कुछ दिन पहले की बात है मेरे बेटे ने मेरे से अचानक पूछा कि पापा, आप इस्तेमाल किये हुये ब्लेडों का क्या करते हो, उस का कारण का मतलब था कि उन को आप फैंकते कहां हो? …मैं समझ गया... मैं उस को कोई सटीक सा जवाब दे नहीं पाया....लेकिन मुझे इतना पता है कि वह भी इन्हें घर के कचरेदान में कभी फैकना नहीं चाहेगा।
एक कारण तो यही है कि उस ने कभी मेरे को ऐसा करते देखा नहीं... क्यो? आप को भी उत्सुकता हो रही होगी कि आखिर मैं इस्तेमाल किये गये ब्लेडों का करता क्या हूं। वैसे आजकल तो मैं इलैक्ट्रिक शेवर ही इस्तेमाल करता हूं ... लेकिन आजकल ह्यूमिडिटि बढ़ जाने से यह ढंग से काम नहीं करता ... इसलिये वही ट्विन ब्लेड इस्तेमाल कर लेता हूं ...जिसे कहीं भी फैंकने में सोचना नहीं पड़ता।
लेकिन बहुत वर्षों तक आम ब्लेड़ों से ही दाढ़ी बनाता रहा हूं लेकिन कभी भी याद नहीं पुराने ब्लेडों को कूडेदान में फैंका हो ... कारण? कारण तो लंबा चौड़ा नहीं... बस इतना सा ही है कि यार, हमारी वजह से किसी को कोई चोट क्यों पहुंचे...पहले तो जो घर में जो आप के डोमैस्टिक हैल्प है उसे चोट लगने का डर, फिर घर के बाहर कचरेदान से किसी जानवर आदि के चोट लगने का अंदेशा, फिर उन वर्करों को चोट लगने का चांस जो आज भी बिल्कुल थोड़े थोड़े पैसों में ट्राली में कूडा भरने का काम करते हैं, और आगे से आगे वे रैग-पिकर उन गार्बेज ग्राउंड से कूड़ा बीनेंगे....................कमबख्त इतने लोगों को घायल करने से अच्छा है दाढ़ी से न बनाई जाए।
मैं इस्तेमाल किये ब्लेड़ों को ऐसे ही कहीं अपनी स्टडी रूम की खिड़की आदि में रख दिया करता था .. जहां पर उसे पड़े पड़े इतना जंग लग जाया करता था ..... पता नहीं, ऐसी वस्तुओं ..ब्लेड, सूईंयों, कांच के टुकड़ों को कचरेदान में फैंकते डर लगता है । मुझे याद है एक बार मैं इन सब ब्लेडों को इक्ट्ठे कर के अस्पताल ले गया था क्योंकि वहां पर sharp objects को डिस्पोज ऑफ करना का अपना सलीका होता है क्योंकि Pollution Control Board की आजकल निगाहें अस्पतालों पर तो खासकर टिकी रहती हैं....अच्छा भी है, इस में सब की भलाई निहित है।
हां, तो इस बात का ध्यान आज ऐसे आया कि नेट पर एक शीर्षक दिख गया कि इस्तेमाल करने के बाद बची हुई दवाईयों (इस का मतलब एक्सपॉयर लें) को कैसे फैंकें? मैं जिस लेख की बात कर रहा हूं उस में लिखा था कि बची हुई दवाईयों को सिंक में या टायलेट में न गिराएं ...इस से जल प्रदूषण तो होता ही है जिस की वजह से साथ में जानवर एवं अन्य लोग बीमार पड़ सकते हैं। और साथ में यह सिफारिश की गई थी ...
Remove the label from the bottle, then place the bottle inside a sealed plastic bag.
Throw the sealed bag in the garbage, and keep pets and children away from this trash.
If you need to dispose of pills, grind them up first. Mix the crushed pills into used coffee grounds, sand or cat litter.
