यह बात मैं बहुत बरस पहले समझ गया था... एक बहुत मशहूर कहावत है कि एक एक तस्वीर १००० शब्दों के बराबर है ..एक ज़माने में जब मैं online story-telling के कोर्स पे कोर्स किए जा रहा था तो यह बात बात बार बार सुनने को मिलती थी अकसर...और उन्हीं दिनों यह भी समझ में आ गया कि यह १००० शब्दों वाली बात तो है ही, इस के साथ साथ हर तस्वीर बोलती भी है...हम से कुछ चीख चीख कर कहना चाहती है ...थोड़ी फुर्सत तो निकालइए...
मेरे शौक भी कुछ कुछ दिनों बाद बदल जाते हैं.... कुछ भी नया देखता हूं..ट्राई करने की कोशिश तो करता ही हूं...just experimentation!
पिछले कुछ महीनों के दौरान शेयरो-शायरी का शौक चढ़ गया था... खूब पढ़ा बड़े बड़े शायरों को ... और उन के खूबसूरत विचारों के पोस्टर बना कर शेयर भी बहुत किया...एक दिन अचानक लगा, यह तो कोई बात नहीं हुई..उन्होंने जो बात कहने थी, वे कह गये, उन के अपने अनुभव थे, वे दर्ज़ कर गये ...लेिकन हमारे (मेरे) पास जो अपने हर तरह के अनुभवों को पिटारा है उन का आचार डालें?.... वे किस काम के?
मैं हरेक को अपने विचारों को, अपने अनुभवों को कलमबद्ध करने के लिए प्रेरित किया करता हूं...इस के लिए कोई बहुत बड़ा बुद्धिजीवी भी होने की या दिखाने की भी ज़रूरत बिल्कुल नहीं है, पहले बचपन में हम लोग स्क्रैप-बुक में कुछ भी लिख लिया करते थे, फिर डायरी लिखनी शुरू की... एक ब्लॉग भी शुरू किया ...डायरी की तरह का ही ...मेरी स्लेट के नाम से ...बहुत समय तक वह खुला रहा लेकिन एक दिन पता नहीं क्या सूझी उसे पर्सनल कर दिया....
आप जो भी लिख रहे हैं, यह कहां ज़रूरी है कि उसे कोई पढ़े ... पढ़े तो अच्छा, न पढ़े तो और भी अच्छा...लिख तो आप अपने लिए रहे हैं.. क्योंकि आप को अच्छा लगता है .. आप हल्कापन महसूस करते हैं लिखने के बाद...बात इतना मासूम सा कारण है!
पिछले कुछ दिनों से मुझे अपने अनुभवों के आधार पर Quotes लिखने को शौक लग गया है ...जिन तस्वीरों के ऊपर ये जो Quotes लिखे हुए हैं ये भी मेरे द्वारा ही खींची गई हैं.. अच्छा लगता है, पहले कभी कभी मैं दूसरों के Quotes कापी कर लिया करता था, वह सिलसिला कैसे टूटा अभी बताता हूं, पहले आप कुछ Picture Quotes देखिएगा जो मैंने पिछले कुछ दिनों में बनाए हैं... बड़ा आसान है .. आप के पास कोई भी तस्वीर है, उस के बारे में कुछ भी कहने से शुरूआत तो कर के देखिए... शुरू शुरू में थोड़ा शायद पक जाएं, लेकिन फिर अच्छा लगने लगता है... कोशिश करिएगा... शेयर करना हो तो करिए, नहीं तो अपने पास ही रखे रखिए छुपा के दबा के, मैं तो वैसे शेयर करने में विश्वास करता हूं..
बस, यही कह कर इस पोस्ट को बंद करूंगा कि आप सब से भी यही अनुरोध है कि कंटेंट में नयापन लाने की कोशिश करिए... जो भी मन में है कापी में लिखना शुरू करिए, डायरी लिखिए, अगर ऑन-लाइन अपना ब्लॉग लिखना चाहते हैं तो शुरूआत तो करिए...कोई मुश्किल हो तो बिंदास मुझे भी िलख सकते हैं (drparveenchopra@gmail.com)..
हां, मैंने कैसे अचानक ये Quotes लिखने शुरू कर दिए.... मैंने बताया न कि मैं पहले दूसरे लोगों के Quotes वाट्सएप पर शेयर कर दिया करता था ... जब भी मेरी मां जी को यह मिलता..उसे वाट्सएप पर पढ़ती या मेरी किसी डॉयरी में मेरे द्वारा लिखा हुआ देखती तो मुझे अकसर पूछती हैं .... ऐह तू लिखया? ( क्या यह तुमने िलखा है?).... जब मैं कुछ बार यह कह कर के ऊब सा गया कि नहीं, किसी और ने कहा है, बस लिखा मैंने हैं........मेरी यही प्रेरणा रही कि अपनी बात, अपने अल्फ़ाज़ में रखते हैं, अपने ज़िंदगी के पन्नों के बारे में लिखते हैं......बस, अब यही सोचा है कि अपने अनुभव की ही बात करेंगे, वरना चुप रहेंगे....आप का क्या ख्याल है?
मेरी पसंद का एक गीत सुनते हैं...इस के याद रहने का एक और भी कारण है... कुछ साल पहले मुझे सर्जरी के लिए आप्रेशन थियेटर में ले जाया गया...किसी प्राईव्हेट अस्पताल में जयपुर में...लेिकन अंदर टीम भी एफ.एम की शौकीन ...मुझे अच्छे से याद है कि एनेस्थिसिया दिए जाने से पहले उस आप्रेशन थियेटर में यही गीत बज रहा था...
