आम तौर पर किसे के मोटापे के बारे में जानने के लिये बी.एम.आई इंडैक्स (BMI Index) जान लिया जाता है और उसे के मुताबिक उसे मोटापा या पतला लेबल कर दिया जाता है।
अपना बीएमआई इंडैक्स जानने के लिये यहां पर क्लिक करिये .. देखिये इस साइट पर बताया गया है कि भारतीयों का बीएमआई इंडैक्स 23 से ज़्यादा नहीं होना चाहिए। सोच रहा हूं कि जो लोग यहां से बाहर जा कर बस गये हैं, वे भी कहीं यह तो नहीं सोच रहे कि उन के लिये कोई छूट नहीं है, यह वैल्यू उन पर भी उतनी ही लागू होती है।
आखिर यह बीएमआई इंडैक्स है क्या बला ? –अगर हम लोग अपने वज़न (किलोग्राम में) को अपनी लंबाई (हाइट—मीटरों में) के स्क्वेयर से डिवाईड कर दें तो जो वैल्यू आती है, उसे बीएमआई इंडैक्स कहते हैं।
एक उदाहरण मेरी ही –मेरी लंबाई 5फुट 10इंच अर्थात् 175 सैंटीमीटर और वज़न 91 किलो तो मैंने जब ये वैल्यू साइट पर भरे तो मेरा बीएमआई इंडैक्स 30 आया है.....औरों को नसीहत .... वही वाली बात लगती है। और यह तब है जब मैं जंक लगभग नहीं के बराबर लेता हूं, देसी-घी मक्खन आदि को कोई चक्कर ही नहीं, धूम्रपान नहीं, ड्रिंक्स नहीं.....सब से बड़ी कमी है नियमित शारीरिक सक्रिय न रखने की।
कोशिश तो रहती है कि रोज़ाना 40-50मिनट साईक्लिंग कर आऊं लेकिन कईं बार मौसम का बहाना बना कर कईं कईं दिन छुट्टी मना लिया करता हूं लेकिन अब लगता है कि इस मामले में सुधरना पड़ेगा।
चलो फिर आप भी तब तक अपना बीएमआई इंडैक्स की वेल्यु देख लें... लेकिन एक बात जो मैंने पहले भी लिखी थी वह यह कि जो मोटापा हमारे पेट के आस पास है जिसे हम लोग सेब जैसा मोटापा (मुझे यही है !) कहते हैं वह ज़्यादा खतरनाक होता है ...इस की तुलना में जो मोटापा जांघों पर एवं नितंबों पर वसा के जमा होने से होता है यह उतना नुकसानदायक नहीं होता।
यही कारण है कि किसी को केवल बीएमआई इंडैक्स के आधार पर ही किसी की मोटा या पतला होने की लेबलिंग करने में पेच है – कारण बता दिया गया है। इसलिये लाखों लोगों की कमर का माप लिया गया और यह पाया गया कि बीएमआई इंडैक्स सामान्य होते हुये भी अगर कमर का घेरा बढ़ा है तो भी गड़बड़ ही है.. वैसे माशाल्लाह अपना तो इस “कमरे” का घेरा भी 40-41 इंच है ही। इस के बारे में अच्छी तरह से समझने के लिये आप मेरा यह लेख अवश्य देखें --- साढ़े तीन लाख लोगों की कमर नापने के बाद।
और अब तो और भी आसानी से पता लगाया जा सकता है कि किस तरह से यह मोटापा हमारी सेहत पर कहर बरपा रहा है... बीबीसी की यह हैल्थ-स्टोरी देखें ...BMI misses obesity risks. कितना साधारण या पैमाना निकाल लिया गया है कि हमारी कमर का साइज हमारी लंबाई के आधे से ज्यादा नहीं होना चाहिये – अभी भी मुझे अपनी उदाहरण ही देनी पड़ेगी क्या ? – लंबाई 175 सैंटीमीटर –इस के हिसाब से मेरी कमर का साइज 88-90 सैंटीमीटर से ज़्यादा नहीं होना चाहिये लेकिन वास्तव में यह है 40 इंच के आसपास अर्थात् 100सैंटीमीटर ---इसलिये अब मुझे चिंता होने लगी है कि ये 10सैंटीमीटर कैसे कम होंगे? सब से ज़्यादा ज़रूरी है एक्टिविटी बढ़ाई जाए।
वैसे क्या आप को भी लगता है हम लोग वही पुराना रिकार्ड क्यों लगा देते हैं –मोटापा, मोटापे का माप-तोल, मोटापे की श्रेणीयां----- ये सब कुछ बार बार पढ़ना उबाऊ सा ही लगता होगा न.... लेकिन मैं सोचता हूं कि इस तरह के रिमांईडर बार बार दिखते रहने चाहिये ---इस से पाठकों के साथ साथ लिखने वाले को भी बहुत फ़ायदा होता है, उसे कम से कम अपने बारे में भी सोचने का अवसर तो मिलता है।
