मैं अकसर बहुत बार नेट पर बिकने वाली दवाईयों के बारे में सचेत करने के लिए लिखता रहता हूं, इसलिए जब कल की टाइम्स ऑफ इंडिया के पहले ही पन्ने पर इस तरह की खबर का शीर्षक दिखा (लिंक इस पोस्ट के अंत में दिया है) तो यही लगा कि यह भी कुछ वैसा ही चक्कर होगा....दवाईयां इंटरनेट के द्वारा बेचने वेचने का।
लेकिन जैसे जैसे उस न्यूज़-रिपोर्ट को पढ़ता गया मेरे सारे पूर्वाग्रह गल्त सिद्ध होते रहे।
पहले तो यही लगा कि नागपुर का जो शख्स यह काम कर रहा है, इसे एक धंधे के तौर पर ही तो कर रहा होगा...कि जो महिलाएं गर्भपात करवाने की इच्छुक हैं लेकिन जिन का देश इस बात की अनुमति नहीं देता, उन्हें यह शख्स अबार्शन करने के लिए टेबलेट्स कूरियर से भेजता है... मुझे लगा कि यह भी तो एक धंधा ही हुआ...
थोड़ा अजीब सा तो लगा कि ऐसे कैसे कोई भी औरत जिस का देश उसे गर्भपात करवाने की इजाजत नहीं देता, वह इन्हें लिखे और गर्भ को गिराने के लिए गोलियां मंगवा के खा ले......बस.......मुझे ऐसे लगा कि यह तो बड़ा जोखिम भरा काम है......दवाई मंगवाने वाली महिला को क्या पता कि वह दवा खा भी सकती है या नहीं, उस की प्रेगनेन्सी की क्या अवस्था है, इतना सब कुछ एक महिला कैसे जान पाती है, यह सब कुछ कहां समझ पाती है एक औसत घरेलू महिला।
लेकिन फिर जैसे मैंने इस िरपोर्ट को आगे पढ़ा तो इस सुंदर अभियान की परतें खुलती गईं।
तो हुआ यूं कि यह जेंटलमेन जो दवा महिलाओं को भेजते हैं ....उन को एक संस्था के बारे में पता चला ... और उस से भी पहले उस महिला चिकित्सक के बारे में इन्हें पता चला जिन्होंने ऐसे देशों की महिलाओं (जिन में अबार्शन किया जाना प्रतिबंधित था).. के लिए एक समुद्री जहाज में एक गर्भपात क्लिनिक खोल दिया....जो जहाज उस देश के बाहर खड़ा रहता था ताकि महिलाएं वहां आकर अपना अबार्शन करवा पाएं......लेकिन उस काम में कोई इन्हें ज़्यादा सफलता मिली नहीं।
फिर इन्होंने एक वेबसाइट खोली ...Women on Web......इस साइट के माध्यम से ज़रूरतमंद महिलाओं इस संस्था से संपर्क करती हैं, अधिकतर ऐसी महिलाएं जिन के देशों में स्थानीय कानून अबार्शन की अनुमति नहीं देते.... जब ये महिलाओं अपना प्रेगनेंसी टेस्ट करवा लेती हैं. और अगर हो सके तो अल्ट्रासाउंड भी करवा लेती हैं तो ये महिलाएं एक प्रश्नोत्तरी के माध्यम से इंटरनेट पर इस संस्था की किसी महिला चिकित्सक से परामर्श लेती हैं......इस संस्था की वेबसाइट भी एक बार अवश्य देखें कि किस तरह से ज़रूरतमंद औरतों का सही मार्गदर्शन किया जाता है।
जब वह महिला चिकित्सक उन की प्रार्थना को स्वीकार कर लेती हैं तो वह गर्भपात की दवाईयों का नुस्खा उस नागपुर के इस कार्यकर्त्ता को भेज दिया है जो फिर वहां से दवाई को उस के गनतव्य स्थान की तरफ़ कूरियर कर देता है।
नागपुर का यह बंदा इस काम से कोई मुनाफ़ा नहीं कमाता....केवल सेवाभाव से काम कर रहा है, हां लेकिन महिला को इस संस्था को ९० यूरो दान के रूप में देने के लिए आग्रह किया जाता है.......लेिकन जो नहीं भी दे पातीं, उन्हें ऐसे ही दवा भिजवा तो दी ही जाती है।
इसे भी ज़रूर देखिए....
