सोमवार, 5 जनवरी 2015

गुर्दे के बाद अब लगा आंखों की चोरी का नंबर


कल खबर पढ़ी पेपर में कि एक श्रद्धालु की किसी ने दोनों आंखें अयोध्या में निकाल लीं....बड़ा अजीब सा लगा यह सुन कर कि आंखें कैसे कोई निकाल सकता है, लिखा तो था कि किसी ने पहले आंखें सुन्न कर दीं...

लेकिन आज के पेपर में इस बात की पुष्टि हो ही गई।

झारखण्ड में गिरिडीह जिले के निवासी कृष्णदेव वर्मा के साथ अयोध्या में की गई दरिंदगी में नया खुलासा हुआ है। झारखण्ड के चिकित्सकों ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कृष्णदेव का आपरेशन करके दोनों आंखें निकाली गई हैं।

विशेषज्ञों ने कहा है कि श्रद्धालु की दोनों ' आई बॉल' किसी एक्सपर्ट हैंड की ओर से ही निकाले जाने की पुष्टि की है।

डॉक्टरों की रिपोर्ट 

झारखण्ड और फैजाबाद के चिकित्सकों की ताजा रिपोर्ट से अब यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि झारखण्ड के गिरिडीह से अयोध्या में रामलला का दर्शन करने आए वर्मा को अयोध्या रेलवे स्टेशन पर बेहोश करने के बाद किसी सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया, जहां किसी प्रशिक्षित नेत्र सर्जन ने उसकी आंखें निकाल लीं। इस निष्कर्ष पर इसलिए पहुंचा जा सकता है क्योंकि आई बॉल गायब होने के बावजूद आंखों के आसपास का हिस्सा क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है।

ऐसी खबर पढ़-सुन कर आदमी कांप जाता है, है कि नहीं?...अभी गुर्दों की चोरी के मामलों की आग ठंड़ी नहीं पड़ी है कि अब आंखों की चोरी का नंबर लग गया।

पहले लोग कहा करते थे कि ज़्यादा धन लेकर नहीं बाहर जाना चाहिए, लूटपाट का डर था, सोने के गहने लूटे जाने लगे, महंगे मोबाइल छीने जाने लगे, एटीएम कार्ड छीन कर उस का सीक्रेट पिन पता करना.....सब कुछ चल रहा है, लेकिन किसी की आंखें ही निकाल लेना--- इतनी ज़्यादा क्रूरता और निर्दयता।

जो भी हो, आर्थिक मदद और मुआवजा ....एक लाख दस हज़ार का .....एक तरह का मजाक ही तो है। बिल्कुल जंगल राज जैसी ही स्थिति हो गई, किसी को भी पकड़ कर शरीर का कोई अंग ही निकाल लो।

इस तरह के अपराधियों को तुरंत पकड़ कर कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए..........ऐसा लिखते हुए भी यही ध्यान आ रहा है कि अब कुछ भी हो जाए, उस बंदे की आंखें तो वापिस आने से रही ......  आखिर उस मजलूम का कसूर क्या!!




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