शनिवार, 22 दिसंबर 2007

दोस्तो, आओ अब तो इन भ्रांतियों का भांडा फोड़ ही डालें.....

मेरी तरह से आप ने बहुत बार सुना है न कि अगर एकदम फिट रहना है तो सारे दिन में पानी के आठ गिलास पीने ही होंगे। और कितनी बार हम डाक्टरों ने ही इस बात पर मुंडी हिलाई होगी जब कोई यह कहता है कि हम अपने मस्तिष्क का केवल 10फीसदी हिस्सा ही इस्तेमाल कर पाते हैं। लेकिन दोस्तो इन दोनों में से कोई भी बात सच नहीं है। जी हां, इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मैडीसन के वरिष्ट चिकित्सकों के अनुसार ऐसी कई तरह की भ्रांतियां हैं जो हमें विरासत में ही मिल जाती हैं और जिन्हें चिकित्सक भी जाने-अनजाने मानने लगते हैं। इन चिकित्सकों ने अपना यह अध्ययन ब्रिटिश मैडीकल जर्नल में छपवाया है। दिन में जबरदस्ती आठ-गिलास पानी पीने का कोटा पूरा करने वालों के लिए इन का कहना है कि पानी तो हमें नाना प्रकार के खाध्य पदार्थों से भी प्राप्त होता है जैसे कि फल, सब्जियां आदि.....इस लिए जबरदस्ती पानी के गिलास पर गिलाक गटक जाना सुरक्षित नहीं है। दिमाग के 10 फीसदी हिस्से को इस्तेमाल करने के बारे में उन का कहना है कि हमारा मस्तिष्क तो अभी तक दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बना हुया है, अभी तो हम उस की पूरी तरह से खोज ही नहीं कर पाए हैं ! इसलिए इस धारणा को भी वे सिरे से नकार रहे हैं।
दोस्तो, आप को भी याद होगा जब आप के चेहरे पर दाढ़ी ने नई-नई दस्तक दी होगी, तो आप के भी पिता जी ने चेताया होगा कि बेटा,अभी से शेव-वेव के चक्कर में मत पड़ो, दाढ़ी सख्त हो जाएगी। और इस के लिए हम सब को अकसर हेयर-ड्रैसर के यहां जा कर मशीन चलवानी पड़ती थी। लेकिन,दोस्तो, अपने पिता जी की तरह हम भी गलत ही सोच रहे हैं, इन वैज्ञानिकों ने इस धारणा को भी बेबुनियाद बताया है कि जब बालों को शेव करना शुरू कर दें तो वापिस आने वाले बाल खुरदरे और सख्त होते हैं। इस बात के प्रमाण तो बताया जाता है कि आज से 80 साल ही मिल गए थे कि शेव के बाद आने वाले बाल न तो खुरदरे होते हैं और न ही सख्त.
अकसर लोग सोच लेते हैं कि बाल और नाखुन तो मरने के बाद भी बढ़ते रहते हैं (ड्रैकुला इफैक्ट) --- लेकिन ऐसी धारणा भी बिल्कुल गलत है। होता यूं है कि मरणोपरांत चमड़ी सिकुड़ती है जिसकी वजह से ऐसा लगता है कि बाल अथवा नाखुन बढ़ गए हैं। यह हमारे जीवन काल के दौरान भी तो होता है- कैसे हमारे दांत अकसर उम्र के साथ उगते या बड़े होते दिखते हैं.....वास्तव में एक बार मुंह में उगने के बाद वे क्हां और ज्यादा बड़े हो पाएंगे-- यह जो मसूड़ा जब उस से अपनी दूरी बनानी शुरू करता है तो दांतों के बड़े होने का केवल भ्रम ही पैदा करता है।
ऐसी भ्रांतियों की लिस्ट अच्छी खासी है दोस्तो, लेकिन एक और तो जल्दी से गिना ही दूं ----हम में कितने अभी भी यह सोचते हैं कि च्यूंइंग गम को अगर कोई व्यक्ति गल्ती से निगल ले तो वह सात साल तक उस के पेट में ही पड़ी रहती है।
सुन कर तो हमें हंसी आती है लेकिन हम बस यूं ही इन भ्रांतियों, इन मिथकों को , इन धारणाओं को खुद तो मान बैठते ही हैं, और इन के प्रचार-प्रसार में कोई कसर भी कहां छोड़ते हैं!! सच है या नहीं,दोस्तो ??

3 टिप्‍पणियां:

  1. चलिये जल्दी से बाकि बची भ्रंतियों से भी परिचय करा दीजिये।

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  2. वाह डाक्टर साहेब आप ने सुबह सुबह चार गिलास और दिन भर में दस गिलास पानी पीने जैसे रस हीन काम से मुक्ति दिला दी. ऐसे ही भ्रांतियाँ तोड़ते रहिये और मार्ग दर्शन देते रहिये.
    नीरज

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  3. डॉ साहब अभी एक दो दिन पहले ही सुबह सुबह 9X चैनल पर एंकर शक्‍ति आनन्द बता रहे थे कि हमें दिन में कम से कम १८ गिलास पानी पीना ही चाहिये...
    आपका धन्यवाद कि आपने सही जानकारी दी।

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