शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

ईश्वर प्राप्ति की खोज में बन बैठे नपुंसक!

अमृतबेला है.....ईश्वर प्राप्ति के बारे में अपना ज्ञान झाड़ने से पहले इन्हें देख लें कि संयासी-संयासिन के बीच क्या चल रहा है.....सुबह की यह डोज़ भी तो ज़रूरी है..........Please bear with me!



लेकिन यह क्या पागलपंथी है, भाई...ईश्वर प्राप्ति के लिए अंडकोष ही उखड़वा दिए। सुना तो था कि ईश्वर को पाने के लिए लोग घोर-तपस्या किया करते थे..लेकिन यह मामला किसी के अंडकोष के निकलवाने तक ही पहुंच जाएगा...इस की तो कल्पना मात्र से ही शरीर कांप उठता है।

पिछले हफ्ते मैंने अखबार में पढ़ा कि हरियाणा के एक डेरे में अनुयायियों को नपुंसक बनाने के मामले की जांच सीबीआई करेगी. यही नहीं, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट जांच की मॉनिटरिंग भी करेगा।

फतेहाबाद निवासी हंसराज चौहान ने २०१२ में याचिका दायर की थी जिस में कहा गया था कि डेरे में ४०० से ज्यादा अनुयायियों को नपुंसक बना दिया गया।

इससे पहले प्रदेश सरकार ने अनुयायियों के अपनी मर्जी से नपुंसक बनने संबंधी रिपोर्ट सौंपी थी। कोर्ट ने कड़ा रूख दिखाते हुए कहा था कि यदि कोई सिर कटवाने के लिे डेरे में आएगा तो क्या डेरे वाले सिर काटकर भी उसे सही बताएंगे। यदि कोई अपनी इच्छा से नपुंसक बना है तो भी इसे मानवीय नहीं माना जा सकता।

हंसराज चौहान ने याचिका में कहा कि उसे और अन्य अनुयायियों को ईश्वर से मिलाने के नाम पर नपुंसक बना दिया गया। हंसराज ने अन्य लोगों के नाम भी दिए।

ऐसी खबर देख कर आदमी कांप जाता है कि नहीं?....वैसे यहां यह बताना ज़रूरी होगा कि नपुंसक बनाने का मतलब यह कि इन पुरूषों के अंडकोष निकाल दिया जाना।

दोस्तो, ये अंडकोष केवल प्रजनन में ही सहायता नहीं करते, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भी इन अंडकोषों से निकलने वाला टेस्टोस्टि्रोन नामक हॉरमोन चाहिए होता है। खबर ही इतनी दहला देने वाली है...

जस्टिस कन्नन ने कहा -- ना तो कोई डाक्टर और ना ही कोई आध्यात्मिक गुरू किसी आदमी से उस के अंडकोष निकालने की रजामंदी ले सकते हैं। एक चिकित्सक भी ऐसे किसी व्यक्ति के ऐसी दलील का साथ नहीं दे सकता जो यह कहे कि वह ईश्वर तक पहुंचना चाहता था या ईश्वर को देखना चाहता था। 

ऐसी खबरें मन को कचोटती हैं ...जांच रिपोर्ट तो आ ही जाएगी........लेिकन यह तो ध्यान में है कि जहां धुआं होगा वहां कुछ तो होगा दोस्तो।

CBI to register FIR

हर बंदे का सुबह सुबह का रूटीन अलग होता है....कुछ योग, कुछ प्राणायाम्, कुछ भ्रमण कर के अपने को चार्ज करते हैं.... मुझे भी तब चुस्ती-फुर्ती नहीं आती जब तक ६०-७० के दशक के चार-पांच सुपरहिट गाने यू-ट्यूब पर न देख लूं।

आज का संदेश यही है कि बाबाओं से बच कर रहिए........पता नहीं ये लोग सिर पर हाथ फेरते फेरते कहां तक जा पहुंचें!!
ईश्वर प्राप्ति का बाबा बुल्ले शाह का एक अचूक फार्मूला तो है ही......
बुल्लेया रब दा की पाना...
ओधरों पुटना ते एधर लाना.. 
अगर यह भी मुश्किल लगे तो संत कबीर जी की ही मान लें.....
पोथी पढ़ कर जग मुआ पंडित भया न कोए
ढाई आखर प्रेम के पढ़े सो पंडित होए। 

फकीरा, तू तो बस चला चल.......

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