HIV Test न होने से करोड़ों लोगों को रिस्क
यह समस्या हमारे देश में ही नहीं, अमेरिका में भी है। अभी तक अमेरिका की एक-तिहाई जनसंख्या ने हीएचआईव्ही टैस्ट करवाया है। यहां तक कि असुरक्षित संभोग करने वाले एवं नशे के लिए सूईंयों का इस्तेमालकरने वाले लोगों में से भी केवल एक चौथाई लोगों पर यह टैस्ट किया गया है। इसी वजह के कारण ही इसइंफैक्शन के फैलने को रोकना बेहद मुश्किल जान पड़ रहा है।
चिकित्सा विशेषज्ञों का यही मानना है कि HIV testing की सुविधाओं को और भी ज्यादा व्यापक बनाना होगाऔर इसे सामान्य हैल्थ चैक-अप का एक हिस्सा ही बनाना होगा।
अमेरिका के यू.एस सैंटर फार डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार अमेरिका में 11लाख लोग HIV infection सेग्रस्त हैं जिनमें से 25प्रतिशत तो यह जानते भी नहीं हैं कि उन में वायरस है। यही 25% लोग आधी से ज्यादा नईइंफैक्शन फैला रहे हैं क्योंकि ये बचाव के सुरक्षात्मक तरीके नहीं अपनाते।
मलेरिया से बचाव का टीका----
मलेरिया के टीके पर हो रही शुरूआती रिसर्च से काफी उत्साहवर्द्धक परिणाम मिल रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसारइस से अफ्रीकी शिशुओं में मलेरिया होने के रिस्क में 65प्रतिशत कमी आई। इसी टीम ने यह भी पाया कि मलेरियाका टीका सुरक्षित है। इससे पहले हुए एक अध्ययन के अनुसार 1से 4वर्ष के बच्चों में इस टीके से नये मलेरियासंक्रमण का रिस्क 45% तक घट जाता है।इस टीके पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने इस टीके से उत्पन्नऐंटीबाडीज़(रोग प्रतिऱोधक गुण) के कारण मलेरिया इंफैक्शन के कम होते रिस्क को सिद्ध किया है।
उच्च रक्त-चाप का कंट्रोल भी टीके से-----
क्या आश्चर्यजनक नहीं लगता कि उच्च रक्त-चाप को कंट्रोल करने के लिए डाक्टर केवल लगवाने का नुस्खा हीथमा दें। लेकिन अमेरिकन हार्ट एसोशिएशन के बैज्ञानिकों को एक ऐसे ही टीके के परीक्षण से अच्छे परिणाम मिलेहैं। इन्हें उम्मीद है कि उम्र भर तक उच्च रक्तचाप के कंट्रोल के लिए बस चंद टीके ही पर्याप्त होंगे।
यह नया टीका शरीर में एंजियोटैंसन-II (angiotensin II)नामक रसायन की उत्पति को रोकता है – और इसरसायन की वजह से ही रक्तचाप बढ़ता है क्योंकि यह एंजियोटैंसन हमारी धमनियों एवं शिराओं (blood vessels) में सिकुड़न पैदा करता है। आजकल बाज़ार में बी पी के कंट्रोल के लिए उपलब्ध बहुत सी दवाईयां भी इसीएंजियोटैंसन- II को ही अपना निशाना बनाती हैं। इस टीके पर अभी और भी काम होना बाकी है।
दोस्तो, यह बीपी को टीके से कंट्रोल करने वाली बात लिखते लिखते मैं तो यही सोच रहा हूं कि आखिर हमारी यहकुदरत से आगे निकल जाने की दौड़ कहां तक चलेगी.....क्या हम वास्तव में उस से आगे निकल जाएंगे ?----- असंभव !!.............Mother Nature is so full of mysteries ……..लेकिन फिर भी कुछ नया सोचना, कुछ नयाकरना, कुछ नये नये सपने देखना, हवाई किले बनाना....यही तो ज़िंदगी है.......हमारी लाइफ इसी के इर्द-गिर्द हीघूमती है।
PS……….I trust I have told my fellow bloggers that my teenage son is behind my starting these blogs…..he told me that dad, go ahead, you can now write in Hindi on the net…….I was a bit skeptical about it….but he insisted and I took the plunge. But, now I want to tell you that he is annoyed with me ----simply because of the fact that I am so much time to this blog posts. He quite often laughingly says…….पापा, मैं ते बडा़ पछताना वां कि ओह केहड़ी घड़ी सी जदों मैं तुहानूं इस हिंदीलिखन बारे दस दित्ता.......( पापा, मैं तो सचमुच पछता रहा हूं कि वह कौन सी घड़ी थी जिस समय मैंने आप कोइस हिंदी –विंदी लिखने के बारे में बतला दिया.....मैंने तो अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार ली है) ...........उस के ऐसेकहने के पीछे छुपे कारण को तो, दोस्तो, आप समझ ही चुके होंगे.....यही कि अब उसे नेट पर बैठने के लिए समय़कम मिलता है ....क्योंकि बापू ज्यादा टैक-सेवी हो गया है। आप ही थोड़ा समझाइए उसे कि यह तो उस के लिएवैसी ही blessing in disguise है क्योंकि प्लस-टू की बोर्ड परीक्षा के लिए ब्लागिंग सिलेबस में है ही नहीं।
मैंने कुछ बोर करना तो नहीं शुरू कर दिया.....अच्छा दोस्तो, फिर मिलते हैं....हैपी लोहड़ी......अभी बाहर सेबार-बार आवाज़े आ रही हैं कि अब बाहर भी आओ, लोहड़ी जलानी है...................लेकिन ब्लागिये भी ठहरे पक्केगपोड़ी, एक बार की-पैड पर हाथ थिरकने लगे कि बस ठहरने का नाम ही नहीं लेते..........उस प्रभु से यही प्रार्थना हैकि सब ब्लागियों के हाथ यूं ही निरंतर चलते रहें ताकि वे सब मिल कर ज्ञान की अलख जगाते रहें....। .