"एवन बेकरी चलेंगे"….जयेश ने आटोवाले से पूछा..
"कहां पे है यह साहब"…..आटोवाले ने सवाल किया…
"बिल्कुल साकी-नाके के पास …"
"अगर आप को पता है तो बैठ जाइए…."
"हां हा, पता है, चलो, यार" …..जैसे ही जयेश ने कहा आटो वाले ने मीटर डाउन किया और चलने लगा …
जयेश मोबाईल पर गाने लगा कर सुनने लगा ….
बीच रास्ते में आटो वाले को फोन आया …उसने अपना बेसिक फोन कमीज़ की जेब से निकाला और बात करने लगा …
"बेटा, चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा…."
दूसरी तरफ से जो बात सुनाई दी …वह सुन कर आटोवाला थोड़ा परेशान हो गया…."बेटा, ..बस, थोड़े वक्त की बात है, अभी धंधा कर के आता हूं तो टीका लगवा लेंगे…"
एक आध बात और कर के आटो वाले ने फोन बंद कर के जेब में रख दिया…जयेश ने देखा उसने जेब से रूमाल निकाल कर अपनी आंखों को एक झटके से पोंछा हो जैसे…
जयेश भी अकसर किसी भी अनजान से, राह चलते बंदे से, किसी रिक्शा-आटो वाले से बात करने लगता है …यही मानता है कि बंदा अगर ज़िंदा है तो उसे ज़िंदा लोगों की तरह बर्ताब भी तो करना चाहिए…संवेदनाएं तो सभी की एक जैसी हैं….ऊंच नीच और जात पात, धर्म-मजहब के वॉयरस के हमले से बचा रह गया, पता नहीं कैसे ..
दो चार मिनट तक आटो आगे चलता रहा …
जयेश से रहा नहीं गया…."क्या हुआ, किस से बात हो रही थी, सब ठीक तो है…."
आटो वाले ने बताया …"साहब, आज सुबह बेटा सीढ़ियों से फिसल गया….14 साल का है, उसे गुम चोट आई है, सुबह एक्सरे तो करवा लिया था…क्रेक नहीं है, डाक्टर ने बताया है। दवाईयां लेकर दे आया था, 380 रुपए लिए डाक्टर ने। अभी उसी का फोन था कि दर्द हो रहा है। डाक्टर ने कहा था कि अगर दर्द गोली से कम न हुआ तो शायद टीका लगवाना पड़ेगा, ….अभी रोते रोते वही बता रहा था कि दर्द बहुत है…..सुबह से खाना भी नही खा रहा दर्द के मारे … मैंने उसे यही कहा है कि अभी आता हूं ……बेटे की बात सुन कर मेरी भी आंखें ….बस………." आटो वाले ने बात अधूरी छोड़ दी….
"चिंता मत करो, इतनी उम्र में चोटें बहुत जल्द ठीक भी हो जाती हैं, टीका लगवा लेना….क्रेक तो नहीं है, इस बात का तो इत्मीनान है…."जयेश ने उसे हौसला दिया…
फिर अगले 5-7 मिनट तक चुप्पी छाई रही…..अब मोबाइल में गीत भी न बज रहा था ….
एवन बेकरी पर पहुंच कर जयेश ने किराया चुकता किया और अलग से एक सौ रुपए आटो वाले को थमाते हुए कहा …."यह तुम्हारे बेटे के टीके के लिए। चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा…."
"प्रार्थना करना, साहब"…..आटो वाले से इतना ही कहते बना…
बेकरी की तरफ़ बढ़ते हुए जयेश को लग रहा था जैसे उसने सब से पहले केक का एक टुकड़ा उस आटो-वाले के बेटे में मुंह डाला हो …,संयोगवश, आज जयेश के बेटे का जन्मदिन था जिस के लिए वह केक लेने बेकरी की तरफ़ आया था….एक सौ रूपए की कीमत वहां मिलने वाले केक की एक बाइट से ज़्यादा कतई न थी....