पेट का साइज कम करवा कर मोटापा कम करने का क्रेज़ ज़ोर पकड़ रहा है –अभी कुछ दस दिन पहले ही टाइम्स ऑफ इंडिया में एक रिपोर्ट थी, आपने भी देखी होगी – Scalpel helps teen fight flab. इस में बताया गया था कि किस तरह से सर्जरी के द्वारा पेट का साइज़ कम करवा कर, लगभग दो-अढ़ाई लाख रूपये खर्च कर के लोग अपने बच्चों को मोटापे से निजात दिलाने का जुगाड़ कर रहे हैं।
सब से पहले तो थोड़ा यह देख लें कि यहां यह जिस पेट को कम करने की बात हो रही है यह है क्या...यह वह पेट नहीं है जिस पर हाथ फेर कर लोग कहते हैं ...पापी पेट! नहीं, यह पेट जिस का साइज सर्जरी से कम करने की बात की जा रही है यह शरीर में एक थैली की तरह का अंग है जिस में हमारा खाना जाता है ... फंडा यही है कि जब सर्जरी के द्वारा इस का साइज़ ही कम दिया जाए ताकि न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी ... जब इस में खाने की कैपेसिटि ही कम होगी तो इंसान कम ही तो खायेगा, कहीं बांध के थोड़ा रख लेगा।
हां, तो जिस सर्जरी की बात हो रही है पेट के साइज को कम करने की इसे बेरिएटरिक सर्जरी (bariatric surgery) कहते हैं और भारत के मुंबई जैसे महानगरों में ऐसे केसों की संख्या बढ़ने लगी है – 2008 में 1200, 2009 में 2200 और अब 2010 के आंकड़ें 3000 केस बताते हैं ... ये आंकड़े मेरे नहीं है, टाइम्स की स्टोरी में दिये गये हैं जिस का लिंक ऊपर दिया गया है।
एक बात समझ में नहीं आई –इस रिपोर्ट में लिखा है लैंसट नामक मैडीकल जर्नल में छपा है कि लगभग 5 में से एक भारतीय पुरूष और 6 में से एक से ज़्यादा भारतीय महिलायें ओव्हरवेट (मोटे) हैं... और साथ ही लिखा है कि कुछ शहरी इलाकों में तो 40 प्रतिशत जनसंख्या इस मोटापा रोग से पीड़ित हैं।
लेकिन चंद मिनटों बाद जब मेरी नज़र रिटर्ज़ की साइट पर पड़ी तो मुझे बड़ी हैरानगी हुई ...नीचे लिखा तो है विश्व स्वास्थ्य संगठन के सौजन्य से ये आंकड़े हैं लेकिन उस में मुझे भारत का नाम सब से नीचे देख कर पहले तो चिंता सी हुई लेकिन जब ठीक से पढ़ा तो समझ आई कि इस के अनुसार तो भारत में मोटापे की दर सब से कम है....इस इमेज में आप इसे देख सकते हैं। इस में आप यह भी देख सकते हैं कि किस तरह से अनुमान लगाया गया है कि अगले तीन वर्ष में मोटापा कम करने वाली दवाईयों का बाज़ार कितने अरबों-खरबों का हो जाएगा।
चलो, यार, इन आंकड़ों के चक्कर में ज़्यादा क्या पड़ना.....यह तो हमें दिख ही रहा है ना कि देश तो मोटा हो ही रहा है.... कोई शक ही नहीं है इस में ...बच्चों को भी यह रोग छोटी अवस्था से ही अपनी चपेट में लेना शुरू कर रहा है—thanks to the junk and fast foods , lack of physical activity, over-indulgence in TV and net leading to “couch potatoes”.
मैंने जब ऊपर वाली पेट को कम करने वाली खबर पढ़ी थी तो यही सोच रहा था कि अन्य कईं तरह के क्रेज़ अलग अलग समय पर उत्पन्न हो जाते हैं --- कहीं यह भी एक नया क्रेज़ न उभर आए --- अब अगर मां-बाप ही युवाओं की इस तरह की सर्जरी के लिये जिद्द करने लगेंगे तो आखिर चिकित्सक कहां तक उन्हें ऐसा करवाने से रोक पाएंगे?
ऐसी सर्जरी होती तो है लेकिन morbid obesity के लिये अर्थात् उस तरह के मोटापे के लिये जहां मोटापा इतना बढ़ चुका है कि बंदा अपनी चलने-फिरने के भी योग्य नहीं है, अपनी दैनिक-क्रियाएं करने में सक्षम नहीं रहा ....ऐसे केसों में उन के चिकित्सक ऐंडोक्राईनॉजिस्ट विशेषज्ञ के साथ सलाह-मशविरा कर के सर्जरी का निर्णय लेते हैं।
इस पोस्ट को विराम देते देते ध्यान आ रहा है कि अमेरिका में एक न्यूज़ रिपोर्ट ने बवाल मचा रखा है जिस में यह छपा था कि जो बच्चे बहुत ज़्यादा मोटे हैं, इस की वजह से जिन के बीमारी से ग्रस्त होने की आशंका बुहत ज़्यादा होगी उन्हें सरकार को उनके मांबाप से अलग कर के अपने पास रख कर उन का लालन-पालन करना होगा --- लेकिन ऐसा हो नहीं पायेगा ---लोगों ने खूब हो-हल्ला किया इस बात पर ..... लेकिन इस से एक आइडिया तो कम से कम हम हिंदोस्तानियों को मिल ही गया कि अब गब्बर के ज़माने को बीते बहुत साल हो गये – अब तो बच्चों को दाल-भाजी-रोटी खिलाने के लिये बस इतना ही काफ़ी है --- चुपचाप यह खाना खा ले, अगर चिप्स-बर्गर-नूडल खा खा के मोटा हो गया तो सरकार उठा कर ले जायेगी...।
पता नहीं इस लेख को समाप्त करते समय क्यों उन जबरदस्ती नसबंदी वाले दिनों की याद आ गई ...समझने वाले समझ गये जो न समझे वो अनाड़ी हैं ।
इस ब्लॉग के बहुत से अन्य लेखों में मोटापे कम करने वाली दवाईयों और अन्य तरह तरह के इलाजों के बारे में बहुत से लेख पहले भी लिखे जा चुके हैं... थोड़ी मेहनत करिये...लिंक जान बूझ कर नहीं दे रहा हूं क्योंकि थोड़ी मेहनत करेंगे तो सेहत के लिये भी अच्छा रहेगा।
प्यार भरा ...चेतावनी लेख ! थोड़ी मेहनत ,बड़ा बचाव !
जवाब देंहटाएंआभार!
अच्छा सजग करता आलेख.
जवाब देंहटाएंमैडिकल सर्जरियों के क्या-क्या (दुर)उपयोग खोज लेते हैं लोग।
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