जब हम लोग कालेज में पढ़ते थे और हमें खुरदरे मंजनों के बारे में चंद पंक्तियां पढ़ाई जाती थीं कि इस से दांत नष्ट हो जाते हैं तो हम तरफ़ इतना ज़्यादा ध्यान भी नहीं देते थे क्योंकि उस उम्र में हमें लगता था कि सारा संसार तो बढ़िया पेस्टें ही इस्तेमाल कर रहा है।
लेकिन प्रोफैशन में तीस वर्ष बिताने के बाद अब यह लगने लगा है कि जितना नुकसान तंबाकू-गुटखा-पानमसाला मुंह के अंदर वाले हिस्सों (दांतों का भी) का कर रहा है, उतना ही नुकसान ये खुरदरे मंजन दांतों का किए जा रहे हैं।
अब प्रोफैशन है, नौकरी है तो बार बार वही बातें महीने में सैंकड़ों मरीज़ों के साथ दोहरानी पड़ती हैं लेकिन अब तो जैसे ऊब सी होने लगी है।
यार इतना भी इन खुरदरे खराब किस्म के मंजनों का क्या प्रेम कि पब्लिक इन्हें छोड़ ही नहीं पाती?......बहुत से मरीज़ तो ऐसे आते हैं जिन के दांतों का हुलिया देख कर मैं उन से दो-तीन मंजनों-पेस्टों के नाम लेता हूं कि क्या आप ये इस्तेमाल कर रहे हैं। अधिकांश केसों में मेरा शक सही निकलता है।
जब हम ने नईं नईं डैंटिस्ट्री पढ़ी तो हमें यह लगता था कि यार ये जो लोग बसों, फुटपाथों में खुली शीशियों में मंजन-वंजन बेचते हैं, केवल यही गड़बड़ हैं, लेकिन जितने भी ये देशी किस्म के मंजन वंजन बेच कर आप को फंसाया जा रहा है, इन में से अधिकांश बेकार ही हैं......until unless proven otherwise!
मुद्दा एक और भी तो है कि अब अगर ये मंजन घर में आते हैं तो छोटे छोटे बच्चे भी इन्हीं मंजनों से दांत कूचने लगते हैं।
खुरदरापन इन मंजनों का ऐसा कि आप अगर अपनी अंगुली से इसे मसलें तो आप को बिल्कुल महीन और बारीक ही लगेगा। लेकिन इन अधिकांश मंजनों में बहुत मात्रा में गेरू-मिट्टी (लाल मिट्टी) पड़ी रहती है और कुछ में तो तंबाकू भी मिला रहता है और शीशी के ऊपर नहीं लिखा रहता कि इस में तंबाकू भी है।
पब्लिक को गिरफ्त में लेने के लिए इन मंजनों के नाम बड़े भारतीय किस्म के रखे जाते हैं लेकिन ये सब के सब बेकार हैं, यह बात अपने अनुभव के आधार पर लिख रहा हूं। कितने ही मरीज़ रोज़ाना दिखते हैं जिन में इन मंजनों की वजह से दांत घिस जाते हैं और फिर वे दर दर की ठोकरें खाते फिरते हैं उन को रिपेयर करवाने के चक्कर में, नसीब वाले हैं जो यह काम करवा पाते हैं, वरना तो उखड़वाने को ही अधिकतर दांतों का इलाज समझा जाता है।
मुझे अकसर लोग पूछते हैं कि ये मंजन जो किसी बाबा ने या किसी संत ने बनाये हैं, वे कैसे हैं, मैं जब खुरदरे मंजनों की बात कर रहा हूं तो इन सब मंजनों को भी साथ ही में शामिल कर रहा हूं। मेरी माता जी के दांत ठीक ठाक ही थे, लेकिन जब से उन्होंने एक ऐसे ही मंजन और उसी नाम की पेस्ट का इस्तेमाल किया तो लगभग एक-डेढ़ वर्ष के बाद उन के आगे से दांत बुरी तरह से घिस गये और अजीब किस्म के काले-भूरे से दिखने लगे (Dental Staining)....पहले तो मैंने इस तरफ़ ध्यान नहीं दिया, वैसे भी होता है ना......घर का जोगी जोगड़ा.........फिर मुझे उन का यह मंजन और पेस्ट बंद करवाना पड़ा।
