आज की दैनिक जागरण के लखनऊ संस्करण में एक मुख्य खबर दिखी..... जिस का शीर्षक था... बिक गया तो असली पकड़ा गया तो नकली। और यह खबर नकली पान मसाले के बारे में थी।
पान मसाला कारोबारियों के लिए असली-नकली का खेल मुनाफा कमाने का धंधा बन गया है। जब तक बाजारों में बिना किसी रोक टोक पान मसाला बिकता रहता है, किसी कंपनी को इसकी फिक्र नहीं रहती है लेकिन जैसे ही माल पकड़ा जाता है, उसे नकली करार देने की होड़ शुरू हो जाती है।
इस खबर में इस तरह के अन्य केसों का भी उल्लेख किया गया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
आप को यह खबर पढ़ कर कैसा लगा। मुझे तो कुछ ज़्यादा अजीब नहीं लगा। जब कारोबारी किसी भी अन्य चीज़ को नहीं बख्शते.......ऐसे में वे पान मसाले जैसी धड़ा-धड़ बिकने वाली वस्तु को कैसे अपने लालच से अछूता रख सकते हैं।
इस तरह की खबरें मैं पहले भी कईं बार देख चुका हूं।
सोच कर भी लगता है कि जो हानिकारक पदार्थ पहले ही से खाने-चबाने वाले की सेहत को बुरी तरह से खराब कर देने की क्षमता रखती हो, उस में भी मिलावट।
इस मिलावट से तो बस वह ध्यान आ गया कि किसी ने नकली ज़हर खा लिया और उस की जान बच गई।
पान मसाला जैसे पदार्थ इसे इस्तेमाल करने वाली की सेहत को जितना बिगाड़ देते हैं ..अब सोचिए कि अगर उस में भी मिलावट हो तो फिर इसे खाने वाले का क्या होगा।
बहरहाल, यह खबर मैंने आप तक ऐसे ही पहुंचा दी --मन किया.....लेकिन यह मेरे को कोई विशेष खबर लगती नहीं है क्योंकि हर पान मसाला खाने-चबाने वाला अच्छे से जानता है कि वह आग से खेल रहा है, फिर भी खेलता है ...और उस आग में मिलावट है या नहीं, इस तरफ़ देखने की फुर्सत ही किसे है। बस गुटखे-पान मसाले की एक हवस है, वह पूरी होनी चाहिए।
पान मसाला कारोबारियों के लिए असली-नकली का खेल मुनाफा कमाने का धंधा बन गया है। जब तक बाजारों में बिना किसी रोक टोक पान मसाला बिकता रहता है, किसी कंपनी को इसकी फिक्र नहीं रहती है लेकिन जैसे ही माल पकड़ा जाता है, उसे नकली करार देने की होड़ शुरू हो जाती है।
इस खबर में इस तरह के अन्य केसों का भी उल्लेख किया गया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
आप को यह खबर पढ़ कर कैसा लगा। मुझे तो कुछ ज़्यादा अजीब नहीं लगा। जब कारोबारी किसी भी अन्य चीज़ को नहीं बख्शते.......ऐसे में वे पान मसाले जैसी धड़ा-धड़ बिकने वाली वस्तु को कैसे अपने लालच से अछूता रख सकते हैं।
इस तरह की खबरें मैं पहले भी कईं बार देख चुका हूं।
सोच कर भी लगता है कि जो हानिकारक पदार्थ पहले ही से खाने-चबाने वाले की सेहत को बुरी तरह से खराब कर देने की क्षमता रखती हो, उस में भी मिलावट।
इस मिलावट से तो बस वह ध्यान आ गया कि किसी ने नकली ज़हर खा लिया और उस की जान बच गई।
पान मसाला जैसे पदार्थ इसे इस्तेमाल करने वाली की सेहत को जितना बिगाड़ देते हैं ..अब सोचिए कि अगर उस में भी मिलावट हो तो फिर इसे खाने वाले का क्या होगा।
बहरहाल, यह खबर मैंने आप तक ऐसे ही पहुंचा दी --मन किया.....लेकिन यह मेरे को कोई विशेष खबर लगती नहीं है क्योंकि हर पान मसाला खाने-चबाने वाला अच्छे से जानता है कि वह आग से खेल रहा है, फिर भी खेलता है ...और उस आग में मिलावट है या नहीं, इस तरफ़ देखने की फुर्सत ही किसे है। बस गुटखे-पान मसाले की एक हवस है, वह पूरी होनी चाहिए।
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