सत्संग में हम सब लोग कहीं न कहीं जाते हैं, वहां पर भी अकसर वही बातें बार बार दोहराई जाती हैं ...एक बार किसी ने ऐसी बात आगे रखी तो महांपुरूषों ने उस की शंका का समाधान यह कहते हुये किया कि ठीक है, वही बातें हैं, साधारण बातें हैं लेकिन क्या इन्हें आपने अपने जीवन में उतारना शुरू कर दिया है.... इस का जवाब हम स्वयं दे सकते हैं कि हम कितना इन सतवचनों पर पूरा उतरते हैं, इसलिये इन की नियमित पुनरावृत्ति होती ही रहनी चाहिए।
उसी प्रकार ही ये मोटापे-वापे की बातें हैं... हम जब तक ये सब बातें मानते नहीं, खान-पान में बदलाव नहीं लाते, जीवनशैली बदलते नहीं, रोज़ाना शारीरिक व्यायाम करते नहीं तब तक तो इस तरह के लेखों के रूप में बार बार रिमांइडर भेजने का सिलसिला तो मेरे ख्याल में चलता ही रहना चाहिए ....पता नहीं कब कौन सी बात निशाने पर लग जाए।
बातें तो ये छोटी छोटी हैं, लगभग हम सब को पहले ही से पता हैं, लेकिन थोड़ा बहुत असर तो होता ही है, परसों मैंने जब यह बीबीसी स्टोरी पढ़ी तो तुरंत लैपटॉप बंद कर के आईक्लिंग करने निकल गया ---हमारे यहां आसपास हरे भरे खेत हैं, अगर फिर भी मेरे जैसे लोग घर पर ही पढ़े रहें तो कोई क्या करे! लगभग तीन साल पहले मैंने जब एक ऐसा ही लेख लिखा है – धूल चाटते वाकिंग शूज़ के बारे तो भी मैं लंबे अरसे तक नियमित टहलने निकल जाया करता था। लगता है अभी बस इसे पोस्ट करूं और इस ‘कमरे’ की सलामती के लिये बाहर निकल ही जाऊं ---- कितना सही कहा भी तो गया है ... पहला सुख निरोगी काया !!
इतनी सीरियस से बातें सुनने के बाद चलिये मन को थोड़ा हल्का करते हैं ... तेरे गिरने में भी तेरी हार नहीं कि तूं आदमी है अवतार नहीं ..... मुझे यह गीत बहुत ही पसंद है।
अपना बीएमआई इंडैक्स जानने के लिये यहां पर क्लिक करिये .. देखिये इस साइट पर बताया गया है कि भारतीयों का बीएमआई इंडैक्स 23 से ज़्यादा नहीं होना चाहिए। सोच रहा हूं कि जो लोग यहां से बाहर जा कर बस गये हैं, वे भी कहीं यह तो नहीं सोच रहे कि उन के लिये कोई छूट नहीं है, यह वैल्यू उन पर भी उतनी ही लागू होती है।
आखिर यह बीएमआई इंडैक्स है क्या बला ? –अगर हम लोग अपने वज़न (किलोग्राम में) को अपनी लंबाई (हाइट—मीटरों में) के स्क्वेयर से डिवाईड कर दें तो जो वैल्यू आती है, उसे बीएमआई इंडैक्स कहते हैं।
एक उदाहरण मेरी ही –मेरी लंबाई 5फुट 10इंच अर्थात् 175 सैंटीमीटर और वज़न 91 किलो तो मैंने जब ये वैल्यू साइट पर भरे तो मेरा बीएमआई इंडैक्स 30 आया है.....औरों को नसीहत .... वही वाली बात लगती है। और यह तब है जब मैं जंक लगभग नहीं के बराबर लेता हूं, देसी-घी मक्खन आदि को कोई चक्कर ही नहीं, धूम्रपान नहीं, ड्रिंक्स नहीं.....सब से बड़ी कमी है नियमित शारीरिक सक्रिय न रखने की।
कोशिश तो रहती है कि रोज़ाना 40-50मिनट साईक्लिंग कर आऊं लेकिन कईं बार मौसम का बहाना बना कर कईं कईं दिन छुट्टी मना लिया करता हूं लेकिन अब लगता है कि इस मामले में सुधरना पड़ेगा।
चलो फिर आप भी तब तक अपना बीएमआई इंडैक्स की वेल्यु देख लें... लेकिन एक बात जो मैंने पहले भी लिखी थी वह यह कि जो मोटापा हमारे पेट के आस पास है जिसे हम लोग सेब जैसा मोटापा (मुझे यही है !) कहते हैं वह ज़्यादा खतरनाक होता है ...इस की तुलना में जो मोटापा जांघों पर एवं नितंबों पर वसा के जमा होने से होता है यह उतना नुकसानदायक नहीं होता।
