार की है ...God bless her...she is very creative and positive ...and full of life!.... मां की सब से बड़ी खूबी बताऊं...उन्होंने हम बच्चों को कभी पीटा नहीं ....सच में, एक बार भी नहीं...और कभी कुछ भी करने के िलए मना नहीं किया .. जीवन के हर लम्हे में बच्चों की खुशी में अपनी खुशी तलाशतीं!!
मेरे विचार में वाट्सएप ज्ञान गंगा के नाम पर आज के लिए इतना ही काफी है...Enough food for thought for the day!
यह वीडियो हमेशा मेरे ध्यान में रहेगी....it's a fact of life!
हां, पिछले दो दिन में कुछ मैसेज ऐसे भी आए जिन्हें भी याद रखना होगा...शायद आपने पहले भी इस तरह के पैट्रोल की घटतौली के बारे में पढ़ा हो..लेिकन इस में भी बड़ी स्पष्टता से सब कुछ वर्णन किया गया है...
कैसे पेट्रोल पंप वाले डालते हैं आपकी(वाट्सएप से मिला यह संदेश)
गाडी में कम पेट्रोल, जानकर चौंक पड़ेंगे आप"
जरा समझिए -
'कोहराम टीम' को काफी दिनों से
पेट्रोल
पम्पों द्वारा कम पेट्रोल डाले जाने की
सूचनाआएँ मिल
रही थी,लेकिन ये बात समझ में
नहीं आ पा रही थी
की जब मीटर चलता है तो ये पेट्रोल
पंप वाले कम पेट्रोल कैसे डाल देते हैं इसी
उधेड़बुन को लेकर कोहराम का एक रिपोर्टर
पेट्रोल पम्प पर
पेट्रोल डलवाने गया जहाँ से ये शिकायते आ
रही
थी.
पढ़िए रिपोर्टर की ज़ुबानी:-
जब मैं पेट्रोल पम्प पर पहुँचा तब मुझसे पहले दो
और लोग
पेट्रोल डलवा रहे थे इसीलिए मैंने भी
अपनी बाइक लाइन में लगा दी और गौर
से कर्मचारियों के पेट्रोल डालने का
निरीक्षण करने
लगा, मुझसे पहले मारुती स्विफ्ट वाला
पेट्रोल डलवा
रहा था, उसने एक हज़ार रुपए का नोट
गाड़ी के
अन्दर से ही कर्मचारी को दिया चूँकि
बारिश हो रही थी इसीलिए
ड्राईवर ने बाहर आना उचित नही समझा.
कर्मचारी ने पहले मीटर शून्य किया
फिर उसमें हजार रुपए फीड किये और नोज़ल
लेकर
पेट्रोल डालने लगा इस समय मैं यह सोचने में
व्यस्त था
की जब मीटर में हज़ार रुपए
फीड कर दिए गये हैं तो निसंदेह हज़ार का
ही पेट्रोल निकलेगा, फिर मैंने सोचा अगर
मीटर में कुछ गड़बड़ नही है तो फिर
आखिर ये लोग कैसे लोगों को बेवक़ूफ़ बनाकर
कम पेट्रोल डाल
देते हैं? हो सकता है मुझे झूठी शिकायत
मिली हो...!
बस यही सोचते-सोचते मेरे सीधा ध्यान
नोज़ल पर था तभी मुझे अचानक से
कर्मचारी के हाथ में कुछ हरकत महसूस हुई
उसने इतने धीरे से हाथ हिलाया की
पास खड़े शख्स को भी सँदेह न हो पाए लगभग
20 या 30 सैकिंड बाद फिर उसने वही हरकत
दोबारा की, अब मुझे दाल में कुछ काला
लगा कि आखिर
इसने दो बार हाथ में हरकत क्यूँ की जबकि
नोज़ल
का स्विच एक बार दबा देने पर स्वत: पेट्रोल
टंकी
में गिरने लगता है. इतने में स्विफ्ट में 1000 Rs
का पेट्रोल
डालने के बाद उसने मुझसे आगे वाली बाइक में
100
का पेट्रोल डालना शुरू कर दिया, उसने वही
क्रिया
फिर दोहराई पहले मीटर को शून्य किया
फिर नोज़ल
टंकी में डालकर पेट्रोल डालने लगा लेकिन
अचानक
से उसने हाथ में फिर हरकत की लेकिन इस बार
की हरकत 20 या 30 सैकिंड की न
होकर 8 से10 सैकिंड की थी. अब
मुझे समझ में आ गया हो न हो इसके नोज़ल में
ही कुछ गड़बड़ है.
