यह तस्वीर जिस महिला की आप देख रहे हैं यह ४० वर्ष की हैं...पिछले बहुत से वर्षों से गुटखा-पानमसाला खाती रही हैं लेिकन पिछले दस वर्ष से बंद किया हुआ है जो इसने मुझे बताया।
इन के मुंह के हालात इन की बात की पुष्टि नहीं करते ...अगर दस साल से सब कुछ छोड़ रखा है तो सामान्यतयः मुंह के अंदर की चमड़ी इतनी खराब हालत में नहीं होती, मुझे ऐसा लगता था...तीन चार बार पहले भी यह अपने इलाज के लिए यह मेरे पास आ चुकी हैं, आज फिर जब मैंने अचानक पूछ लिया कि मुंह के अंदर मसूडों एवं गालों के अंदरूनी हिस्से में कुछ लगाती तो नहीं।
अचानक कहने लगी कि मैं तो बस फलां फलां मंजन करती हूं....उस मंजन का नाम ही सुन कर मेरा दिगाम एक बार तो चकरा गया। यह वही मंजन है जिसने सारे देश में कहर बरपा रखा है...इस में बहुत ज़्यादा मात्रा में तंबाकू मिला हुआ होता है। इस नाम से मंजन भी आता है और पेस्ट भी।
मुझे अच्छे से याद है आज से पच्चीस वर्ष पहले की १९८९ के आस पास की बात है....अखबारों में बड़ी बड़ी खबरें आया करती थीं कि गुजरात में कुछ महिलाओं को इस तरह के तंबाकू वाले मंजन-पेस्ट दांतों पर घिसने की लत लग चुकी है......दांत साफ़ करने का तो एक बहाना है, लेकिन जब भी तंबाकू की तलब होती है तो वे इस पावडर या पेस्ट को लेकर बैठ जाती हैं, और दिन मंें कईं कईं बार यह सिलसिला चलता रहता है.......हालात इतने खराब हो गये कि कुछ महिलाएं एक ही दिन में उस पावडर की एक डिब्बी या पेस्ट ही घिस दिया करती थीं.....नतीजा यह हुआ कि वहां की महिलाओं में मुंह के कैंसर हो गया....फिर कंपनी पर मुकदमेबाजी हुई.....लेकिन आप भी जानते हैं कि इस तरह की मुकदमेबाजी का क्या होता है!...उस के बारे में क्या लिखूं, लेकिन वास्तविकता यही है कि उस तरह के सभी तंबाकू वाले मंजन-पेस्ट धड़ल्ले से िबक रहे हैं।
मुंह के कैंसर के मरीज़ों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।
जिस महिला के गाल की तसवीर आपने ऊपर देखी जो कि सफेद हो रहे हैं, कुछ कुछ मसूडे भी सफेद हो गये थे... जो कि केवल तंबाकू वाले घिसने का ही प्रभाव था। इस की जुबान की तस्वीर यहां पर देख रहे हैं, यह संभवतः तंबाकू की वजह से नहीं है, लेकिन फिर भी यह सामान्य नहीं है, यह सेहतमंद जुबान की तस्वीर नहीं है, मैंने भी ऐसी जुबान पहली बार देखी होगी, इसलिए उसे किसी ओरल-मेडीसन के विशेषज्ञ के पास भेजेंगे...ताकि उस का भी समुचित इलाज हो सके, जुबान वाली तकलीफ़ कोई गंभीर समस्या नहीं है, जुबान को देखने से ही पता चल रहा है कि शरीर में ज़रूरी तत्वों की कमी तो है ही ..लेिकन फिर भी एक बार विशेषज्ञ को िदखाना जरूरी है, ताकि समुचित इलाज शुरू करवाया जा सके।
