अभी कुछ ही समय पहले मैंने एक सीरिज़ शुरू की है...मुंह के ये घाव/छाले, लेकिन मुझे विचार आया है कि इस के भी अतिरिक्त एक सीरिज़ अलग से शुरू की जाये जिस में हमारे मुंह के बारे में पूरी जानकारी दी जाये क्योंकि मैंने देखा है कि हिंदी में इस जानकारी का बहुत अभाव है।
मुझे यह लिखने की प्रेरणा पता है कैसे मिली.......अकसर घर में फेशियल के बारे में बातें होती रहती हैं( थैंक गॉड, करवाता कोई नहीं है!) और कुछ समय पहले मैंने एक ऐसे ही फेशियल का रेट सुन कर हैरान हो गया...तीन सौ रूपये !.....इस के रेट के बारे में सुन कर मेरे मुंह से अनायास निकला कि तीन सौ रूपये में तो शायद तीन दिन ( ज़्यादा नहीं कह दिया, तीन घंटे ठीक रहेंगे).....चेहरा चमक जाये लेकिन अगर इसी पैसे का महीने तक ताज़ा फलों का रस पी लिया जाये या ताज़े फलों का ही सेवन कर लिया जाये तो शायद परमानैंट फेशियल ही हो जाये। अब दूर-दराड़ के गांव में कहां ये औरतें इन चक्करों में पड़ती हैं लेकिन इन के चेहरे की आभा देखते बनती है। तो मैसेज क्लियर है.............जस्ट बी नैचुरल !!
ताज़ा फलों की बात की है तो मुझे कुछ दिन पहले अपनी एक महिला मरीज़ से की बात याद आ गई। मैंने उस अधेड़ औरत से यूं ही पूछ लिया कि आप की तबीयत ठीक नहीं लग रही। तब, उस ने मुझे बतलाना शुरू किया कि क्या करें, खाते तो सब कुछ हैं.....अपने पति का नाम लेकर कहने लगी कि अब ये कुछ दिन पहले ही मौसंबी की एक बोरी (शायद पांच सौ रूपये के आस-पास की कीमत में, जैसे कि उस ने मुझे बतलाया).. ही मंडी से उठा लाये हैं, कि अब तू इन का रस निकाल निकाल के खूब पिया कर। ......
मुझे उस महिला की बात सुन कर थोड़ा सुकून तो ज़रूर मिला कि चलो इस केस में पैसे के खर्च करने के लिये च्वाइस तो बेहतर की गई है। लेकिन केवल इस मौसंबी की बोरी पर ही अपनी सारी सेहत का जिम्मा डाल कर निश्चिंत हो जाना क्या ठीक है। ऐसा इसलिये कह रहा हूं कि उस महिला का सामान्य स्वास्थ्य भी कुछ ज़्यादा ठीक न था।
अच्छा ऊपर की गई बातों से आप कहीं यह तो अंदाज़ा नहीं लगाने लग गये कि इस सीरिज़ में मैं मुंह अर्थात् चेहरे तक ही अपनी बात सीमित रखूंगा। ठीक है, कभी कभार यह चेहरा-मोहरा भी कवर हो जाया करेगा। लेकिन मेरी यह सीरिज़ बेसिकली होगी.....मुंह के बारे में.....मुंह अर्थात् दांतों के बारे में, होठों, गालों के अंदरूनी हिस्सों, मसूड़ों, जिह्वा, गले का वह हिस्सा जो सामने नज़र आता है, तालू के बारे में ...............इन सब के बारे में जम कर चर्चा होगी कि ये स्वास्थ्य में कैसे दिखेंगे और बीमारियां किस तरह से इन्हें प्रभावित करती हैं। उम्मीद तो पूरी है कि कुछ भी न छूटने पायेगा (बस जो कुछ पिछले पच्चीस सालों में किया है, देखा है, सीखा है, पढ़ा है....सब कुछ बिलकुल फ्रैंक तरीके से आप के सामने रखने की चाह रखता हूं !)…, आज मैंने इस सीरिज़ को शुरू करने का पंगा तो ले लिया है, लेकिन मुझे स्वयं भी नहीं पता कि यह सीरिज़ क्या दिशा लेगी और यह कितनी लंबी खिंचेगी............यह सब आप की टिप्पणीयों, आप के प्रश्नों, आप की उत्सुकता, आप की ई-मेलज़ पर निर्भर करेगा।
जाते जाते इस पहली पोस्ट में एक बात फिर से दोहरा रहा हूं कि मैडीकल विज्ञान में हम अकसर यह कहते रहते हैं कि Oral cavity is the index of whole of the human body….अर्थात् हमारा मुंह हमारे स्वास्थ्य का प्रतिबिंब है। यह बहुत ही, बहुत ही महत्वपूर्ण स्टेटमैंट है...क्योंकि ऐसी कितनी ही बीमारियां हैं जिन के बारे में हम धीरे धारे जानेंगे जिन का शक हमें किसी व्यक्ति के मुंह के अंदर झांकने मात्र से ही हो जाता है और दूसरी तरफ़ यह भी है कि कितनी ही ऐसी मुंह की तकलीफ़ें हैं जिन के बुरे प्रणाम शरीर के दूसरे सिस्ट्म्ज़ पर हम देखते रहते हैं। यह सब हम चलते चलते देखते जायेंगे।
बतलाईयेगा कि आप को यह सीरिज़ शुरू करने का आईडिया कैसा लगा।
आप का सही कहना है, सिरीज को समय ही दिशा देता है। फिर हम जैसे पाठक उस में महत्वपूर्ण भूमिका भी अदा करते हैं। फलों और शाकों के उपयोग की आप की राय महत्वपूर्ण है।
जवाब देंहटाएंचोपडा जी आप सच मे एक डाक्टर के रुप मे सच्ची समाज सेवा कर रहे हे,वरना तो आज कल डाक्टर लोग बात करने के भी खुब पेसे लेते हे, ओर इस सेवा रुपी काम को धन्धा बना रखा हे,
जवाब देंहटाएंसीरीज तो अच्छी ही चलेगी।और आपसे नई-नई बातें भी पता चलेंगी।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं।
सीरीज तो अच्छी ही चलेगी।और आपसे नई-नई बातें भी पता चलेंगी।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं।