Photo Courtesy : berrydoctor.com
आज का मानव क्यों इतना थका सा है, परेशान सा है, हर समय क्यों उसे ऐसे लगता है कि जैसे शरीर में शक्ति है ही नहीं? अन्य कारणों के साथ इस का एक अहम् कारण है कि हम लोगों ने अपनी सेहत को बहुत से हिस्सों में बांट दिया जाता है या कुछ स्वार्थी हितों ने हमें ऐसा करने पर मजबूर कर दिया है।
जहां तक ताकत के लिये इधर उधर भागने की बात है, ये सब बेकार की बातें हैं, इन में केवल पैसे और सेहत की बरबादी है। हम लोग अपनी परंपरा को देखें तो हमारे चारो और ताकत से लैस पदार्थ बिखरे पड़े हैं, लेकिन हम क्यों इन को सेवन करने से ही कतराते रहते हैं !!
चलिये, आज मैं आप के साथ इन ताकत से लैस खाने-पीने वाली वस्तुओं के बारे में अपने अ्ल्प ज्ञान को सांझा करता हूं---निवेदन है कि इस लेख की टिप्पणी के रूप में दूसरे अन्य ऐसे पदार्थों का भी आप उल्लेख करें जिन के बारे में आप भी कुछ कहना चाहें।
आंवला --- या अमृत फल ?
अब आंवले की तारीफ़ के कसीदे मैं पढूं और वह भी आप सब गुणी लोगों के सामने तो वह तो सूर्य को दीया दिखाने वाली बात हो जायेगी।
सीधी सी बात है कि हज़ारों साल पहले जब श्रषियों-मुनियों-तपी-तपीश्वरों ने कह दिया कि आंवला तो अमृत-फल है तो मेरे ख्याल में बिना किसी तरह के सोच विचार के उसे मान लेने में ही बेहतरी है।
अब, कोई यह पूछे कि आंवला खाने से कौन कौन से रोग ठीक हो जाते हैं ----मुझे लगता है कि अगर यह प्रश्न इस तरह से पूछा जाये कि इस का सेवने करने से कौन कौन से रोग ठीक नहीं होते हैं, यह पूछना शायद ज़्यादा ठीक रहेगा।
वैसे भी हम लोग बीमारी पर ही क्यों बहुत ज़्यादा केंद्रित हो गये हैं –हम शायद सेहत पर केंद्रित नहीं हो पाते ---हम क्यों बार बार यही पूछते हैं कि फलां फलां वस्तु किस किस शारीरिक व्याधि के लिये ठीक रहेगी, हमें पूछना यह चाहिये कि ऐसी कौन सी चीज है जो हमें एक दम टोटली फिट रखेगी।और यह आंवला उसी श्रेणी में आने वाला कुदरत का एक नायाब तोहफ़ा है।
इसे सभी लोग अपने अपने ढंग से इस्तेमाल करते हैं---ठीक है किसी भी रूप में यह इस्तेमाल तो हो रहा है। मैं अकसर तीन-चार रूपों में इस का सेवन करता हूं ----जब इस सा सीजन होता है और बाज़ार में ताजे आंवले मिलते हैं तो मैं रोज़ एक दो कच्चे आंवलों को काट कर खाने के साथ खाता हूं ---जैसे स्लाद खाया जाता है, कुछ कुछ वैसे ही।
और कईं बार सीजन के दौरान इस का आचार भी ले लेता हूं --- और अब बाबा रामदेव की कृपा से आंवला कैंड़ी भी ले लेता हूं ----बच्चों के लिये तो ठीक है लेकिन फ्रैश आंवला खाने जैसी बढ़िया बात है ही नहीं।
और कुछ महीनों के लिये जब आंवले बाज़ार से लुप्त हो जाते हैं तो मैं सूखे आंवले के पावडर का एक चम्मच अकसर लेता हूं ---बस आलसवश बहुत बार नहीं ले पाता हूं।
बाज़ार में उपलब्ध तरह तरह के जो आंवले के प्रोडक्टस् मिलते हैं मैं उन्हें लेने में विश्वास नहीं करता हूं ----क्योंकि मुझे उन्हें लेने में यही शंका रहती है कि पता नहीं कंपनी वालों ने उस में क्या क्या ठेल ऱखा हो !! इसलिये मैं स्वयं भी यह सब नहीं खरीदता हूं और न ही अपने किसी मरीज़ को इन्हें खरीदने की सलाह देता हूं। इस मामले में शायद आंवले का मुरब्बा एक अपवाद है लेकिन जिस तरह से वह अब बाज़ार में खुला बिकने लगा है, उस के बारे में क्या कहें, क्या ना कहें !