तंबाकू वाला मंजन यह औरत अपने गालों एवं मसूडों पर दिन में दो बार घिसती हैं, कहती हैं कि पेस्ट तो मैं अलग से करती ही हूं.....यह अलग से है....मैंने इसे गुजरात की औरतों वाली बात सुनाईं...कहने लगी उस की पड़ोसिन को तो बहुत ज़्यादा लत है इस की .....वह तो खूब बड़ा सा डिब्बा मंगवा लेती है और दिन में दस-बारह बार जब तक ये मंजना दांतों पर न घिस ले उस को चैन नहीं पड़ता। आगे बताने लगी कि उस के मुंह में घाव से हैं, और वह नमक, मिर्च, मसाला कुछ भी नहीं खा पाती.....मुझे उस औरत के मुंह की भी चिंता हुई. मैंने इसे कहा कि उसे भी लेकर आए।
यह औरत कहती हैं कि उसे लत नहीं है क्योंकि जब वह घर से बाहर किसी रिश्तेदार आदि के यहां रहने के लिए जाती है तो वहां पर यह इस तरह के मंजन-वंजन नहीं घिसती, इसे इस की तलब नहीं होती। पांच वर्ष से यह इसे घिस रही हैं और इन्हें इस की तलब न होती हो, मेरे को यह बात पूरी हजम तो नहीं हुई।
मेरे यह पूछने पर कि क्या घर में और भी कोई इस तंबाकू वाले मंजन को इस्तेमाल करता है .बताने लगीं कि नहीं...इस का बेटा तो इसे हर बार टोकता है कि यह मंजन करती हो, आप के मुंह से बास आती है, थोड़ा दूर से बात किया करो।
रोज़ रोज़ वही बातें, हर रोज़ वही बातें दोहरा दोहरा के, वही बातें समझा समझा के कभी कभी अजीब सा लगता है, फिर अगले ही पल ध्यान आता है कि यही तो अपना कर्म है!
इस औरत को समझा िदया है कि आज ही जा कर उस मंजन को कचरे में फैंक दे, और अपनी पड़ोसन को भी यह सब बताए और उसे साथ लेकर आए..........पता नहीं बात मानेगी भी नहीं! .....Tobacco is playing havoc with health of masses!
इन के मुंह के हालात इन की बात की पुष्टि नहीं करते ...अगर दस साल से सब कुछ छोड़ रखा है तो सामान्यतयः मुंह के अंदर की चमड़ी इतनी खराब हालत में नहीं होती, मुझे ऐसा लगता था...तीन चार बार पहले भी यह अपने इलाज के लिए यह मेरे पास आ चुकी हैं, आज फिर जब मैंने अचानक पूछ लिया कि मुंह के अंदर मसूडों एवं गालों के अंदरूनी हिस्से में कुछ लगाती तो नहीं।
अचानक कहने लगी कि मैं तो बस फलां फलां मंजन करती हूं....उस मंजन का नाम ही सुन कर मेरा दिगाम एक बार तो चकरा गया। यह वही मंजन है जिसने सारे देश में कहर बरपा रखा है...इस में बहुत ज़्यादा मात्रा में तंबाकू मिला हुआ होता है। इस नाम से मंजन भी आता है और पेस्ट भी।
मुझे अच्छे से याद है आज से पच्चीस वर्ष पहले की १९८९ के आस पास की बात है....अखबारों में बड़ी बड़ी खबरें आया करती थीं कि गुजरात में कुछ महिलाओं को इस तरह के तंबाकू वाले मंजन-पेस्ट दांतों पर घिसने की लत लग चुकी है......दांत साफ़ करने का तो एक बहाना है, लेकिन जब भी तंबाकू की तलब होती है तो वे इस पावडर या पेस्ट को लेकर बैठ जाती हैं, और दिन मंें कईं कईं बार यह सिलसिला चलता रहता है.......हालात इतने खराब हो गये कि कुछ महिलाएं एक ही दिन में उस पावडर की एक डिब्बी या पेस्ट ही घिस दिया करती थीं.....नतीजा यह हुआ कि वहां की महिलाओं में मुंह के कैंसर हो गया....फिर कंपनी पर मुकदमेबाजी हुई.....लेकिन आप भी जानते हैं कि इस तरह की मुकदमेबाजी का क्या होता है!...उस के बारे में क्या लिखूं, लेकिन वास्तविकता यही है कि उस तरह के सभी तंबाकू वाले मंजन-पेस्ट धड़ल्ले से िबक रहे हैं।