मेरे शौक भी कुछ कुछ दिनों बाद बदल जाते हैं.... कुछ भी नया देखता हूं..ट्राई करने की कोशिश तो करता ही हूं...just experimentation!
पिछले कुछ महीनों के दौरान शेयरो-शायरी का शौक चढ़ गया था... खूब पढ़ा बड़े बड़े शायरों को ... और उन के खूबसूरत विचारों के पोस्टर बना कर शेयर भी बहुत किया...एक दिन अचानक लगा, यह तो कोई बात नहीं हुई..उन्होंने जो बात कहने थी, वे कह गये, उन के अपने अनुभव थे, वे दर्ज़ कर गये ...लेिकन हमारे (मेरे) पास जो अपने हर तरह के अनुभवों को पिटारा है उन का आचार डालें?.... वे किस काम के?
मैं हरेक को अपने विचारों को, अपने अनुभवों को कलमबद्ध करने के लिए प्रेरित किया करता हूं...इस के लिए कोई बहुत बड़ा बुद्धिजीवी भी होने की या दिखाने की भी ज़रूरत बिल्कुल नहीं है, पहले बचपन में हम लोग स्क्रैप-बुक में कुछ भी लिख लिया करते थे, फिर डायरी लिखनी शुरू की... एक ब्लॉग भी शुरू किया ...डायरी की तरह का ही ...मेरी स्लेट के नाम से ...बहुत समय तक वह खुला रहा लेकिन एक दिन पता नहीं क्या सूझी उसे पर्सनल कर दिया....
आप जो भी लिख रहे हैं, यह कहां ज़रूरी है कि उसे कोई पढ़े ... पढ़े तो अच्छा, न पढ़े तो और भी अच्छा...लिख तो आप अपने लिए रहे हैं.. क्योंकि आप को अच्छा लगता है .. आप हल्कापन महसूस करते हैं लिखने के बाद...बात इतना मासूम सा कारण है!
पिछले कुछ दिनों से मुझे अपने अनुभवों के आधार पर Quotes लिखने को शौक लग गया है ...जिन तस्वीरों के ऊपर ये जो Quotes लिखे हुए हैं ये भी मेरे द्वारा ही खींची गई हैं.. अच्छा लगता है, पहले कभी कभी मैं दूसरों के Quotes कापी कर लिया करता था, वह सिलसिला कैसे टूटा अभी बताता हूं, पहले आप कुछ Picture Quotes देखिएगा जो मैंने पिछले कुछ दिनों में बनाए हैं... बड़ा आसान है .. आप के पास कोई भी तस्वीर है, उस के बारे में कुछ भी कहने से शुरूआत तो कर के देखिए... शुरू शुरू में थोड़ा शायद पक जाएं, लेकिन फिर अच्छा लगने लगता है... कोशिश करिएगा... शेयर करना हो तो करिए, नहीं तो अपने पास ही रखे रखिए छुपा के दबा के, मैं तो वैसे शेयर करने में विश्वास करता हूं..
इन तस्वीरों को यहां पेस्ट करते समय एक तस्वीर मेरे स्कूल के मैगजीन की भी दिख गई...१९७७ के समय की ...अमृतसर शहर की ४०० वीं जयंती के विषय पर स्कूल की पत्रिका प्रकाशित हुई थी...मैंने भी उस समय कुछ लिखा था इंगलिश में...समाचार-पत्रों में प्रकाशित मेरे लेखों का मुझे कुछ पता नहीं कि वे कहां हैं ..अभी हैं भी या नहीं, लेिकन स्कूल के मैग्जीन में छपे ये लेख तो स्पेशल हैं ही ...
हां, मैंने कैसे अचानक ये Quotes लिखने शुरू कर दिए.... मैंने बताया न कि मैं पहले दूसरे लोगों के Quotes वाट्सएप पर शेयर कर दिया करता था ... जब भी मेरी मां जी को यह मिलता..उसे वाट्सएप पर पढ़ती या मेरी किसी डॉयरी में मेरे द्वारा लिखा हुआ देखती तो मुझे अकसर पूछती हैं .... ऐह तू लिखया? ( क्या यह तुमने िलखा है?).... जब मैं कुछ बार यह कह कर के ऊब सा गया कि नहीं, किसी और ने कहा है, बस लिखा मैंने हैं........मेरी यही प्रेरणा रही कि अपनी बात, अपने अल्फ़ाज़ में रखते हैं, अपने ज़िंदगी के पन्नों के बारे में लिखते हैं......बस, अब यही सोचा है कि अपने अनुभव की ही बात करेंगे, वरना चुप रहेंगे....आप का क्या ख्याल है?
मेरी पसंद का एक गीत सुनते हैं...इस के याद रहने का एक और भी कारण है... कुछ साल पहले मुझे सर्जरी के लिए आप्रेशन थियेटर में ले जाया गया...किसी प्राईव्हेट अस्पताल में जयपुर में...लेिकन अंदर टीम भी एफ.एम की शौकीन ...मुझे अच्छे से याद है कि एनेस्थिसिया दिए जाने से पहले उस आप्रेशन थियेटर में यही गीत बज रहा था...