शनिवार, 19 मार्च 2016

अमोल पालेकर - दा ग्रेट

अभी कुछ दिनों से फ्लिपकार्ट का एक विज्ञापन दिख रहा है ...अचानक ध्यान आया कि यह तो अमोल पालेकर जो हमें स्कूल-कालेज के दिनों से एन्टरटेन करते आ रहे हैं..


अभी कुछ पोस्ट लिखने लगा था..लखनऊ के बॉटेनिकल गार्डन के बारे में ...और एक ९५ वर्ष की बुज़ुर्ग की सीख के बारे में...सोचा, फिर कभी देख लेंगे...ज्ञान तो बंटता ही रहता है ..आज बातें न करी जाएं, चुपचाप अमोल पालेकर के गीतों का चित्रहार सुना जाए....क्या वही बार बार, पोस्ट पे पोस्ट, उस से क्या हो जायेगा, कुछ भी नहीं...कभी भी मन की भी सुन लेनी चाहिए...

मुझे जो भी अपने स्कूल कालेज के दिनों के गीत याद आए मैंने उन्हें यू-ट्यूब पर देखा और यहां पेस्ट कर दिया...आप भी देखिए जिसे आप देखना-सुनना चाहें... Amol Palekar, a great actor of all times!... family entertainer!

आजकल  कुछ वेबमास्टर्ज़ मुझे अपनी साईट्स पर गेस्ट ऑथर के तौर पर कुछ लिखने को कह रहे हैं... मुझे पता है वे साइटें बहुत अच्छा बिजनेस कर रही हैं, लेकिन जब मैं पूछता हूं कि terms क्या रहेंगी...तो जवाब मिलता है, सर, वह अभी नहीं हो पाएगा... मैं भी कहने लगा हूं मुझे भी कोई जल्दी नहीं है, जब वह हो जायेगा तो कर लेंगे... Nothing comes free actually....सारा काम ही फ्री किया है इन पंद्रह सालों में...लेकिन अब मैं इंतज़ार कर रहा हूं कि कब मुझे ब्लॉगिंग से कुछ कमाई शुरू हो और मैं ऐच्छिक सेवानिवृत्ति की एप्लीकेशन जमा करूं...it is just a matter of time!... वैसे मैंने अभी तक तो अपने ब्लॉग पर कभी विज्ञापन भी नहीं लगाए हैं।

जो भी हो, फ्री काम तो मैं वही करता हूं जिसे करने में मुझे खुशी मिलती है, मैं हल्का महसूस करता हूं...जैसे यह ब्लॉगिंग...मैं इस के लिए जितनी भी दिन में मेहनत करूं...I just love to blog...and it happens effortlessly, i swear... becaue i enjoy what i am doing... अगर किसी के कहने पर किसी विषय पर लिखना है तो उस के लिए तो मुझे प्रयास करना होगा...और वह काम कभी फ्री नहीं हो सकता, न ही होगा...with some exceptions, of course if some NGO site is doing it for philantropic or bigger reason...for that i am always available 24X7.


 तू जो मेरे सुर में सुर मिला दे.. 

एक अकेला इस शहर में...
दो दीवाने इस शहर में ..
आने वाला पल जाने वाला है, हो सके तो इस में ज़िंदगी बिता दो पल जो यह जाने वाला है ...
आज से पहले ..आज से ज़्यादा ...
न जाने क्यों होता है यह ज़िंदगी के साथ...
गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा, मैं तो गया मारा आ के यहां रे ..
कहिए सुनिए..कहिए सुनिए..(बातों बातों में) 
रजनी गंधा फूल तुम्हारे .. 
कईं बार यूं भी देखा है ..
मुझे प्यार तुम से नहीं है ..नहीं है ..
इक बात कहूं अगर मानो तुम...सपनों में ना आना जानो तुम 
न बोले तुम न मैंने कुछ कहा ... 
मैं अमोल पालेकर के गीत देख रहा था तो अचानक राज्यसभा के एक एपीसोड में अमोल पालेकर की इंटरव्यू का वीडियो दिख गया...मैंने भी अभी नहीं देखा, लेकिन उसे यहां एम्बेड कर रहा हूं..आप देखिएगा..
अमोल पालेकर - दा ग्रेट का इंटरव्यू 
जाते जाते एक बात का ध्यान आ रहा है कि फेसबुक पर मुझे अजीबो गरीब प्रोफाइल वाले लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट आती रहती हैं ...ये काम अपने ही आस पास के जान पहचान के ही लोग करते हैं... उन के लिए विनम्रता से एक ही संदेश है .... हम भी बंदे वही हैं... मूर्ख के दास, चतुर के गुरू. (मेरा एक प्रबुद्ध किस्म का मरीज़ मुझे यह लाइन सुना गया था... मुझे भी उसी समय लगा था कि यार, मैं भी तो ऐसा ही हूं....बेवकूफ आदमी का दास बनने के लिए हमेशा तैयार रहता हूं और .....!!!!   http://emoticony.leestone.co.uk/emoticons_standard/smile-big.png

मूर्ख तो मैं अव्वल दर्जे का हूं ही ...तभी तो गोलमाल जैसी फिल्म को ही भूल गया..अभी याद आया...

गोल माल है भई सब गोल माल है...

इक दिन सपने में देखा सपना ...

6 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. धन्यवाद सर। आज आप की साइकिल वाली पोस्ट बहुत ही बढ़िया है। पुलिया की दुनिया की याद गाहे बगाहे आ ही जाती है। ई बुक ले रखी है।

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  2. उत्तर
    1. धन्यवाद सिन्हा साहेब पोस्ट देखने के लिए।

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  3. आज लगता है भाई जी का किसी अक्लमंद ने दिल दुख दिया .....जो आप किसी बेवकूफ के दास बनना पसंद करने लगे ..:-) होता है ...यहाँ अक्लमंदों की संख्या ज्यादा है .......आभार .|

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