हमारे एक बॉस थे --- वे कहते थे कि उन के यहां तो आंवले के पावडर को सब्जी तैयार करते समय उसमें ही मिला दिया जाता है --- लेकिन पता नहीं न तो मैं इस से कंविंस हुआ और न ही घर में इस के बारे में एक राय बन पाई।
अगर किसी को अभी तक आंवला खाने की आदत नहीं है और झिझक भी है कि इसे कैसे खाया जायेगा तो आंवला कैंडी से शुभ शूरूआत करने के बारे में क्या ख्याल है ?
दादी की सीख याद दिला दी: आंवला- एक अमृत फल!!
जवाब देंहटाएंआँवला बस बाजार में ताजा आने वाला है। अचार मुरब्बा तो घर पर बनना ही है।
जवाब देंहटाएंवास्तव में अधिकांश बीमारियों की जड हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता ही है .. और आंवले में विटामीन सी की प्रचुरता होती है .. जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने में कारगर है .. इसके साथ ही साथ हर्रे का सेवन सभी बीमारियों को हमसे दूर रखता है !!
जवाब देंहटाएंडा. साहब
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह अच्छी जानकारी....सर जी क्या च्यवनप्राश का सेवन किया जा सकता है..? बाजार में इसके कई विकल्प भी हैं....
शुक्रिया...
मै भी आंबले का पाऊडर खादी आश्रम की दुकान से लाया हु, लेकिन जब हम खाते है तो काफ़ी देर तक मुंह का स्वाद कसेला रहता है, अब खाना छोड दिया है, ओर करीब ४ साल से यह पाऊडर पडा है क्या खराब हो जाता है इतने सम के बाद क्यो कि उस पर जो खत्म होने की तारीख है, वो तो कब की खत्म हो गई है ?अब इसे खाये या ना खाये? क्यो कि हम ने सुना है हमारे मसाले कभी खराब नही होते
जवाब देंहटाएं@ भाटिया जी, मेरे विचार में तो ऐसे पावडर को फैंक ही देना ठीक है।
जवाब देंहटाएंऔर आंवले के पावडर खाने के बाद इतना कसैलेपन वाली बात क्यों है ? मैं तो इस का एक-आध चम्मच मुंह में ऱख कर ऊपर से पानी पी लेता हूं।
हम बरसों से सर्दी के सीजन में सुबह सुबह खाली पेट ताजे आंवलों को काटकर मिक्सी में उन का रस निकाल कर पीते हैं, उससे पेट भी एकदम साफ हो जाता है और अच्छा भी लगता है।
जवाब देंहटाएं@ भाटिया साहब
आंवले का पाऊडर खाने के बाद तुरंत पानी पीने से तो मुंह में मीठा सा स्वाद आता है अगर कसैलापन है तो यकीनन पाऊडर खराब है।
अच्छी जानकारी....
जवाब देंहटाएंGmail in Hindi
जवाब देंहटाएंSQL in Hindi
Output Devices in Hindi
Utility in Hindi
FTP in Hindi
Browser in Hindi
HTTP in Hindi
Good information nice
जवाब देंहटाएं