आज सुबह मैं ऐसे ही यू-टयूब पर आरटीआई इंडिया लिख कर सर्च कर रहा था तो सर्च रिज़ल्टस में मुझे आई आई टी कानपुर द्वारा बनाई गई यह वीडियो मिला। इस में किरण बेदी और अरूणा राय को भी इस विषय पर बोलते दिखाया गया है।
और किरण बेदी ने एक बड़ा अहम् प्रश्न उठाया है कि सूचना मांगने वाले को यह भी तो पता होना चाहिये कि वह सूचना लेकर आखिर करेगा क्या? यह अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है ----कोई सूचना पाने में इतनी मेहनत-मशक्तत कर रहा है और उसे पता है नहीं कि आखिर उस ने प्राप्त की गई सूचना का आगे इस्तेमाल कैसे करना है, ऐसे में इतनी मेहनत करने से क्या हासिल?
शुरू में दिखाया गया है कि एक फिल्म का एक दृश्य चल रहा है और पीछे से आवाज़ आ रही है --- यह तो भारत है, यहां कुछ भी बदलने वाला नहीं है, सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा ----तभी नायक कहता है ---कोई भी देश परफैक्ट नहीं होता, इसे परफैक्ट बनाना पड़ता है। इस के बारे में आप का क्या ख्याल है?
और किरण बेदी ने एक बड़ा अहम् प्रश्न उठाया है कि सूचना मांगने वाले को यह भी तो पता होना चाहिये कि वह सूचना लेकर आखिर करेगा क्या? यह अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है ----कोई सूचना पाने में इतनी मेहनत-मशक्तत कर रहा है और उसे पता है नहीं कि आखिर उस ने प्राप्त की गई सूचना का आगे इस्तेमाल कैसे करना है, ऐसे में इतनी मेहनत करने से क्या हासिल?
शुरू में दिखाया गया है कि एक फिल्म का एक दृश्य चल रहा है और पीछे से आवाज़ आ रही है --- यह तो भारत है, यहां कुछ भी बदलने वाला नहीं है, सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा ----तभी नायक कहता है ---कोई भी देश परफैक्ट नहीं होता, इसे परफैक्ट बनाना पड़ता है। इस के बारे में आप का क्या ख्याल है?
प्रवीण जी-बहुत काम की जानकारी दे रहे हैं। आभार
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