रविवार, 28 अगस्त 2016

काश! ट्रैफिक कंट्रोल भी मेट्रो अपने हाथ में ले ले

२१ जून को विश्व योग दिवस था....मुझे लगता है मैं शायद उस दिन योग करते करते इतना थक गया कि मुझे अपने ब्लाग पर वापिस लौटने के लिए २ महीने से भी ज्यादा का समय लग गया...इन दिनों मैं बड़े बड़े लेखकों को पढ़ने-समझने में व्यस्त रहा ....लखनऊ की जान अमृतलाल नागर जी, कथाकार यशपाल जी, पंजाबी साहित्यकार गुलज़ार सिंह संधू जी....और भी कुछ न कुछ पढ़ता ही रहा ...


लखनऊ शहर में मेट्रो का काम ज़ोरों-शोरों से चल रहा है...जैसे भी हो विधानसभा चुनाव से पहले मेट्रो दौड़ा ही दी जायेगी...

पहले सुनते थे दिसंबर में अमौसी एयरपोर्ट से चारबाग रेलवे स्टेशन तक मेट्रो दिसंबर से चलाई जायेगी...लेकिन दो दिन पहले खबर थी कि दिसंबर से ट्रायल शुरू होंगे ...यात्री फरवरी २०१७ से इन में यात्रा कर सकेंगे।


अभी अमौसी एयरपोर्ट से मवैया तक ही मेट्रो दौड़ेगी....मवैया से चारबाग स्टेशन की दूरी तो चाहे एक डेढ़ किलोमीटर ही होगी ..लेकिन कुछ टेक्नीकल मुश्किलों की वजह से यह काम कुछ महीनों के लिए लटक जायेगा।


आज मैंने मवैया में ये तस्वीरें खींचीं ...यह मुश्किल एरिया है मेट्रो के काम के लिए ..ट्रैफिक तो यहां पर काफी होता ही है ..यहां एक रेलवे ब्रिज भी है ...जिस के ऊपर से यह मेट्रो को चलाया जायेगा...


मैं भी ज्यादा तकनीकी डिटेल्स तो जानता नहीं हूं ...बस जो देखा सुना है ..वही शेयर कर रहा हूं ...ये तस्वीरें ही बहुत कुछ बोलती हैं...



हां, एक बात पिछले कुछ दिनों से ध्यान में यह आ रही है कि मैट्रो रेल का निर्माण जिन जिन इलाकों में चल रहा है ...वहां पर मेट्रो ने अपने ट्रैफिक मार्शल तैनात किये हुए हैं...जो पूरी तन्मयता से अपना काम करते हैं ...absolutely no trespassing ....अकसर मेट्रो रेल का सड़क ट्रैफिक का शानदार नियंत्रण देख कर मुझे यही लगता है कि इतना अच्छे से तो ट्रैफिक तब भी कंट्रोल नहीं हो पाता था जब मैट्रो रेल का काम नहीं चल रहा था...इन की सारी वर्क-फोर्स अनुशासन में रहती है, प्लानिंग बहुत बढ़िया होती है ...इसलिए लोगों को कम से कम दिक्कत होती है ...थोड़ी बहुत तो अब तकलीफ़ होगी ही अगर मेट्रो का मजा लेना है ....


वैसे मैंने तो देखा है सब से ज्यादा शिकायत भी इस समय बड़ी गाड़ियों में चलने वालों को ही है ...वे लोग ही हर समय परेशानी सुनाते रहते हैं कि बस इत्ती सी दूरी तय करने में हालत बिगड़ गई ...इतना समय लग गया... शायद इन लोगों में ही सहनशीलता की सब से ज्यादा कमी दिखती है ...

कईं रास्ते जो वन-वे थे ..वहां भी अब बीच में बडे़ बड़े कुछ ब्लाक्स जैसे रख के और उन्हें रस्सियों से जोड़ कर आने और जाने वाले ट्रैफिक को सुव्यवस्थित कर दिया गया है ...

जितनी तारीफ़ की जाए मेट्रो रेल के अनुशासन की ....इन के प्रशासन की...उतनी ही कम है! इस पोस्ट में शेयर की गई सभी तस्वीरें आज सुबह की मवैया क्षेत्र की है ं...

कल मुझे एक सुंदर गीत सुनने को मिला ...आप से शेयर कर रहा हूं...

खुशबू जैसे लोग मिले अफसाने में ...एक पुराना खत खोला अंजाने में ...

2 टिप्‍पणियां:

  1. विशुद्ध ब्लॉगिंग वाली पोस्ट । लखनऊ घूम रहे हैं आपके साथ । चित्रों से पोस्ट की जान बढ़ जाती है ।

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  2. बहुत fदनों बाद आपके दर्शन हुए।अच्छा लगा आप वापस लौट आए।धन्यबाद

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