हां, बोतल से लेबल हटाने की बात ठीक है, लेकिन फिर उसे किसी प्लास्टिक बैग में सील कर के कूड़ेदान में फैंकने के लिये कहा गया है और साथ में कहा गया है कि पालतू जानवरों को और बच्चों को इस क्लेश से दूर रखिए .....चलिए, इतनी ज़हमत उठा भी ली, लेकिन क्या बाहर घूमने वाले पशु इस प्लास्टिक को नहीं खा जाएंगे, आए दिन अखबारों में देखते हैं किस तरह से इन जानवरों की प्लास्टिक खाने से मौत हो जाती है। अगर ये पालतू नहीं हैं तो फालतू भी नहीं हैं .... इसलिये हम लोग इस तरह की दवाईयों से कैसे निजात पाया करें, इस के लिये आप भी कुछ सोचें और सुझाव लिखिए ...
और गोलियों (टैबलेट) को फैंकने से पहले कहा गया है कि पहले उन्हें पीस लें, फिर उन्हें इस्तेमाल की गई कॉफ़ी से या रेत आदि से मिला कर फैंक दें ...................थोड़ा मुश्किल सा नहीं लगा काम, या मुझे ही ऐसा लगा ...लेकिन हम लोग एक्सपॉयरी आदि वाली टैबलेट्स को उन की स्ट्रिप से निकाल कर ---बहुत बार हाथ ही से तोड़ कर कचरेदान में फैक देते हैं ... आप के क्या सुझाव हैं ? ..मैं आप के सुझावों का इंतज़ार कर रहा हूं।
सुझाव देना मत भूलिये ....
एक कारण तो यही है कि उस ने कभी मेरे को ऐसा करते देखा नहीं... क्यो? आप को भी उत्सुकता हो रही होगी कि आखिर मैं इस्तेमाल किये गये ब्लेडों का करता क्या हूं। वैसे आजकल तो मैं इलैक्ट्रिक शेवर ही इस्तेमाल करता हूं ... लेकिन आजकल ह्यूमिडिटि बढ़ जाने से यह ढंग से काम नहीं करता ... इसलिये वही ट्विन ब्लेड इस्तेमाल कर लेता हूं ...जिसे कहीं भी फैंकने में सोचना नहीं पड़ता।
लेकिन बहुत वर्षों तक आम ब्लेड़ों से ही दाढ़ी बनाता रहा हूं लेकिन कभी भी याद नहीं पुराने ब्लेडों को कूडेदान में फैंका हो ... कारण? कारण तो लंबा चौड़ा नहीं... बस इतना सा ही है कि यार, हमारी वजह से किसी को कोई चोट क्यों पहुंचे...पहले तो जो घर में जो आप के डोमैस्टिक हैल्प है उसे चोट लगने का डर, फिर घर के बाहर कचरेदान से किसी जानवर आदि के चोट लगने का अंदेशा, फिर उन वर्करों को चोट लगने का चांस जो आज भी बिल्कुल थोड़े थोड़े पैसों में ट्राली में कूडा भरने का काम करते हैं, और आगे से आगे वे रैग-पिकर उन गार्बेज ग्राउंड से कूड़ा बीनेंगे....................कमबख्त इतने लोगों को घायल करने से अच्छा है दाढ़ी से न बनाई जाए।
मैं इस्तेमाल किये ब्लेड़ों को ऐसे ही कहीं अपनी स्टडी रूम की खिड़की आदि में रख दिया करता था .. जहां पर उसे पड़े पड़े इतना जंग लग जाया करता था ..... पता नहीं, ऐसी वस्तुओं ..ब्लेड, सूईंयों, कांच के टुकड़ों को कचरेदान में फैंकते डर लगता है । मुझे याद है एक बार मैं इन सब ब्लेडों को इक्ट्ठे कर के अस्पताल ले गया था क्योंकि वहां पर sharp objects को डिस्पोज ऑफ करना का अपना सलीका होता है क्योंकि Pollution Control Board की आजकल निगाहें अस्पतालों पर तो खासकर टिकी रहती हैं....अच्छा भी है, इस में सब की भलाई निहित है।
हां, तो इस बात का ध्यान आज ऐसे आया कि नेट पर एक शीर्षक दिख गया कि इस्तेमाल करने के बाद बची हुई दवाईयों (इस का मतलब एक्सपॉयर लें) को कैसे फैंकें? मैं जिस लेख की बात कर रहा हूं उस में लिखा था कि बची हुई दवाईयों को सिंक में या टायलेट में न गिराएं ...इस से जल प्रदूषण तो होता ही है जिस की वजह से साथ में जानवर एवं अन्य लोग बीमार पड़ सकते हैं। और साथ में यह सिफारिश की गई थी ...