Pills-by-post op helps women abort
The abortion ship's doctor
लेकिन जैसे जैसे उस न्यूज़-रिपोर्ट को पढ़ता गया मेरे सारे पूर्वाग्रह गल्त सिद्ध होते रहे।
पहले तो यही लगा कि नागपुर का जो शख्स यह काम कर रहा है, इसे एक धंधे के तौर पर ही तो कर रहा होगा...कि जो महिलाएं गर्भपात करवाने की इच्छुक हैं लेकिन जिन का देश इस बात की अनुमति नहीं देता, उन्हें यह शख्स अबार्शन करने के लिए टेबलेट्स कूरियर से भेजता है... मुझे लगा कि यह भी तो एक धंधा ही हुआ...
थोड़ा अजीब सा तो लगा कि ऐसे कैसे कोई भी औरत जिस का देश उसे गर्भपात करवाने की इजाजत नहीं देता, वह इन्हें लिखे और गर्भ को गिराने के लिए गोलियां मंगवा के खा ले......बस.......मुझे ऐसे लगा कि यह तो बड़ा जोखिम भरा काम है......दवाई मंगवाने वाली महिला को क्या पता कि वह दवा खा भी सकती है या नहीं, उस की प्रेगनेन्सी की क्या अवस्था है, इतना सब कुछ एक महिला कैसे जान पाती है, यह सब कुछ कहां समझ पाती है एक औसत घरेलू महिला।
लेकिन फिर जैसे मैंने इस िरपोर्ट को आगे पढ़ा तो इस सुंदर अभियान की परतें खुलती गईं।
तो हुआ यूं कि यह जेंटलमेन जो दवा महिलाओं को भेजते हैं ....उन को एक संस्था के बारे में पता चला ... और उस से भी पहले उस महिला चिकित्सक के बारे में इन्हें पता चला जिन्होंने ऐसे देशों की महिलाओं (जिन में अबार्शन किया जाना प्रतिबंधित था).. के लिए एक समुद्री जहाज में एक गर्भपात क्लिनिक खोल दिया....जो जहाज उस देश के बाहर खड़ा रहता था ताकि महिलाएं वहां आकर अपना अबार्शन करवा पाएं......लेकिन उस काम में कोई इन्हें ज़्यादा सफलता मिली नहीं।
फिर इन्होंने एक वेबसाइट खोली ...Women on Web......इस साइट के माध्यम से ज़रूरतमंद महिलाओं इस संस्था से संपर्क करती हैं, अधिकतर ऐसी महिलाएं जिन के देशों में स्थानीय कानून अबार्शन की अनुमति नहीं देते.... जब ये महिलाओं अपना प्रेगनेंसी टेस्ट करवा लेती हैं. और अगर हो सके तो अल्ट्रासाउंड भी करवा लेती हैं तो ये महिलाएं एक प्रश्नोत्तरी के माध्यम से इंटरनेट पर इस संस्था की किसी महिला चिकित्सक से परामर्श लेती हैं......इस संस्था की वेबसाइट भी एक बार अवश्य देखें कि किस तरह से ज़रूरतमंद औरतों का सही मार्गदर्शन किया जाता है।
जब वह महिला चिकित्सक उन की प्रार्थना को स्वीकार कर लेती हैं तो वह गर्भपात की दवाईयों का नुस्खा उस नागपुर के इस कार्यकर्त्ता को भेज दिया है जो फिर वहां से दवाई को उस के गनतव्य स्थान की तरफ़ कूरियर कर देता है।
नागपुर का यह बंदा इस काम से कोई मुनाफ़ा नहीं कमाता....केवल सेवाभाव से काम कर रहा है, हां लेकिन महिला को इस संस्था को ९० यूरो दान के रूप में देने के लिए आग्रह किया जाता है.......लेिकन जो नहीं भी दे पातीं, उन्हें ऐसे ही दवा भिजवा तो दी ही जाती है।
इसे भी ज़रूर देखिए....
Pills-by-post op helps women abort
The abortion ship's doctor