देश में बहुत से संत लोग हैं, बाबा हैं, सभी अच्छे हैं, अच्छा काम कर रहे हैं, इन के बाकी उत्पाद भी ठीक हैं, मैं भी सेवन करता हूं लेकिन टुथपेस्ट या मंजन में इन का क्वालिटी कंट्रोल शून्य के समान है........ऐसा मैं उन लोगों के दांतों की हालत देख कर कह सकता हूं जो इन्हें कुछ ही महीने इस्तेमाल करने पर दांतों की ठंड़ा गर्म और रंग बिगड़ने आदि जैसी शिकायतों के साथ दंत चिकित्सकों के पास पंक्तियां लगाने लग जाते हैं। दरअसल विभिन्न कारणों की वजह से इन मंजनों-वंजनों की गुणवत्ता पर कोई कंट्रोल रहा ही नहीं है।
तो फिर मेरी सलाह है कि आप किसी भी इंटरनेशनल ब्रांड की बढ़िया किस्म की पेस्ट इस्तेमाल करें......और अपने दांतों की सेहत को सुरक्षित रखें।
अब कोई अगर यह तर्क देना चाहे कि मैं गलत कह रहा हूं.....देशी मंजन ही बढिया हैं, इन से उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई बल्कि उन के दांत बच गए, उन से मैं क्षमा मांगता हूं, मेरे पास इस तर्क का कोई जवाब नहीं है, वैसे भी मैं बहस में कम ही पड़ता हूं। जो मेरा अनुभव रहा हज़ारों दांतों के मरीज़ों के साथ मैंने आप से साझा कर लिया, अगर आप का अनुभव इन मंजनों वंजनों आदि के बारे में कोई अलग है, कोई बढ़िया किस्म का रिजल्ट आपने पाया है तो कमैंट्स में शेयर करिए......... वैसे विशेषज्ञ की बात मान लेनी चाहिए, पते की बात कह रहा हूं।
देश में यह पेस्टों मंजनों का धंधा करोड़ो-अरबों का है, मेरी किसी विशेष पेस्ट के लिए सिफारिश नहीं है।
इन पेस्टों मंजनों के बारे में कुछ साल पहले भी कुछ लिखा था, अभी सर्च करता हूं... अब पता नहीं उस समय क्या लिख दिया था, लेकिन जो भी लिखा होगा---सच ही लिखा होगा, इस की पूरी गारंटी है....... Check this out at the following links......
यह रहा टुथपेस्ट का कोरा सच --भाग एक
यह रहा टुथपेस्ट का कोरा सच - भाग दो
लेकिन प्रोफैशन में तीस वर्ष बिताने के बाद अब यह लगने लगा है कि जितना नुकसान तंबाकू-गुटखा-पानमसाला मुंह के अंदर वाले हिस्सों (दांतों का भी) का कर रहा है, उतना ही नुकसान ये खुरदरे मंजन दांतों का किए जा रहे हैं।
अब प्रोफैशन है, नौकरी है तो बार बार वही बातें महीने में सैंकड़ों मरीज़ों के साथ दोहरानी पड़ती हैं लेकिन अब तो जैसे ऊब सी होने लगी है।
यार इतना भी इन खुरदरे खराब किस्म के मंजनों का क्या प्रेम कि पब्लिक इन्हें छोड़ ही नहीं पाती?......बहुत से मरीज़ तो ऐसे आते हैं जिन के दांतों का हुलिया देख कर मैं उन से दो-तीन मंजनों-पेस्टों के नाम लेता हूं कि क्या आप ये इस्तेमाल कर रहे हैं। अधिकांश केसों में मेरा शक सही निकलता है।
जब हम ने नईं नईं डैंटिस्ट्री पढ़ी तो हमें यह लगता था कि यार ये जो लोग बसों, फुटपाथों में खुली शीशियों में मंजन-वंजन बेचते हैं, केवल यही गड़बड़ हैं, लेकिन जितने भी ये देशी किस्म के मंजन वंजन बेच कर आप को फंसाया जा रहा है, इन में से अधिकांश बेकार ही हैं......until unless proven otherwise!