Remove the label from the bottle, then place the bottle inside a sealed plastic bag.
Throw the sealed bag in the garbage, and keep pets and children away from this trash.
If you need to dispose of pills, grind them up first. Mix the crushed pills into used coffee grounds, sand or cat litter.
हां, बोतल से लेबल हटाने की बात ठीक है, लेकिन फिर उसे किसी प्लास्टिक बैग में सील कर के कूड़ेदान में फैंकने के लिये कहा गया है और साथ में कहा गया है कि पालतू जानवरों को और बच्चों को इस क्लेश से दूर रखिए .....चलिए, इतनी ज़हमत उठा भी ली, लेकिन क्या बाहर घूमने वाले पशु इस प्लास्टिक को नहीं खा जाएंगे, आए दिन अखबारों में देखते हैं किस तरह से इन जानवरों की प्लास्टिक खाने से मौत हो जाती है। अगर ये पालतू नहीं हैं तो फालतू भी नहीं हैं .... इसलिये हम लोग इस तरह की दवाईयों से कैसे निजात पाया करें, इस के लिये आप भी कुछ सोचें और सुझाव लिखिए ...
और गोलियों (टैबलेट) को फैंकने से पहले कहा गया है कि पहले उन्हें पीस लें, फिर उन्हें इस्तेमाल की गई कॉफ़ी से या रेत आदि से मिला कर फैंक दें ...................थोड़ा मुश्किल सा नहीं लगा काम, या मुझे ही ऐसा लगा ...लेकिन हम लोग एक्सपॉयरी आदि वाली टैबलेट्स को उन की स्ट्रिप से निकाल कर ---बहुत बार हाथ ही से तोड़ कर कचरेदान में फैक देते हैं ... आप के क्या सुझाव हैं ? ..मैं आप के सुझावों का इंतज़ार कर रहा हूं।
सुझाव देना मत भूलिये ....
अब हैंडल वाले रेडी शेवर से दाढ़ी बनाता हूँ पर पहले जब दोधारी ब्लेड इस्तेमाल करता था तब अमूमन उन्हें अपने घर के गमलों में धंसा देता था. वे कुछ दिनों में गल जाते थे.
जवाब देंहटाएंद्रव दवाओं को मैं सिंक में बहा देता हूँ. गोलियों और कैप्सूल को टॉयलेट में फेंक देता हूँ. किसी दवा को पैकिंग सहित कभी नहीं फेंकता.
डॉक्टर साहब एक बहुत ही उपयोगी पोस्ट आपने लगाई है। आगे से आपकी सलाह ज़रूर ध्यान में रखूंगा।
जवाब देंहटाएंहां, कुछ टेबलेट्स तो हम गमले में डाल देते हैं, पौधों के खाद के काम आता है।
डा. साब हमारे एक अंकल थे वो पुराने मृतायु और शेष बचे कैप्सूल को खोल कर किसी जख्मी जानवर कुत्ते के जख्म पर छिडक कर पट्टी बाँध देते थे कुछ दिन बाद उन के जख्म ठीक हो जाते थे.
जवाब देंहटाएंवो कहते थे प्रतिजैविक केप्सूल जख्म को ठीक कर देते हैं.
