अटल जी का जन्मदिन बीते एक सप्ताह होने वाला है.. इन की दीर्घायु के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं..
अटल जी के जन्मदिन वाले दिन (२५ दिसंबर) को दैनिक भास्कर में अटल जी की कहानी नाम से एक लेख प्रकाशित हुआ था... उस दिन मेरे पास लैपटाप नहीं था... मैंने एक कागज़ पर लिख कर, उसे एक तस्वीर के द्वारा व्हाट्सएप पर शेयर तो किया लेकिन उस फोटो की क्वालिटी बहुत खराब थी, मैंने सोचा आज उसे एक बार फिर से ब्लॉग पर शेयर करूं.....अटल जी जैसे महान् लोगों की बहुत सी बातें मन को छू जाती हैं.....
अखबार में छपे उस लेख से कुछ पंक्तियां उठा कर यहां आप के समक्ष रख रहा हूं...
देश के ३ सबसे गंभीर मौकों पर अटल जी...
१९८४ सिख दंगा
जब दिल्ली की सड़कों पर कत्लेआम मचा था, तब अटल जी ने कहा था... "हमें हर हाल में सिखों को बचाना है। जो कतलेआम कर रहे हैं वे पाशविक्ता की पराकाष्ठा लांघ रहे हैं।"इस ब्यान से एक पक्ष नाराज़ हो गया। भाजपा चुनाव हार गई। अटलजी से कुछ नेताओं ने कहा --आपके बयान से ऐसा हुआ। तब अटल जी ने कहा - "मैं ऐसे दसियों चुनाव हार सकता हूं।"
१९९२ बाबरी विध्वंस
१९८९ में आडवाणी की रथयात्रा का अटल जी ने विरोध किया। २५ सितंबर २००९ को आडवाणी ने मीडिया से कहा -- अटल जी खुद को लोकतांत्रिक दिखाना चाहते थे, लेकिन मैं सहमत नहीं था। १९९२ में बाबरी विध्वंस पर संसद में अटल जी ने कहा था उस उम्र में पार्टी छोड़ कर जा भी नहीं सकता। आज पार्टी जीत गई, लेकिन मैं हार गया।
२००२ गुजरात दंगे
बतौर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी गुजरात पहुंचे। पीड़ितों से मिले। इस दौरान उन्होंने संबोधन में मुख्यमंत्री मोदी को इशारों में राजधर्म निभाने की नसीहत दी। मोदी ने जवाब दिया-- मैं भी वही कर रहा हूं। अब अटल जी ने कहा - "मुझे उम्मीद है --मोदी जी राजधर्म निभा रहे हैं।"
(दैनिक भास्कर... २५ दिसंबर २०१४...अटल जी की कहानी)