पहले जो झोलाछाप डाक्टर होते थे वे लोग ही ज़्यादातर लच्छेदार भाषा वाले विज्ञापन अखबारों में या तो छपवा लिया करते थे, नहीं तो अखबार खोलते ही उन के दो तीन पेम्फलेट सब से पहले हाथ लगा करते थे।
लेकिन आज कल आप ने देखा होगा कि जैसे सारी अखबार में विशेषकर हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं की अखबारों में जैसे सारे विशेषज्ञों की एक प्रदर्शनी लगी होती है। हर विज्ञापन में बीमारी की बात ही की जाती है, सेहत की बात कोई नहीं करता।
कुछ प्लास्टिक सर्जनों के विज्ञापन इस तरह के होते हैं कि उन्हें देख पढ़ कर लगता है कि क्या प्लास्टिक सर्जरी केवल इसलिए ही है कि किसी के वक्ष सुढौल बना दें, किसी के ऊपर उठा दें, किसी की योनि मार्ग टाइट कर दें, पुरूषों की छाती का फैट कम कर दें, उन के लिंग का आकार बड़ा कर दें........दो दिन पहले तो एक विज्ञापन में बड़ी सी फोटो के साथ यह भी बताया गया था कि महिलाएं प्लास्टिक सर्जरी के द्वारा अपनी ब्रेस्ट में कैसे परफैक्ट क्लिवेज प्राप्त कर सकती हैं!
इसी तरह के दर्जनों विज्ञापन देख कर जो मन में विचार आते हैं वे मैं यहां लिख नहीं सकता..एक प्लास्टिक सर्जरी की ही बात नहीं कर रहा हूं, एक तरह से बाज़ार सजा होता है कि किसी तरह कोई बीमार तो पड़े...फिर हमारा जलवा देखिए।
सोचने की बात है कि फिर आम आदमी को सेहत से संबंधित सटीक जानकारी मिले तो कैसे मिले... मैं पहले भी बहुत बार लिख चुका हूं कि वह जानकारी केवल और केवल आप को आल इंडिया रेडियो -विविध भारती या विभिन्न सरकारी टीवी चैनलों पर ही मिल सकती है......because there is no conflict of interest....ये विशेषज्ञों का चुनाव बड़ा सोच समझ कर करते हैं। लेिकन अफसोस इस बात का है कि ये सब बहुत कम लोग सुनते हैं ...खबरियां चैनलों की चटपटी चाट जैसी खबरों की लत जो लग चुकी है जनता को!...बहरहाल, अपनी अपनी पसंद है।
कल सोमवार था...विविध भारती पर मोटापा से संबंधित सेहतनामा कार्यक्रम में शाम चार से पांच बजे तक एक प्रोग्राम आया था....मैंने उसे रिकार्ड किया आप तक पहुंचाने के लिए....इस पोस्ट के नीचे उसे एम्बेड कर रहा हूं, आप सुन सकते हैं।
इस तरह के प्रोग्राम के बारे में मैं बस इतना जानता हूं कि जिस तरह से एक विशेषज्ञ अपने विषय से संबंधित जानकारी आप तक पहुंचा रहा है, वह प्रशंसनीय है।
एक बात और, जो महिला या पुरूष उस विशेषज्ञ का इंटरव्यू ले रहे होते हैं, आप को लगता है कि वे भी आप के मन की ही बातें उस से पूछ रहे हैं......इस प्रोग्राम में आप देखेंगे कि जब डाक्टर से मोटापा कम करने वाली सर्जरी में होने वाले खर्च के बारे में पूछा गया तो उस ने प्रश्न को थोड़ा इधर उधर घुमाने की कोशिश की, लेकिन इंटरव्यू लेने वाली ने भी उस का जवाब ले कर ही छोड़ा।
दो तरह के आप्रेशन होते हैं ...एक आसान सा है, दूसरा थोड़ा जटिल सा है, आसान वाले का आप्रेशन सवा लाख के करीब बताया गया है....आप को ध्यान होगा कुछ राजनीतिक बड़ी हस्तियों ने भी इस तरह के आप्रेशन कुछ अरसा पहले करवाए थे।
आप इस कार्यक्रम के दौरान सुनेंगे कि कुछ विज्ञापन भी आएंगे.....पहले इस कार्यक्रम में विज्ञापन नहीं आते थे, लेिकन उन से आप को कोई गिला-शिकवा भी नहीं होना चाहिए, सरकारी पॉलिसी है, राजस्व सरकार के पास भी तो जाना चाहिए, हमें तो इसी से इत्मीनान कर लेना चाहिए कि इतने बेहतरीन कार्यक्रम हमारे तक पहुंचाए जा रहे हैं।
एक बात वह सर्जन थोड़ी हल्की कर गया...जब उस से पूछा गया कि लोग वजन कम करने के लिए तरह तरह की दवाईयां, हर्बल चाय या अन्य कईं तरह के जुगाड़ प्रयोग करते हैं तो उसने कितनी आसानी से कह दिया कि मैं मरीज़ों को कहता हूं कि पहले आप वे सब इस्तेमाल कर के देख लें, फिर मेरे पास आइए।
यह भाषा किसी सरकारी डाक्टर की नहीं थी, क्योंकि सरकारी डाक्टर तो यह चाहेगा कि चाहे मरीज़ मोटापा कम करने वाला आप्रेशन करवाए या न करवाए, लेकिन वह किसी तरह की हर्बल जुगाड़बाजी से कहीं अपनी सेहत खराब न कर ले.......ये जुगाड़ क्या तबाही मचाते हैं, इसके लिए इस लिकं को देखिए....पतला करने वाले हर्बल जुगाड़..सावधान
आज के लिए बस इतना ही.....उस विशेषज्ञ ने सारी बातें तो बहुत काम की बताई हैं....खाने पीने की, शारीरिक श्रम की... चलिए हम पहले इन्हें ही मान लेने का संकल्प करते हैं।
लेकिन आज कल आप ने देखा होगा कि जैसे सारी अखबार में विशेषकर हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं की अखबारों में जैसे सारे विशेषज्ञों की एक प्रदर्शनी लगी होती है। हर विज्ञापन में बीमारी की बात ही की जाती है, सेहत की बात कोई नहीं करता।
कुछ प्लास्टिक सर्जनों के विज्ञापन इस तरह के होते हैं कि उन्हें देख पढ़ कर लगता है कि क्या प्लास्टिक सर्जरी केवल इसलिए ही है कि किसी के वक्ष सुढौल बना दें, किसी के ऊपर उठा दें, किसी की योनि मार्ग टाइट कर दें, पुरूषों की छाती का फैट कम कर दें, उन के लिंग का आकार बड़ा कर दें........दो दिन पहले तो एक विज्ञापन में बड़ी सी फोटो के साथ यह भी बताया गया था कि महिलाएं प्लास्टिक सर्जरी के द्वारा अपनी ब्रेस्ट में कैसे परफैक्ट क्लिवेज प्राप्त कर सकती हैं!
