आज शाम लखनऊ के दिलकुशां गार्डन जाने का अवसर मिला...यह गार्डन लखनऊ छावनी क्षेत्र में है...अकसर यह नाम बहुत बार सुना करते थे...दिलकुशा कोठी, दिलकुशा बाग, दिलकुशा कॉलोनी....यह छावनी का एक बहुत पॉश एरिया है।
यह बाग भारत सरकार का एक protected monument है...Archaeological Survey of India (ASI) इस की देखभाल करता है..बड़े अच्छे से इसे मेन्टेन किया हुआ है।
चौकीदार बता रहा था कि अंग्रेज़ लोग यहां ज़्यादा आते हैं यह सब देखने।
वैसे तो मैं इस पोस्ट में यहां जो तस्वीरें अपलोड कर रहा हूं उस से आप को सारी जानकारी मिल ही जाएगी...मेरे कहने के लिए कुछ खास है नहीं...ये सभी तस्वीरें वहां पर ही ली गई हैं।
हम लोग जब वहां गये तो हमें इस के बारे में कुछ भी अंदाज़ा नहीं था कि यह है क्या!..केयरटेकर ने बताया कि नवाब वाजिद अली शाह ने इस को बनाया था और इस जगह को नवाब की सेना के लिए शिकारगाह के लिए इस्तेमाल किया जाता था...शायद उसने यही शब्द ही बोला था...आस पास जंगल हुआ करता था ...सिपाही शिकार करने जब आते थे तो यहां दिलखुश करने के लिए ठहरा करते थे....इसलिए इस का नाम दिलकुशा पड़ गया।
उसने सामने इशारा करते बताया कि यहां पर घोड़ों के रखने की भी जगह है और पीछे एक महल है।
यह पूछने पर कि इन कमरों में छत क्यों नहीं है ...उसने बताया कि नवाब को यहां से निकाल देने के बाद ..१९ वीं सदी में ब्रिटिश यहां रहने लगे ... जब उन को यहां से खदेड़ा गया तो ये छते तोड़नी पड़ीं....बताने लगा कि इन्हें बिल्कुल उसी हालत में ही सहेज कर रखा गया है.
जितना उसे पता था, उसने बता दिया...वैसे जो इन शिलाओं पर लिखा गया है, उसे हम लोग ज़्यादा विश्वसनीय मान सकते हैं.....आप इन्हें भी ज़रूर पढ़िए...और तो क्या लिखूं अब इस टॉपिक के बारे में....
यह बाग भारत सरकार का एक protected monument है...Archaeological Survey of India (ASI) इस की देखभाल करता है..बड़े अच्छे से इसे मेन्टेन किया हुआ है।
चौकीदार बता रहा था कि अंग्रेज़ लोग यहां ज़्यादा आते हैं यह सब देखने।
वैसे तो मैं इस पोस्ट में यहां जो तस्वीरें अपलोड कर रहा हूं उस से आप को सारी जानकारी मिल ही जाएगी...मेरे कहने के लिए कुछ खास है नहीं...ये सभी तस्वीरें वहां पर ही ली गई हैं।
हम लोग जब वहां गये तो हमें इस के बारे में कुछ भी अंदाज़ा नहीं था कि यह है क्या!..केयरटेकर ने बताया कि नवाब वाजिद अली शाह ने इस को बनाया था और इस जगह को नवाब की सेना के लिए शिकारगाह के लिए इस्तेमाल किया जाता था...शायद उसने यही शब्द ही बोला था...आस पास जंगल हुआ करता था ...सिपाही शिकार करने जब आते थे तो यहां दिलखुश करने के लिए ठहरा करते थे....इसलिए इस का नाम दिलकुशा पड़ गया।
उसने सामने इशारा करते बताया कि यहां पर घोड़ों के रखने की भी जगह है और पीछे एक महल है।
यह पूछने पर कि इन कमरों में छत क्यों नहीं है ...उसने बताया कि नवाब को यहां से निकाल देने के बाद ..१९ वीं सदी में ब्रिटिश यहां रहने लगे ... जब उन को यहां से खदेड़ा गया तो ये छते तोड़नी पड़ीं....बताने लगा कि इन्हें बिल्कुल उसी हालत में ही सहेज कर रखा गया है.
जितना उसे पता था, उसने बता दिया...वैसे जो इन शिलाओं पर लिखा गया है, उसे हम लोग ज़्यादा विश्वसनीय मान सकते हैं.....आप इन्हें भी ज़रूर पढ़िए...और तो क्या लिखूं अब इस टॉपिक के बारे में....
दिलकुशा कोठी .. |
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