शनिवार, 18 अप्रैल 2015

चलते फिरते झोलाछाप दांतों के कारीगरों के कारनामे


यह तस्वीर जो आप देख रहे हैं यह लगभग ५० वर्ष की उम्र की महिला के मुंह की है। यह कुछ दिन पहले भी आई थीं...मसूड़ों में सूजन की वजह से...मुझे देखने से पता चल गया था कि कोई झोलाछाप अपनी कारीगिरी कर गया होगा।

समस्या कुछ मरीज़ों की यह होती है कि झोलाछाप मरीज़ की तो बातें में आ जाते हैं ...और हमारे पास आ कर इस तरह से बात करते हैं जैसे यह सब लफड़ा हम ने किया हो। बड़ा अजीब सा लगता है इन की बातें सुन कर। सच में बातों में ऐसा उलाहना होता है जैसे हम ने कर दिया हो ऐसा।

हां, तो मैंने कहा इसे कि यह जो काम करवाया हुआ है इसे उतरवाना होगा...यह उस दिन तो मानी नहीं, कहने लगी कि दवाई दे दो...अपने आप ठीक हो जाएगा। समझाने के बावजूद भी इसने उतरवाने से मना कर दिया।

आज आई थी फिर...वही समस्या ..मसूड़ों में सूजन...दर्द-बुखार... कहने लगीं कि अभी उतार दें. मैंने कहा कि अभी नहीं होगा पहले सूजन उतरेगी..फिर इसे इंजेक्शन लगा कर काट कर उतारेंगे..आज यह काटने की स्थिति में नहीं है, आस पास की सूजन की वजह से।
यह इसी महिला के दांतों के अंदर की तरफ की फोटो है ...अंदर की भी कारीगरी आप इस में देख सकते हैं
मुझे पता है कि इस तरह के गलत काम को उतारने के लिए हमारे कईं औज़ार बेकार हो जाते हैं...बड़ा सिरदर्दी वाला काम होता है....चलिए, उस का भी कोई फर्क नहीं पड़ता...जो काम करना है तो करना ही है। लेकिन इस का उतावलापन देख कर मैंने इतना तो इसे कहा कि जिससे यह करवाया है उसी से पता करो..उतरवाने का। चुप रही।

जब दूसरी बार मैंने कहा कि आप पता तो करें शायद उस के पास कुछ जुगाड़ हो इसे उतारने का तो इस औरत की लड़की बोली कि उस को कैसे ढूंढे....वह तो कॉलोनी में आया था...घूमता फिरता...साईकिल पर आया था...मोहल्ले की और भी बहुत सी औरतों ने इस तरह का काम करवाया था। अब वह दिखता ही नहीं है।

अब आप को उत्सुकता हो रही होगी कि इसने आखिर ऐसा करवा क्या लिया। इस ने एक नकली दांत लगवा लिया है ...और जो झोलाछाप दांतों का माहिर इस से मोहल्ले में आया था उस के पास एक मसाला था...पावडर और लिक्विड..दोनों को मिला कर एक पेस्ट बना कर उस ने इस नकली दांत को उस जगह पर फिक्स कर दिया था।

मुझे डैंटिस्ट्री करते हुए तीस साल हो चुके हैं...इस दौरान मैंने सड़कों, फुटपाथों पर दांतों का काम होता देखा...शायद दिल्ली के नार्थ-या साउथ ब्लाक की बिल्डिंग के नीचे भी एक ऐसे माहिर को काम करते देखा..२५ साल पहले...हर जगह हर शहर में यह काम होता देखा लेकिन यह आज मैंने पहली बार सुना कि कोई झोलाछाप साईकिल पर मोहल्ले मोहल्ले में जा कर इस तरह का दांतों का इलाज भी कर रहा है। मैं बहुत हैरान हुआ। मैंने पूछा कि क्या वह दांत भी निकाल रहा था ...कहने लगीं कि नहीं यह तो बस नकली दांत लगा ही रहा था...और मोहल्ले की दूसरी औरतों ने भी नकली दांत लगवाए...इस को इस काम के लिए १५० रुपये भरने पड़े।

यह कोई बहुत पुरानी बात नहीं है, अभी इस काम को करवाए डेढ़ महीना ही हुआ है... और इतने कम समय में ही मसूड़े बुरी तरह से सूज गये हैं...आस पास की जगह से हाथ लगाते ही रक्त का रिसाव होने लगा है....आस पास के दांतों के मसूड़े खराब होने लगे हैं...और बाकी तो जब इस नकली दांत को काट कर निकालेंगे तो पता चलेगा कि आसपास के कितने दांत हिलने लगे हैं। यह तो बाद में पता चलेगा। दो तीन दिन में इसे काट कर निकाल दिया जाएगा। अभी ऐंटिबॉयोटिक एवं दर्द वाली दवाईयों से थोड़ा आराम हो जाएगा दो तीन दिन में.

यह जो मसाला वह चलता फिरता दांतों के मैकेनिक इस तरह से नकली दांतों की पकड़ के लिए लगा देते हैं यह कोई इलाज नहीं है...मैं तो बस यही लिख कर इस पोस्ट को बंद कर रहा हूं कि इस तरह का इलाज किसी झोलाछाप दांतों के मेकेनिक से दांत उखड़वाने जैसा खतरनाक काम है.......पता ही नहीं कि वे नकली दांत लगाने या खराब दांत उखड़वाने के चक्कर में कौन कौन सी बीमारियां अपने किसी मरीज़ को दे जाएं.........इन में एचआईव्ही संक्रमण, हैपेटाइटिस बी और सी जैसी खतरनाक बीमारियां भी शामिल हैं।

लोगों में जागरूकता का अभाव है....पढ़ाई लिखाई की कमी है......सस्ते के चक्कर में अपनी सेहत को खराब करवा बैठते हैं।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बिलकुल सही कहा। सस्ते के चक्कर में रस्ते का ईलाज न कराएं तो भी फ़ायदा है।

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    1. जी बिल्कुल....यह ये झोलाछाप दांत तो क्या बहुत कुछ बिगाड़ देते हैं।

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