मुंह के कैंसर के मरीज़ों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।
जिस महिला के गाल की तसवीर आपने ऊपर देखी जो कि सफेद हो रहे हैं, कुछ कुछ मसूडे भी सफेद हो गये थे... जो कि केवल तंबाकू वाले घिसने का ही प्रभाव था। इस की जुबान की तस्वीर यहां पर देख रहे हैं, यह संभवतः तंबाकू की वजह से नहीं है, लेकिन फिर भी यह सामान्य नहीं है, यह सेहतमंद जुबान की तस्वीर नहीं है, मैंने भी ऐसी जुबान पहली बार देखी होगी, इसलिए उसे किसी ओरल-मेडीसन के विशेषज्ञ के पास भेजेंगे...ताकि उस का भी समुचित इलाज हो सके, जुबान वाली तकलीफ़ कोई गंभीर समस्या नहीं है, जुबान को देखने से ही पता चल रहा है कि शरीर में ज़रूरी तत्वों की कमी तो है ही ..लेिकन फिर भी एक बार विशेषज्ञ को िदखाना जरूरी है, ताकि समुचित इलाज शुरू करवाया जा सके।
तंबाकू वाला मंजन यह औरत अपने गालों एवं मसूडों पर दिन में दो बार घिसती हैं, कहती हैं कि पेस्ट तो मैं अलग से करती ही हूं.....यह अलग से है....मैंने इसे गुजरात की औरतों वाली बात सुनाईं...कहने लगी उस की पड़ोसिन को तो बहुत ज़्यादा लत है इस की .....वह तो खूब बड़ा सा डिब्बा मंगवा लेती है और दिन में दस-बारह बार जब तक ये मंजना दांतों पर न घिस ले उस को चैन नहीं पड़ता। आगे बताने लगी कि उस के मुंह में घाव से हैं, और वह नमक, मिर्च, मसाला कुछ भी नहीं खा पाती.....मुझे उस औरत के मुंह की भी चिंता हुई. मैंने इसे कहा कि उसे भी लेकर आए।
यह औरत कहती हैं कि उसे लत नहीं है क्योंकि जब वह घर से बाहर किसी रिश्तेदार आदि के यहां रहने के लिए जाती है तो वहां पर यह इस तरह के मंजन-वंजन नहीं घिसती, इसे इस की तलब नहीं होती। पांच वर्ष से यह इसे घिस रही हैं और इन्हें इस की तलब न होती हो, मेरे को यह बात पूरी हजम तो नहीं हुई।
मेरे यह पूछने पर कि क्या घर में और भी कोई इस तंबाकू वाले मंजन को इस्तेमाल करता है .बताने लगीं कि नहीं...इस का बेटा तो इसे हर बार टोकता है कि यह मंजन करती हो, आप के मुंह से बास आती है, थोड़ा दूर से बात किया करो।
रोज़ रोज़ वही बातें, हर रोज़ वही बातें दोहरा दोहरा के, वही बातें समझा समझा के कभी कभी अजीब सा लगता है, फिर अगले ही पल ध्यान आता है कि यही तो अपना कर्म है!
इस औरत को समझा िदया है कि आज ही जा कर उस मंजन को कचरे में फैंक दे, और अपनी पड़ोसन को भी यह सब बताए और उसे साथ लेकर आए..........पता नहीं बात मानेगी भी नहीं! .....Tobacco is playing havoc with health of masses!