गुरुवार, 23 अप्रैल 2015

मीडिया डाक्टर की १०००वीं पोस्ट...

कल शाम को मैं इस ब्लॉग की १०००वीं पोस्ट लिखने लगा तो अचानक ध्यान आया कि इसे पेन से लिखते हैं...जैसे ही लिखने लगा बेटे ने कैमरा उठा लिया और वीडियो बना दी...

इन सात आठ सालों में ब्लॉगिंग के द्वारा बहुत कुछ सीखने को मिला है लेकिन लगता यही है कि  क ख ग तक ही समझ पाया हूं। इतना कुछ आप से शेयर करने को है, लेकिन कोई सुनने को राज़ी तो हो....कोई जिज्ञासु भी मिले तो।

बहरहाल, जो कुछ सीखा उसे एक पोस्ट में भरना तो नामुमकिन है ...इसलिए कभी कभी इस के बारे में किसी पोस्ट के द्वारा चर्चा करते रहेंगे.....हां, अगर आप को किसी विषय के बारे में जानना है तो अवश्य लिखिए....मेरा आप से वायदा है कि उस विषय पर उसी दिन अवश्य लिखूंगा..अपने तुच्छ ब्लॉगिंग ज्ञान के आधार पर।

अभी तो आप ईंक-ब्लागिंग के द्वारा लिखी यह पोस्ट देख लीजिए...और मुझे लिखते हुए जो वीडियो बेटे ने तैयार किया है, उसे भी एम्बेड कर दिया है....इस बात के प्रूफ के तौर पर कि मैं हिंदी कंप्यूटर के बिना भी लिख लेता हूं...मेरे से बहुत से लोग यह पूछते हैं..



गलती से मैंने Suggested Reading list (SRL) की जगह SUL लिख दिया है..



बस, इस पोस्ट को लिखते लिखते यही ध्यान आ रहा है कि लिखते लिखते अच्छा लगने लगा है...एक आदत बन गई है...लेखन की प्रक्रिया--क्लपना से सृजन तक की ...उस में जो आनंद है, उसे ब्यां करना मुश्किल काम है....कोई पढ़े या न पढ़े यह कोई जरूरी लगता नहीं...पढ़े तो भी ठीक न पढ़े तो भी ठीक।

लेिकन अगर मैंने यहां पर उस सात साल पुराने लेख का लिंक तो लगा ही दूं जिसमें मैंने ब्लॉगिंग में एक साल पूरा होने पर अपने बेटे का शुक्रिया अदा किया था...उसने मुझे कंप्यूटर पर हिंदी लिखने के गुर सिखाए थे.... डिटेल्स आप इस लिंक पर क्लिक कर के देख सकते हैं.....मुझे हिंदी में लिखना किसने सिखाया..

अभी अपना यह ऊपर वाला यू-ट्यूब पर देखा तो साथ ही आटो-सुजेशन में यह गीत दिख गया...पुराने दिनों में बहुत बजता था और अच्छा भी बहुत लगता था....तूने देखा मैंने देखा....इक दुश्मन जो दोस्तों से प्यारा है!

15 टिप्‍पणियां:

  1. बधाईयाँ... आप ऐसे ही उम्दा लेखन करते रहें...
    मैं आपकी हर पोस्ट पढ़ता हूँ... और शायद आपका ही ब्लॉग है जिसकी हर पोस्ट मैं पढ़ता जरूर हूँ.... लगता है कि आपसे सामने बैठकर ही बात हो रही है...
    कभी ईश्वर की कृपा से साक्षात् ही बैठकर बात करने का मौका मिले ऐसी इच्छा है... पर फिलहाल ऐसे ही आपसे बतियाते रहना अच्छा लगता है

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    1. Thanks, dear Bhuvneshji, for your kind words. Your encouraging words keep me going! Thanks, once again. Of course, we would meet!

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  2. आप का खाना लिखते-लिखते ठंडा हो जाता है ...और आप को अच्छा लगता हैं ..और मेरा खाना आप का लेख पढ़ते-पढ़ते ठंडा हो जाता है ...हा..हा..हा इसके आगे तो चापलूसी हो जाएगी ..बस ,लिखते रहिये ...जो अच्छा लगे ...वोही अच्छा होगा ...और सब को अच्छा लगे गा .स्वस्थ रहें ....

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    1. सलूजा जी, तहे दिल से शुक्रिया इतने सुंदर शब्दों के लिए..आप की हौंसलाफज़ाई की निरंतर आवश्यकता रहती है। ऐसे ही आशीर्वाद देते रहिए।

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  3. बातों-बातों में १००० वीं पोस्ट की बधाई तो रह गयी ...बधाई कबूलें |

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  4. सर बधाई हो १०००वी पोस्ट लिखने के लिए !
    आपकी लिखावट बड़ी मोहक हैं :)

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    1. धन्यवाद, अरविंद जी, लिखावट मास्टरों की पिटाई का परिणाम है।

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  5. डॉक्टर साहब 100वीं पोस्ट के लिये बधाई

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    1. धन्यवाद, विवेक जी, बहुत बहुत शुक्रिया...१०००वीं पोस्ट देखने के लिए।

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  6. सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
    शुभकामनाएँ।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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    1. धन्यवाद, संजू जी, शुक्रिया। अभी आप का ब्लॉग देखता हूं।

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  7. सुंदर जानकारी के लिये धन्यवाद.
    अवश्य ही ब्लोग से संबधित जानकारियां
    लेना चाहूम्गी---मैं अभी भी नौसिखिया ही हूं.

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    1. धन्यवाद जी, पोस्ट देखने के लिए।
      आप का ब्लॉग भी देखा ..बहुत अच्छा लगा...लगे रहिए।

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इस पोस्ट पर आप के विचार जानने का बेसब्री से इंतज़ार है ...