शनिवार, 3 जनवरी 2015

कौन सी पेस्ट बढ़िया रहेगी?

ज़ाहिर है जो आदमी जिस चीज़ का व्यापारी होगा, उस से उसी के बारे में पूछा जाएगा।

अभी मैं कुछ और लिखने लगा था कि सोचा कि पहले ई-मेल ही देख लूं....एक मित्र ने पूछा था कि क्या फ्लोराइड युक्त पेस्ट ही इस्तेमाल करना चाहिए...और वह फलां फलां पेस्ट इस्तेमाल करता है, क्या वह ठीक है।

बाद में थोड़ी चर्चा भी करूंगा लेकिन इस के लिए ये लिंक यहां लगा रहा हूं....
टुथपेस्ट का कोरा सच 
टुथपेस्ट का कोरा सच- भाग २

जी हां, फ्लारोइड युक्त पेस्ट ही करनी चाहिए....चाहे आप जिस एरिया में रहते हैं वहां पर पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज़्यादा है, तो भी फ्लोराइड वाली पेस्ट का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए, इस के कारणों का खुलासा ऊपर दिए गये लिंक्स पर किया गया है।

दूसरी बार, मैं अपने मरीज़ों को बड़ा साफ़ साफ़ कहता हूं कि अच्छे ब्रांड की पेस्ट ही यूज़ किया करें.....क्योंकि ये कंपनियां इतनी बड़ी होती हैं कि गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं करतीं।

यहां-वहां-इधर-उधर तैयार होने वाली पेस्टों एवं मंजनों से क्या मेरी कोई नाराज़गी है?..... बिल्कुल है, क्योंकि जब मेरे पास मरीज़ आ के बैठता ही है तो मैं दो-तीन पेस्टों एवं मंजनों का नाम लेकर पूछता हूं कि क्या आप फलां फलां मंजन-पेस्ट  कर रहे हैं तो ज़्यादातर केसों में जवाब हां ही में मिलता है, कुछ होते हैं जो कहते हैं कि दांत घिसने के बाद इसे छोड़ दिया था।

यह जो जगह जगह देशी मंजन-पेस्ट आदि बिकते हैं, ये हिंदोस्तानियों के बहुत चहेते हैं.....इन में बाबा-वाबा, नीम-हकीमों के स्पेशल पेस्ट -मंजन भी शामिल हैं....वैसे कुछ बाबा लोगों के अन्य उत्पाद अच्छे हैं, बहुत ही अच्छे हैं, लेिकन मैं इन के तैयार किये गये पेस्टों एवं मंजनों का मैं विरोध करता हूं।

घोर विरोधी इस तरह के पेस्ट मंजनों का इसलिए हूं क्योंिक मैं रोज़ाना ऐसे मरीज़ देखता हूं जो इस तरह के देसी पेस्टों-मंजनों से दांस साफ़ कर के अपने दांत पूरी तरह से खराब करवा चुके होते हैं।

अपने मरीज़ों के सामने तो मैं ऐसे तीन चार पेस्टों मंजनों के नाम गिनवा कर पूछता हूं ...और मुझे जवाब हां ही में मिलता है.......लेकिन मेरी मजबूरी है कि मैं यहां इन का नाम नहीं लिख सकता, फिजूल की कंट्रोवर्सी जन्म ले सकती है, ब्लॉग पर लिखने से टके की कमाई तो होती नहीं, ऊपर से इन पचड़ों में क्यों पड़ें !!........समझने वाले को इशारा ही काफ़ी होता है।

आखिर ऐसा भी क्या है, इस तरह की देसी पेस्टों-मंजनों में कि ये इतनी बड़ी खलनायक हैं........सब से बड़ी बात यह है कि ये बेहद खुरदरे होते हैं, कुछेक में तो लाल-मिट्टी (गेरू-मिट्टी) पड़ी होती है जिस से आप का माली गमले की पुताई करता है.... और शोध ने तो यह भी बता दिया कि माशा-अल्ला कुछ तो इस में तंबाकू भी घुसा देते हैं......अब इस सब के चक्कर में दांत तबाह हो जाते हैं।

लोग समझते हैं कि वे मंजन-पेस्ट का ही इस्तेमाल नहीं कर रहे, इस से तो उन का पायरिया ठीक हो गया, दांत का दर्द गायब हो गया, मुंह की बदबू गायब हो गई........नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं कर सकते ये देशी मंजन-वंजन......केवल और केवल ये आप के लक्षणों को दबाने के अलावा कुछ नहीं कर सकते। डंके की चोट पर मैं यह कहता हूं, दांतों और मसूड़ों की तकलीफ़ के लिए तो दंत-चिकित्सक के पास जाना ही होगा।

हां, मुझे अभी ध्यान आया कि इन खुरदरे देसी मंजनों एवं पेस्टों की विनाश-लीला का भी वर्णन तो मैंने अपने लेखों में खूब किया है......प्रूफ के साथ.....इस ब्लाग के दाईं तरफ़ जो सर्च आप्शन है, वहां पर मैंने बस इतना ही लिखा ....खुरदरे मंजन ......इसी ब्लॉग के जो पन्ने सर्च रिज़ल्टस में आए, उस में से एक का लिंक यह रहा....खुरदरे मंजनों की बरबादी ..आप अवश्य देखिएगा.....केवल आश्वस्त होने के लिए कि पेस्ट तो किसी टाप ब्रांड की ही इस्तेमाल करनी चाहिए।

पता है रफी साहब इस गीत में क्या कह रहे हैं, बता रहे हैं कि सफेद चमकीले दांत हंसे बिना रह नहीं सकते, लोग बिना वजह शक करने लगते हैं......हमारे समय का यह सुपर-डुपर गीत......आगे फरमाते हैं .........इन मोतीयों को पर्दे में रखा करो क्योंकि तुम्हारी हंसी पर लोगों ने नज़रें रखी हुई हैं ..........हा हा हा हा .....रोमांस की इन्तहा....





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