अब इस तरह के शूगर-बीपी टैस्टिंग करने वाले लोग हर बड़े पार्क के बाहर दिख जाते हैं...मुझे याद आ रही है २००९ के दिनों की ...मैं मद्रास गया था...वहां पर मैरीना बीच पर एक व्यक्ति २० रूपये लेकर लोगों की शूगर जांच और बीपी चैक कर रहा था ...यह युवक भी ३० रूपये ले रहा था और बड़े साफ़-सुथरे तरीके से लोगों की शूगर जांच कर रहा था ...साथ में बीपी भी और वजन भी ...अगर किसी ने शूगर जांच नहीं करवानी तो भी फ्री में बीपी और वजन नपवा सकता है ....दरअसल यह युवक किसी लैब से हो, इस का अपना कलेक्शन सेंटर है....जिस की भी शूगर ज़्यादा निकल रही थी, उस का फोन नंबर और शूगर की रिपोर्ट साथ में रजिस्टर में लिख रहा था ..अच्छी बात है, मार्केटिंग का एक बढ़िया तरीका तो है ही ....अब इतने सारे खाते-पीते, सेहत के बारे में थोड़ा डरे-सहमे लोग, शारीरिक श्रम के प्रति सचेत लोग....इतनी भारी संख्या में सुबह सुबह और कहां मिलेंगे....टारगेट आबादी को एड्रैस करने का कितना बेहतरीन नमूना है यह। किसी से कोई जबरदस्ती नहीं, जिसे इस की सेवाओं का लाभ उठाना है, उठाए ....नहीं तो ...कोई बात नहीं ! |
आदरनीय प्रवीन जी-- आज ओंलोने होते ही आपके पोस्ट पर नजर पड़ी | बहुत सुंदर चित्र हैं | सकारात्मक ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं | लखनऊ के इस उपवन को आपके कैमरे की नजर से देख बहुत अच्छा लगा | लोगों का ये जमावड़ा उनकी जीवटता को उजागर करता है |सार्थक, सचित्र लेख के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनायें | गाना भी बहुत प्यारा है | मुझे भी पसंद है | आभार |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, रेणु जी, आप ने पोस्ट देखी और ऐसी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया दी।
जवाब देंहटाएंरेणु जी, लखनऊ में ऐसे उपवनों की भरमार है ...यह जिस पार्क के बारे में मैंने लिखा है, इस से सटा हुआ एक भव्य पार्क है जिस की परिक्रमा करने के लिए पूरा आधा घंटा लगता है..
लेकिन पिछले समय से यह दिक्कत होने लगी है कि इस तरह के सार्वजनिक क्षेत्र किराये पर दिए जाने लगे हैं...किराए पर देना ठीक है, राजस्व भी तो अर्जित होना चाहिए...लेकिन दिक्कत यह है कि जितने दिन भी किराये पर रहते हैं ये स्थल, उतने दिन मार्निंग वॉक और ईवनिंग वॉक करने वालों का प्रवेश वर्जित होता है ....
कुछ दिन पहले मर्सिडिज़ कार वालों का कोई समारोह था, तब ऐसा ही हुआ...अब ३ दिन से किसी अन्य प्रदर्शनी के कारण फिर से टहलने वालों का प्रवेश वर्जित है ...
वो अलग बात है कि एक दिन जब मैंने कुछ लोगों को ऐसा ही नोटिस पढ़ते देखा और दो तीन लोग इसे पढ़ कर ऐसा चहके जैसा छोटे बच्चे स्कूल की छुट्टी घोषित होने पर उछलने लगते हैं...शायद उन्हें भी लगा होगा कि चलिए, इसी बहाने टहलने के झंझट से कुछ दिन पिंड तो छूटेगा..
एक बार फिर से शुक्रिया ....
प्रवीन जी मैं गूगल प्लस पर आपको फोलो करती हूँ और आपकी हर पोस्ट को पढ़ती हूँ जो मेरे गूगल प्लस पर स्वतः ही आ जाती है | आपके सारगर्भित उत्तर से बहुत ख़ुशी हुई | आपका हल्का फुल्का लेखन भावनाओं की संजीवनी है | रही बात ऐसी जगहों को किराये पर देने की तो लोग किराये पर लेते हिन् ये दोनों पक्षों की जरूरत और मजबूरी होगी पर प्रयोग के साथ जो जगह का सत्यानाश करते हैं वो बहुत दुखद और निंदनीय है |बहुत भाग्यशाली हैं वो लोग जो प्राकृतिक सौन्दर्य से भरे ऐसे प्रांगण के पडोस में रहते है जहाँ से उन्हें शुद्ध पर्याप्त प्राणवायु उपलब्ध हो जाती है | साभार --
हटाएंबहुत ही गजब वर्णन किया है सर और उसपर फोटो का तडका | सुबह की खुराक भरपूर मिल गई होगी इस पोस्ट से
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 06/10/2018 की बुलेटिन, फेसबुकिया माँ की ममता - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआपका पोस्ट पढ़कर फिर से पार्क में जाने की इच्छा लालायित हो गई है। पहले जाता था लेकिन अब जिम से ही गुजारा करना पड़ता है। कल जाने की कोशिश करूँगा। गुरुग्राम में तो पार्क के बाहर नारियल पानी वाले,जूस वाले इत्यादि बैठे रहते हैं। जो पार्क में चलते चलते थक जाता है वो गला तर कर लेता है।
जवाब देंहटाएंअगली पोस्ट का इंजतार रहेगा।
बहुत सुंदर पोस्ट।
जवाब देंहटाएंपार्क जाने पर विचार करना पड़ेगा।
आदरणीय प्रवीन जी -- सबसे पहले नववर्ष की शुभकामनायें स्वीकाएक र करें क्योकि आज मौक़ा भी है और दस्तूर भी -- भले आपको पसंद ह या न हो | आपके ब्लॉग से परिचय कुछ दिन पहले तब ही हुआ था ,जब रचनाकार ने आपको संस्मरण के लिए पुरस्कृत किया था जो कि दिवंगत बेबेजी की समर्पित था और मेरे लिए अविस्मरनीय है | वहीँ से मुझे आपके ब्लॉग का पता मिला | ब्लॉग पर मैंने आपके कई लेख पढ़े हैं जो मुझे बहुत अच्छे लगे | धर्म कर्म में मैं भी आपकी राय से सहमत हूँ और -- परहित सरस धर्म नहीं भाई --को फॉलो करती हूँ अतः सरबत का भला मांगती हूँ | यही आज के निष्ठुर समय का धर्म होना चाहिए | ज्यादा बड़ी चीज ना लिख पायें तो थोड़ा बहुत जरुर लिखना चाहिए क्योकि लेखन से बहुत अच्छा लगता है | और लोग हमें याद भी रखते हैं |एक बार फिर नया साल मुबारक हो | सादर |
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