खबर तो शायद आपने कल ही टीवी पर देख सुन ली होगी..क्योंकि मैंने आजकल टीवी देखना बंद किया हुआ है, मुझे अभी अखबार से पता चला कि यूपी में बिजली बिलों में एक अरब का घोटाला पकड़ में आया है।
बिजली बिल तैयार करने के नेटवर्क को हैक कर आईटी कंपनी एचसीएल और पावर कॉरपोरेशन के कुछ इंजीनियरों ने बीते तीन सालों में सरकार को १०० करोड़ रूपये से ज़्यादा का चूना लगाया है।
एसटीएफ के अनुसार, घोटाले में १० एसडीओ की मिलीभगत है। कॉरपोरेशन के इंजीनियर अपनी गोपनीय आईडी को ५० हज़ार रुपये घंटे पर किराये पर देकर लाखों की कमाई कर रहे थे।
घोटाले पे घोटाले हो रहे हैं..लेकिन पता नहीं जब भी एक नया घोटाला सामने आता है तो मुझे वह घोटाला कुछ भी नहीं लगता, मुझे उसी समय ३४ साल पहले हुए अपने पीएमटी के पर्चे का ध्य़ान आ जाता है....मैं अकसर यही सोचता हूं कि १९८० में हुए उस एग्ज़ाम में पेपर लीक होने से लेकर उत्तरपुस्तिकाओं की जांच तक की स्टेज पर क्या कुछ नहीं हुआ होगा...बहुत सी बातें उस दौरान सुनने में आईं थीं लेकिन......।
१०० नंबर का पर्चा था...जिस में डिस्क्रिप्टिव स्टाईल के भी बहुत से प्रश्न से... आज के ही दौर में हम लोग सुनते हैं कि क्या क्या धांधलियां चल रही हैं तो उस समय की तो बात ही क्या करें....रसूख के बल पर लोग कुछ भी करवा लिया करते थे।
वैसे मैंने भी सुबह सुबह क्या बेकार सा टॉपिक पकड़ लिया है....घोटालों का .....अब यह भी कोई विषय है लिखने के लिए.....हर तरफ़ घोटाले ही घोटाले तो हैं.....लेकिन इन घोटालेबाज़ों का ध्यान उस समय भी कल शाम को आया जब मैंने एक बिल्कुल कमज़ोर सी महिला बाज़ार में देखी....बेचारी बिल्कुल सूखी हुई...एक तरह से ढांचा ही रह गया था....मुझे उस समय चलते चलते यही ध्यान आया कि पता नहीं किस इस का हक किस हरामज़ादे घोटालेबाज ने अपने पास दबा के रखा होगा!
मेरा विश्वास है कि हर गरीब हाशिये पर जीने वाले की दयनीय स्थिति के पीछे किसी न किसी हरामी घपलेबाज का हाथ तो होता ही है....इन के हिस्से का पैसा यही लोग हड़प कर सफेदपोशों के वेश में घूमते रहते हैं.....इन्हें तिल तिल मरने के लिए छोड़ देते हुए।