यही कारण है कि किसी को केवल बीएमआई इंडैक्स के आधार पर ही किसी की मोटा या पतला होने की लेबलिंग करने में पेच है – कारण बता दिया गया है। इसलिये लाखों लोगों की कमर का माप लिया गया और यह पाया गया कि बीएमआई इंडैक्स सामान्य होते हुये भी अगर कमर का घेरा बढ़ा है तो भी गड़बड़ ही है.. वैसे माशाल्लाह अपना तो इस “कमरे” का घेरा भी 40-41 इंच है ही। इस के बारे में अच्छी तरह से समझने के लिये आप मेरा यह लेख अवश्य देखें --- साढ़े तीन लाख लोगों की कमर नापने के बाद।
और अब तो और भी आसानी से पता लगाया जा सकता है कि किस तरह से यह मोटापा हमारी सेहत पर कहर बरपा रहा है... बीबीसी की यह हैल्थ-स्टोरी देखें ...BMI misses obesity risks. कितना साधारण या पैमाना निकाल लिया गया है कि हमारी कमर का साइज हमारी लंबाई के आधे से ज्यादा नहीं होना चाहिये – अभी भी मुझे अपनी उदाहरण ही देनी पड़ेगी क्या ? – लंबाई 175 सैंटीमीटर –इस के हिसाब से मेरी कमर का साइज 88-90 सैंटीमीटर से ज़्यादा नहीं होना चाहिये लेकिन वास्तव में यह है 40 इंच के आसपास अर्थात् 100सैंटीमीटर ---इसलिये अब मुझे चिंता होने लगी है कि ये 10सैंटीमीटर कैसे कम होंगे? सब से ज़्यादा ज़रूरी है एक्टिविटी बढ़ाई जाए।
वैसे क्या आप को भी लगता है हम लोग वही पुराना रिकार्ड क्यों लगा देते हैं –मोटापा, मोटापे का माप-तोल, मोटापे की श्रेणीयां----- ये सब कुछ बार बार पढ़ना उबाऊ सा ही लगता होगा न.... लेकिन मैं सोचता हूं कि इस तरह के रिमांईडर बार बार दिखते रहने चाहिये ---इस से पाठकों के साथ साथ लिखने वाले को भी बहुत फ़ायदा होता है, उसे कम से कम अपने बारे में भी सोचने का अवसर तो मिलता है।
सत्संग में हम सब लोग कहीं न कहीं जाते हैं, वहां पर भी अकसर वही बातें बार बार दोहराई जाती हैं ...एक बार किसी ने ऐसी बात आगे रखी तो महांपुरूषों ने उस की शंका का समाधान यह कहते हुये किया कि ठीक है, वही बातें हैं, साधारण बातें हैं लेकिन क्या इन्हें आपने अपने जीवन में उतारना शुरू कर दिया है.... इस का जवाब हम स्वयं दे सकते हैं कि हम कितना इन सतवचनों पर पूरा उतरते हैं, इसलिये इन की नियमित पुनरावृत्ति होती ही रहनी चाहिए।
उसी प्रकार ही ये मोटापे-वापे की बातें हैं... हम जब तक ये सब बातें मानते नहीं, खान-पान में बदलाव नहीं लाते, जीवनशैली बदलते नहीं, रोज़ाना शारीरिक व्यायाम करते नहीं तब तक तो इस तरह के लेखों के रूप में बार बार रिमांइडर भेजने का सिलसिला तो मेरे ख्याल में चलता ही रहना चाहिए ....पता नहीं कब कौन सी बात निशाने पर लग जाए।
बातें तो ये छोटी छोटी हैं, लगभग हम सब को पहले ही से पता हैं, लेकिन थोड़ा बहुत असर तो होता ही है, परसों मैंने जब यह बीबीसी स्टोरी पढ़ी तो तुरंत लैपटॉप बंद कर के आईक्लिंग करने निकल गया ---हमारे यहां आसपास हरे भरे खेत हैं, अगर फिर भी मेरे जैसे लोग घर पर ही पढ़े रहें तो कोई क्या करे! लगभग तीन साल पहले मैंने जब एक ऐसा ही लेख लिखा है – धूल चाटते वाकिंग शूज़ के बारे तो भी मैं लंबे अरसे तक नियमित टहलने निकल जाया करता था। लगता है अभी बस इसे पोस्ट करूं और इस ‘कमरे’ की सलामती के लिये बाहर निकल ही जाऊं ---- कितना सही कहा भी तो गया है ... पहला सुख निरोगी काया !!
इतनी सीरियस से बातें सुनने के बाद चलिये मन को थोड़ा हल्का करते हैं ... तेरे गिरने में भी तेरी हार नहीं कि तूं आदमी है अवतार नहीं ..... मुझे यह गीत बहुत ही पसंद है।
आपकी बातों से सहमत हूँ.मोटापा बड़ा जबरदस्त शत्रु हो गया है. जब तक हम पेट्रोल डीजल की जगह अपनी चर्बी नहीं जलाएँगे कुछ नहीं होने वाला.हमें बाजार, अ`ऑ फ़ीस पैदल जाना पडेगा.
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
बहुत अच्छा लिखा आपने। एक बार फ़िर वजन कुछ कम करने का मन किया।
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