इसी तरह के दर्जनों विज्ञापन देख कर जो मन में विचार आते हैं वे मैं यहां लिख नहीं सकता..एक प्लास्टिक सर्जरी की ही बात नहीं कर रहा हूं, एक तरह से बाज़ार सजा होता है कि किसी तरह कोई बीमार तो पड़े...फिर हमारा जलवा देखिए।
सोचने की बात है कि फिर आम आदमी को सेहत से संबंधित सटीक जानकारी मिले तो कैसे मिले... मैं पहले भी बहुत बार लिख चुका हूं कि वह जानकारी केवल और केवल आप को आल इंडिया रेडियो -विविध भारती या विभिन्न सरकारी टीवी चैनलों पर ही मिल सकती है......because there is no conflict of interest....ये विशेषज्ञों का चुनाव बड़ा सोच समझ कर करते हैं। लेिकन अफसोस इस बात का है कि ये सब बहुत कम लोग सुनते हैं ...खबरियां चैनलों की चटपटी चाट जैसी खबरों की लत जो लग चुकी है जनता को!...बहरहाल, अपनी अपनी पसंद है।
बचपन की रेडियों की सभी यादें इस तरह के रेडियो से जुड़ी हैं. |
इस तरह के प्रोग्राम के बारे में मैं बस इतना जानता हूं कि जिस तरह से एक विशेषज्ञ अपने विषय से संबंधित जानकारी आप तक पहुंचा रहा है, वह प्रशंसनीय है।
एक बात और, जो महिला या पुरूष उस विशेषज्ञ का इंटरव्यू ले रहे होते हैं, आप को लगता है कि वे भी आप के मन की ही बातें उस से पूछ रहे हैं......इस प्रोग्राम में आप देखेंगे कि जब डाक्टर से मोटापा कम करने वाली सर्जरी में होने वाले खर्च के बारे में पूछा गया तो उस ने प्रश्न को थोड़ा इधर उधर घुमाने की कोशिश की, लेकिन इंटरव्यू लेने वाली ने भी उस का जवाब ले कर ही छोड़ा।
दो तरह के आप्रेशन होते हैं ...एक आसान सा है, दूसरा थोड़ा जटिल सा है, आसान वाले का आप्रेशन सवा लाख के करीब बताया गया है....आप को ध्यान होगा कुछ राजनीतिक बड़ी हस्तियों ने भी इस तरह के आप्रेशन कुछ अरसा पहले करवाए थे।
आप इस कार्यक्रम के दौरान सुनेंगे कि कुछ विज्ञापन भी आएंगे.....पहले इस कार्यक्रम में विज्ञापन नहीं आते थे, लेिकन उन से आप को कोई गिला-शिकवा भी नहीं होना चाहिए, सरकारी पॉलिसी है, राजस्व सरकार के पास भी तो जाना चाहिए, हमें तो इसी से इत्मीनान कर लेना चाहिए कि इतने बेहतरीन कार्यक्रम हमारे तक पहुंचाए जा रहे हैं।
एक बात वह सर्जन थोड़ी हल्की कर गया...जब उस से पूछा गया कि लोग वजन कम करने के लिए तरह तरह की दवाईयां, हर्बल चाय या अन्य कईं तरह के जुगाड़ प्रयोग करते हैं तो उसने कितनी आसानी से कह दिया कि मैं मरीज़ों को कहता हूं कि पहले आप वे सब इस्तेमाल कर के देख लें, फिर मेरे पास आइए।
यह भाषा किसी सरकारी डाक्टर की नहीं थी, क्योंकि सरकारी डाक्टर तो यह चाहेगा कि चाहे मरीज़ मोटापा कम करने वाला आप्रेशन करवाए या न करवाए, लेकिन वह किसी तरह की हर्बल जुगाड़बाजी से कहीं अपनी सेहत खराब न कर ले.......ये जुगाड़ क्या तबाही मचाते हैं, इसके लिए इस लिकं को देखिए....पतला करने वाले हर्बल जुगाड़..सावधान
आज के लिए बस इतना ही.....उस विशेषज्ञ ने सारी बातें तो बहुत काम की बताई हैं....खाने पीने की, शारीरिक श्रम की... चलिए हम पहले इन्हें ही मान लेने का संकल्प करते हैं।