खैर उसके बाद मेरा नम्बर भी आ गया मैंने 200
रुपए देकर पेट्रोल डालने को कहा उसने फिर
मीटर
जीरो किया और नोज़ल डालकर पेट्रोल
डालने लगा,
इस बार मेरा पूरा ध्यान कर्मचारी की
उंगलियों पर था अभी नोज्ज़िल डाले कुछ
ही सेकंड बीते होंगे की
उसने उंगलियों में कुछ हरकत की लेकिन में पहले
से ही तैयार था तो उसके हरकत करते
ही मैंने उसका हाथ पकड़कर नोज़ल बाहर
खींच लिया, इस हरकत से कर्मचारी
घबरा गया और मेरी बाइक भी लड़खड़ा
गयी लेकिन ये क्या नोज़ल से तो पेट्रोल आ
ही नही रहा था?
होता कुछ यूँ है की जिस नोज़ल से
कर्मचारी पेट्रोल डालते हैं उसका सम्बन्ध
मीटर से होता है अगर मीटर में 200
रुपए का पेट्रोल फीड किया गया है तो एक
बार
नोज्ज़िल का स्विच दबाने पर स्वतः 200
रुपए का पेट्रोल डल
जायेगा उसे ऑफ करने की कोई ज़रूरत
नहीं पड़ती, स्विच सिर्फ
मीटर को ऑन करने के लिए होता है उसका ऑफ
से कोई सम्बन्ध नहीं होता क्योंकि
मीटर फीड की हुई वैल्यू
खत्म होने पर रुक जाता है अगर पेट्रोल डालते
समय नोज़ल
का स्विच बंद कर दिया जाएये तो मीटर
चलता रहता
है लेकिन नोज़ल बंद होने की वजह से पेट्रोल
बाहर नहीं निकलता, इसी बात का
फायदा उठाकर कर्मचारी करते ये हैं कि जब
भी कोई पेट्रोल डलवाता है तो बीच-
बीच में स्विच-ऑफ कर देते हैं जिससे रुक-रुक
कर पेट्रोल टंकी में जाता है और हम
कंपनी को कम mileage की
गाड़ी कहकर कोसकर चुप हो जाते हैं.
फर्ज़ कीजिये आप पेट्रोल पम्प पर गये और 200
रुपए का पेट्रोल डलवाया 200 रुपए का
पेट्रोल डलने में
30-45 सेकंड का समय लगता है आपका सारा
ध्यान
मीटर की रीडिंग पढ़ने में
निकल जाता है और अगर ये लोग 10 सेकंड के
लिए
भी स्विच ऑफ करते हैं तो समझ
लीजिये आपका 50 रुपए का पेट्रोल कम
डाला गया
है.
कृपया सभी लोग आगे से जब भी पेट्रोल
लेने जाएँ और आपके साथ भी ऐसा कुछ हो तो
इसका कड़ा विरोध करें. इसे ज्यादा से
ज्यादा share & forward
करें. धन्यवाद.
संदेश एक और भी मिला लेकिन उस में थोड़ा सा बदलाव मैं अपनी तरफ़ से करना चाहता हूं ..अगर आप की अनुमति हो तो ...आप पहले इसे पढ़ लीजिए, बाद में बदलाव करता हूं...
बदलाव बस इतना सा ही करना चाहता हूं इस वाट्सएप मैसेज में कि मुझे हंसी नहीं आती इस सिचुएशन में, मुझ में करूणा के भाव उमड़ने लगते हैं ....ज्यादा काव्यमयी हो रहा हूं, कोई बात नहीं, अगले मैसेज बिल्कुल हल्के-फुल्के हैं...लेकिन जीवन का सार समेटे हुए..सड़े हुए तेल से बने भटुरे और स्मोसेसल्फर के तेज़ाब वाले पानी के गोलगप्पे1 ही पत्ती से कई बार बनी चायडिटर्जेंट पाव्डर वाला दूधनाली किनारे बिकने वाली सब्ज़ियाँकभी न साफ़ हुई टैंकी का पानी पीने वालेशराब और सिगरेट पी कर फेफडो और लिवर को खराब करने वालेतम्बाकू खाकर मुहं का कैन्सर करने वालेखुज्लाते हाथो से बनी ढाबे की रोटियॉ खाने वालेबर्डफ्लु वाले मुर्गे खाने वाले लोग जब ये पूछते है क़ि>>>>>>>>
medicine का कोई side effect तो नहीं
तो मन ही मन बहुत हँसी आती है
सारा दिन दुनिया भर के संदेश इधर से उधर करते हांफ जाते हैं लेिकन अपने ही आस पास जो हो रहा है उसी से बेखबर रहते हैं...बिल्कुल मुन्ना भाई के इस बेहतरीन संवाद की तरह .. एक एक शब्द पर ध्यान देने की ज़रूरत है ... शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है, अगर जीना यही है तो मरना क्या है!
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मेरे विचार में वाट्सएप ज्ञान गंगा के नाम पर आज के लिए इतना ही काफी है...Enough food for thought for the day!