मैं सोच रहा था कि आज कुछ दिख नहीं रहा वाट्सएप पर शेयर करने लायक ...उसी ज्ञान को ही शेयर करूं जो पहले मुझे खुश करे ...यह कोई औपचारिकता तो है नहीं...
तभी अचानक वाट्सएप पर यह ज्ञान पहुंचा...इसे पहले भी देख-पढ़ चुके हैं लेिकन इस तरह की बातें बार बार पढ़ने में और आगे शेयर करने में अच्छा लगता है.. अपने आप को भी इस तरह की बातें समझाने-समझने का एक मौका तो मिलता ही है...और कुछ हो या न हो!
जब मैंने पहली बार यह मैसेज पढ़ा था तो मैं बड़ा रोमांचित हुआ था... मुन्नाभाई एमबीबीएस के कुछ डॉयलाग याद आ गये थे.. प्रवचन हम बहुत बड़े बड़े सुन लेते हैं, ज्ञान भी बटोर-बांट लेते हैं लेकिन बहुत बार अहम् इतना हावी हो जाता है कि इंसा को इंसा ही नहीं मान पाते ...
ज्यादा फिलासफ़ी नहीं, इस मैसेज को पढ़िए...
यह मैसेज बहुत बढ़िया लगा... लेकिन यही लगा कि एक घँटा बहुत ज़्यादा समय नहीं है क्या?..शायद इसे १५ मिनट कर देना चाहिए...
इसे देख कर मुझे कुछ सरकारी बिल्डिंगों के वॉश-रूम का ध्यान आ गया.. इतना बुरा हाल तो नहीं, लेकिन इतना ज़रूर पाया कि 12x12 के वॉश-रूम के सीट को बिल्कुल किनारे पर दीवार से बिल्कुल सटा कर फिट किया जाता है..
और एक वीडियो भी मिला जुगाड़ का ... देखिए इसे ट्राई मत कीजिएगा...प्लीज़... खतरनाक खेल!
आज की ज्ञान भरमार को यह वीडियो देख कर विराम देते हैं.....क्या ख्याल है ?
तभी अचानक वाट्सएप पर यह ज्ञान पहुंचा...इसे पहले भी देख-पढ़ चुके हैं लेिकन इस तरह की बातें बार बार पढ़ने में और आगे शेयर करने में अच्छा लगता है.. अपने आप को भी इस तरह की बातें समझाने-समझने का एक मौका तो मिलता ही है...और कुछ हो या न हो!
जब मैंने पहली बार यह मैसेज पढ़ा था तो मैं बड़ा रोमांचित हुआ था... मुन्नाभाई एमबीबीएस के कुछ डॉयलाग याद आ गये थे.. प्रवचन हम बहुत बड़े बड़े सुन लेते हैं, ज्ञान भी बटोर-बांट लेते हैं लेकिन बहुत बार अहम् इतना हावी हो जाता है कि इंसा को इंसा ही नहीं मान पाते ...
ज्यादा फिलासफ़ी नहीं, इस मैसेज को पढ़िए...
ये कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो एक फ्रीजर प्लांट में काम करता था । वह दिन का अंतिम समय था...वह भी घर जाने को तैयार था... तभी प्लांट में एक तकनीकी समस्या उत्पन्न हो गयी और वह उसे दूर करने में जुट गया । जब तक वह कार्य पूरा करता तब तक अत्यधिक देर हो गयी । दरवाजे सील हो चुके थे और लाईटें बुझा दी गईं । बिना हवा एवं प्रकाश के पूरी रात आइस प्लांट में फसें रहने के कारण उसकी बर्फीली कब्रगाह बनना तय था । घण्टे बीत गए तभी उसने किसी को दरवाजा खोलते पाया ।
क्या यह इक चमत्कार था ?
सिक्यूरिटी गार्ड टोर्च लिए खड़ा था और उसने उसे बाहर निकलने में मदद की। वापस आते समय उस व्यक्ति ने सेक्युर्टी गार्ड से पूछा "आपको कैसे पता चला कि मै भीतर हूँ ?" गार्ड ने उत्तर दिया "सर, इस प्लांट में 50 लोग कार्य करते हैँ पर सिर्फ एक आप हैँ जो सुबह मुझे नमस्कार और शाम को जाते समय फिर मिलेंगे कहते हैँ । आज सुबह आप ड्यूटी पर आये थे पर शामको आप बाहर नहीं गए । इससे मुझे शंका हुई और मैं देखने चला आया ।
वह व्यक्ति नही जानता था कि उसका किसी को छोटा सा सम्मान देना कभी उसका जीवन बचाएगा । याद रखेँ, जब भी आप किसी से मिलते हैं तो उसका गर्मजोश मुस्कुराहट के साथ सम्मान करें । हमें नहीं पता ...पर हो सकता है कि ये आपके जीवन में भी चमत्कार दिखा दे ।और कुछ अन्य मैसेज भी जो मुझे अच्छे लगे वे भी यहां इस ज्ञान भरमार में चिपकाए दे रहा हूं...शायद मुझे इन्हें बार बार देखने समझने की आप से भी कहीं ज़्यादा ज़रूरत है..
कॉपी पेस्ट है.... अच्छा लगे तो आगे बढ़ाये...
यह मैसेज बहुत बढ़िया लगा... लेकिन यही लगा कि एक घँटा बहुत ज़्यादा समय नहीं है क्या?..शायद इसे १५ मिनट कर देना चाहिए...
इसे देख कर मुझे कुछ सरकारी बिल्डिंगों के वॉश-रूम का ध्यान आ गया.. इतना बुरा हाल तो नहीं, लेकिन इतना ज़रूर पाया कि 12x12 के वॉश-रूम के सीट को बिल्कुल किनारे पर दीवार से बिल्कुल सटा कर फिट किया जाता है..
बहुत बड़ा सच समझा दिया इस मैसेज ने.. |
इसे तो हमें रोज़ पढ़ने और चेते रखने की बहुत ज़रूरत है.. |
और एक वीडियो भी मिला जुगाड़ का ... देखिए इसे ट्राई मत कीजिएगा...प्लीज़... खतरनाक खेल!
आज की ज्ञान भरमार को यह वीडियो देख कर विराम देते हैं.....क्या ख्याल है ?
बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर।
हटाएंबहुत ही सुंदर और आकर्षक है ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, dear babbar....आप के साथ बात करते ही मैं 40 साल पुराने दिनों की यादों में खो जाता हूँ। आप का कमेंट देख कर बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंज्ञान की गंगा का हाथों की कटोरी में चर्नामत भी बड़ा सुखदाई होगा जी .....शुक्रिया जी .
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