अब पता नहीं ये कहाँ तक ठीक था पर उन का अजमाया हुआ फार्मूला था और हम तो तब बच्चे थे.
हम कैप्सूल के खोल उन से ले कर उस मे सायकिल की बेरिंग की गोली डाल कर खेला करते थे.
आज कल मै दवाई को मृतायु होने से पहले ही केमिस्ट को वापिस कर देता हूँ और जो भी मूल्य समायोजन वो करता है मंजूर कर लेते है भागते भूत की लंगोटी ही सही.
वैसे इन दवाईयों के मृतायु होने से पहले ही वापसी करना ज्यादा इकोनोमिक तरीका है क्यूंकि ये फिर से बिक कर मरीज के काम आ सकती है.
इस मामले मे हमे केमिस्ट से वापसी तय कर के आनी चाहिये जिस के लिए केमिस्ट सहर्ष तैयार हो जाता है.
बाकी अन्य सुझावों के लिए प्रतीक्षा ...
यहाँ मैं दर्शन लाल जी के कमेन्ट से प्रेरित होकर लिख रहा हूँ:
जवाब देंहटाएंकई बार डॉ. दवा शुरू करने के एक-दो दिन बाद दवा बदल देते हैं. ऐसे में कैमिस्ट से ली गयी स्ट्रिप वापस करनी पड़ती है क्योंकि वह दवा अब ज़रूरी नहीं होती और आमतौर से महंगी भी होती है और उसके एवज में हम दूसरी दवा लेना चाहते हैं. मैंने हर बार यह देखा है की कैमिस्ट उन दवाओं को वापस लेने में बड़ी आनाकानी करते हैं. उनका सबसे बड़ा बहाना यह होता है की वह कटी हुई स्ट्रिप वापस नहीं लेते. लेकिन यही कैमिस्ट दिन भर स्ट्रिप काट-काटकर बेचते हैं. कभी वे यह भी कहते हैं की हमने स्ट्रिप गलत जगह से काट दी है. अब मैं स्ट्रिप एक्सपायरी डेट, बीच नंबर, और कीमत देखकर ही काटता हूँ फिर भी वे दवा वापस नहीं लेते.
यदि वे दवा लेते भी हैं तो उसमें कुछ पैसे काट लेते हैं जो की ठीक बात नहीं है फिर भी लोग दवा घर में पड़े-पड़े खराब होने की बजाय कुछ कम पैसे मिलना सह लेते हैं.
मेरे इलाके में एक कैमिस्ट है जो सभी को दवा में दस % की छूट देता है. उसे फिर भी बढ़िया कमाई होती है क्योंकि इनपर बहुत मार्जिन होता है. इसी के विपरीत ऐसे बहुत से कैमिस्ट हैं जो 502 रुपये की दवा खरीदने पर भी दो रूपये रूखेपन से मांगते हैं. ऐसे में मैं तो उसी के पास जाऊंगा न जो कुछ कम कीमत में दवा देता है और एक-दो रुपये के लिए ग्राहक को पर्स टटोलने के लिए मजबूर नहीं करता!
ब्लेड तो हम डस्टबीन में ही फ़ेंक देते हैं और पैकिंग में फ़ेंकते हैं जिससे लगता तो नहीं कि किसी को नुक्सान होता होगा।
जवाब देंहटाएंएक्सपायरी दवाईयों को अधिकतर गमले में डाल देते हैं, परंतु अब यहाँ गमले भी नहीं होते हैं, इसलिये उन्हें भी डस्टबीन में ही डालने होते हैं।
sundar kabar,bahut kub
जवाब देंहटाएंआपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
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जानकारी के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
Bahut upyogi aur saarthak post.
जवाब देंहटाएंदवाइयाँ तो हम स्ट्रिप से निकालकर कूड़ेदान में फेंक देते हैं पर ब्लेड कूड़ेदान में कभी नहीं डालते। सारे पुराने ब्लेड एक डब्बे में पड़े हैं कभी सोचा नहीं कहाँ डालें उनको।
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