मुद्दा एक और भी तो है कि अब अगर ये मंजन घर में आते हैं तो छोटे छोटे बच्चे भी इन्हीं मंजनों से दांत कूचने लगते हैं।
खुरदरापन इन मंजनों का ऐसा कि आप अगर अपनी अंगुली से इसे मसलें तो आप को बिल्कुल महीन और बारीक ही लगेगा। लेकिन इन अधिकांश मंजनों में बहुत मात्रा में गेरू-मिट्टी (लाल मिट्टी) पड़ी रहती है और कुछ में तो तंबाकू भी मिला रहता है और शीशी के ऊपर नहीं लिखा रहता कि इस में तंबाकू भी है।
पब्लिक को गिरफ्त में लेने के लिए इन मंजनों के नाम बड़े भारतीय किस्म के रखे जाते हैं लेकिन ये सब के सब बेकार हैं, यह बात अपने अनुभव के आधार पर लिख रहा हूं। कितने ही मरीज़ रोज़ाना दिखते हैं जिन में इन मंजनों की वजह से दांत घिस जाते हैं और फिर वे दर दर की ठोकरें खाते फिरते हैं उन को रिपेयर करवाने के चक्कर में, नसीब वाले हैं जो यह काम करवा पाते हैं, वरना तो उखड़वाने को ही अधिकतर दांतों का इलाज समझा जाता है।
मुझे अकसर लोग पूछते हैं कि ये मंजन जो किसी बाबा ने या किसी संत ने बनाये हैं, वे कैसे हैं, मैं जब खुरदरे मंजनों की बात कर रहा हूं तो इन सब मंजनों को भी साथ ही में शामिल कर रहा हूं। मेरी माता जी के दांत ठीक ठाक ही थे, लेकिन जब से उन्होंने एक ऐसे ही मंजन और उसी नाम की पेस्ट का इस्तेमाल किया तो लगभग एक-डेढ़ वर्ष के बाद उन के आगे से दांत बुरी तरह से घिस गये और अजीब किस्म के काले-भूरे से दिखने लगे (Dental Staining)....पहले तो मैंने इस तरफ़ ध्यान नहीं दिया, वैसे भी होता है ना......घर का जोगी जोगड़ा.........फिर मुझे उन का यह मंजन और पेस्ट बंद करवाना पड़ा।
देश में बहुत से संत लोग हैं, बाबा हैं, सभी अच्छे हैं, अच्छा काम कर रहे हैं, इन के बाकी उत्पाद भी ठीक हैं, मैं भी सेवन करता हूं लेकिन टुथपेस्ट या मंजन में इन का क्वालिटी कंट्रोल शून्य के समान है........ऐसा मैं उन लोगों के दांतों की हालत देख कर कह सकता हूं जो इन्हें कुछ ही महीने इस्तेमाल करने पर दांतों की ठंड़ा गर्म और रंग बिगड़ने आदि जैसी शिकायतों के साथ दंत चिकित्सकों के पास पंक्तियां लगाने लग जाते हैं। दरअसल विभिन्न कारणों की वजह से इन मंजनों-वंजनों की गुणवत्ता पर कोई कंट्रोल रहा ही नहीं है।
तो फिर मेरी सलाह है कि आप किसी भी इंटरनेशनल ब्रांड की बढ़िया किस्म की पेस्ट इस्तेमाल करें......और अपने दांतों की सेहत को सुरक्षित रखें।
अब कोई अगर यह तर्क देना चाहे कि मैं गलत कह रहा हूं.....देशी मंजन ही बढिया हैं, इन से उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई बल्कि उन के दांत बच गए, उन से मैं क्षमा मांगता हूं, मेरे पास इस तर्क का कोई जवाब नहीं है, वैसे भी मैं बहस में कम ही पड़ता हूं। जो मेरा अनुभव रहा हज़ारों दांतों के मरीज़ों के साथ मैंने आप से साझा कर लिया, अगर आप का अनुभव इन मंजनों वंजनों आदि के बारे में कोई अलग है, कोई बढ़िया किस्म का रिजल्ट आपने पाया है तो कमैंट्स में शेयर करिए......... वैसे विशेषज्ञ की बात मान लेनी चाहिए, पते की बात कह रहा हूं।
देश में यह पेस्टों मंजनों का धंधा करोड़ो-अरबों का है, मेरी किसी विशेष पेस्ट के लिए सिफारिश नहीं है।
इन पेस्टों मंजनों के बारे में कुछ साल पहले भी कुछ लिखा था, अभी सर्च करता हूं... अब पता नहीं उस समय क्या लिख दिया था, लेकिन जो भी लिखा होगा---सच ही लिखा होगा, इस की पूरी गारंटी है....... Check this out at the following links......
यह रहा टुथपेस्ट का कोरा सच --भाग एक
यह रहा टुथपेस्ट का कोरा सच - भाग दो