हमारे शरीर में किसी भी चोट को रिपेयर करने की बेइंतहा क्षमता होती है ..हम लोग तो हर दिन कुदरत का यह करिश्मा देखते रहते हैं...वरना अगर यह चीज़ भी पैसे से ही मिलती तो कारपोरेट अस्पतालों की तो चांदी हो जाती...जिस तरह से आज कल प्लेटलेट्स का धंधा खूब चमका हुआ है...मरीज़ों को क्या पता कि किस इलाज की ज़रूरत है, किस की नहीं है!
यह जो तस्वीर आप देख रहे हैं ...यह एक ५०-५५ वर्ष की महिला की है ...यह अस्पताल में दाखिल थी ..क्योंकि इसे दौरा पड़ गया था...और यह घर में बेहोश हो गई...बेहोशी की हालत में इसे नहीं पता कैसे इस की जुबान कट गई...बहुत खून बहने लगा ...फिर इसे अस्पताल लाया गया ...खून बंद हो गया...और यह मुझे एक या दो दिन के बाद ही दिखाने आई थी.
ये ऊपर लगी दोनों तस्वीरें उस दिन की हैं जब ये मेरे पास आई थी...बहुत डरी हुई कि पता नहीं जुबान कभी ठीक भी होगी कि नहीं...लेकिन उस दिन इसे दर्द भी बड़ा था...स्वाभाविक सी बात है कि अगर कभी खाना खाते वक्त हमारी जुबान थोड़ी सी भी दांतों के नीचे आ जाए तो कैसे हम लोगों की चीख निकल जाती है ...और यहां पर इतना बड़ा घाव था..
इसे मैंने सब से पहले यही भरोसा दिलाया कि यह सब चार-पांच-सात दिन में एकदम दुरुस्त हो जायेगा... मेरी बातों से इसे इत्मीनान सा हो गया शायद...
ऐंटीबॉयोटिक दवाईयां तो इसे पहले ही किसी दूसरे कारण से चल रही थीं...इसलिए किसी और ऐंटीबॉयोटिक की तो ज़रूरत थी नहीं, कुछ दर्द निवारक टेबलेट्स दे दी थीं...और लगाने के लिए मुंह के छालों पर लगाने वाली जो दवाईयां आती हैं...Zytee/Emergel/Dologel/Dentogel (इन में सो कोई भी एक)...उसे इस घाव पर दिन में चार पांच बार लगाने के लिए कहा गया...और साथ में बीटाडीन जैसा माउथ-गार्गल करने के लिए बता दिया था..
दो दिन बाद यह महिला फिर परसों दिखाने आई थी... बस खाने वाली दवाईयां खा रही थीं, लेकिन लगाने वाली दवाई अभी तक इसने लगानी नहीं शुरू की थी...कुल्ले बीटाडीन से कर रही थी...लेकिन फिर भी आप देख रहे हैं कि ज़ख्म ठीक हो ही रहा है ....बता भी रही थी कि अब काफ़ी आराम है ....उसे फिर से इस ज़ख्म पर दवाई लगाने की सलाह दी ...
जुबान कटने का उपचार कितना आसान है! ...आप भी यही सोच रहे होंगे ...लेकिन कड़वी जुबान से होने वाले घावों का हम लोगों के पास भी कोई उपचार है नहीं ! Mind your tongue!
ये ऊपर लगी दोनों तस्वीरें उस दिन की हैं जब ये मेरे पास आई थी...बहुत डरी हुई कि पता नहीं जुबान कभी ठीक भी होगी कि नहीं...लेकिन उस दिन इसे दर्द भी बड़ा था...स्वाभाविक सी बात है कि अगर कभी खाना खाते वक्त हमारी जुबान थोड़ी सी भी दांतों के नीचे आ जाए तो कैसे हम लोगों की चीख निकल जाती है ...और यहां पर इतना बड़ा घाव था..
इसे मैंने सब से पहले यही भरोसा दिलाया कि यह सब चार-पांच-सात दिन में एकदम दुरुस्त हो जायेगा... मेरी बातों से इसे इत्मीनान सा हो गया शायद...
ऐंटीबॉयोटिक दवाईयां तो इसे पहले ही किसी दूसरे कारण से चल रही थीं...इसलिए किसी और ऐंटीबॉयोटिक की तो ज़रूरत थी नहीं, कुछ दर्द निवारक टेबलेट्स दे दी थीं...और लगाने के लिए मुंह के छालों पर लगाने वाली जो दवाईयां आती हैं...Zytee/Emergel/Dologel/Dentogel (इन में सो कोई भी एक)...उसे इस घाव पर दिन में चार पांच बार लगाने के लिए कहा गया...और साथ में बीटाडीन जैसा माउथ-गार्गल करने के लिए बता दिया था..
दो दिन बाद यह महिला फिर परसों दिखाने आई थी... बस खाने वाली दवाईयां खा रही थीं, लेकिन लगाने वाली दवाई अभी तक इसने लगानी नहीं शुरू की थी...कुल्ले बीटाडीन से कर रही थी...लेकिन फिर भी आप देख रहे हैं कि ज़ख्म ठीक हो ही रहा है ....बता भी रही थी कि अब काफ़ी आराम है ....उसे फिर से इस ज़ख्म पर दवाई लगाने की सलाह दी ...
जुबान कटने का उपचार कितना आसान है! ...आप भी यही सोच रहे होंगे ...लेकिन कड़वी जुबान से होने वाले घावों का हम लोगों के पास भी कोई उपचार है नहीं ! Mind your tongue!
जवाब देंहटाएंअपने पेशेगत हुनर से सबके लिए लाभदायक और इतनी रोचक पोस्ट बनाने का मतलब हुआ अब आप सिर्फ एक ब्लोग्गर प्राणी हैं , यूं ही दिन रात सबको चंगा करते रहे और उस अनुभव के बहाने हम निपट लोगों और हमारे जैसे साथियों का मार्गदर्शन करते रहे डाक्टर साहब ..जल्दी ही आपसे मुलाक़ात का बहाना निकालते हैं , बिना बीमार पड़े :)