उस दिन मेरे पास एक ७० वर्ष के करीब बुज़ुर्ग आए...बातें हो रही थीं कि कहने लगे कि मुझे प्लान्टर फेश्आईटिस् है...मुझे उत्सुकता हुई कि एड़ी में दर्द की बात कर रहे हैं और बार बार इतना भारी भरकम मेडीकल शब्द बोल रहे हैं...मैंने ऐसे ही पूछा कि क्या आपने किसी हड्डी के डाक्टर या सर्जन को दिखाया है तो कहने लगे ..नहीं, मुझे पता है यह वही है प्लान्टर फेश्आईटिस...उन्होंने इस का राज़ खोला कि मैंने अपने लक्षण गूगल सर्च पर डाल दिए और मुझे पता चल गया कि मेरी बीमारी का नाम क्या है और मैंने इस के इलाज के बारे में जान लिया।
मैं सोच रहा था कि गूगल सर्च ईंजन वरदान तो है ही ...लेकिन कभी कभी यह बिना वजह किसी को परेशान भी कर सकता है। लेकिन इस में गूगल का कोई दोष नहीं है। मैं इस बात में बिल्कुल भी विश्वास नहीं रखता कि हम चिकित्सकों को बाई-पास कर इसी तरह से अपने लक्षणों के आधार पर अपनी बीमारी को स्वयं ही लेबल करें और फिर उस के इलाज को जानने का दावा करें...
डाक्टर लोग १५-२० साल पढ़ते लिखते हैं.. जब घिसने लगते हैं जब उन्हें यह सब समझ आने लगता है। ऐसा हो ही नहीं सकता कि हम लोग खुद ही इस तरह की डाक्टरी करने लगें ...इस में मरीज़ का ही नुकसान है।
हां, थोड़ी बहुत सेहतमंद रहने की जानकारी गूगल बाबा से ले लेना...शरीर विज्ञान के बारे में कुछ हल्की फुल्की जानकारी (बिना दिमाग पर बोझ डाले हुए) आसानी से हासिल कर सकते हैं तो कर लेनी चाहिए...वरना, सेहतमंद रहने के जितने फंडे हम पहले ही से जानते हैं उन्हें ही मान लें तो पर्याप्त है।
अभी एक बात का और ध्यान आ गया....दो दिन पहले मेरे पास एक अच्छा पढ़ा लिखा मरीज आया....मैंने उस के दांत देखे...उसे बताया कि नीचे वाले दांत में तकलीफ है...टूटा हुआ है....लेकिन वह बार बार कहे जा रहा था कि नीचे तो है ही ऊपर वाले में भी यही तकलीफ है। मैंने देखा, मुझे ऊपर वाले जबड़े में कुछ गड़बड़ी लगी नहीं....लेकिन वह कहने लगा कि नहीं, ऊपर भी है। मैं हैरान कि यह इतने विश्वास से कैसे कह रहा है, तभी उसने अपना सैम्संग ग्लैक्सी २ निकाल कर मुझे फोटू दिखाई अपने दांतों की ....मैं हैरान था कि इतनी क्लियर फोटू तो मैं नहीं खींच पाता किसी मरीज़ के मुंह के अंदर की......हां, तो वे तस्वीरें देखने पर पता चला कि वह जिस फोटो को ऊपर वाले दांतों की समझ के परेशान था, वह तो थी ही उस के नीचे वाले दांतों की। मैंने उसे समझाया तो बात उस की समझ में आई। आप समझ ही सकते हैं कि इस तरह से अपनी बीमारी के बारे में निर्णय करने के क्या परिणाम हो सकते हैं!
स्मार्ट फोन आ गये, मरीज भी स्मार्ट हो गये, गूगल बाबा की कृपादृष्टि भी बरसने लगी लेकिन एक परेशानी ने हमारा साथ नहीं छोड़ा....तंबाकू, जर्दा, पानमसाला, सुरती, खैनी...दो दिन पहले वाला एक मरीज़ याद आ गया...मुंह की हालत तंबाकू की वजह से बहुत खराब थी, बहुत ही ज़्यादा। मैंने पूछा कि तंबाकू-गुटखा कितना और कब से?...जवाब मिला एक हफ्ते से सब कुछ बंद है, बस एक पान की लत है वह नहीं छूटती......लेकिन एक पान मात्र....मैंने समझाया कि उसमें भी तो सुपारी है, तंबाकू है, उस से कुछ भी भयंकर रोग हो सकता है। मान गये कि उसे भी छोड़ देंगे....मैंने कहा ...निडर हो कर छोड़िए दो चार दिक्कत होगी, सिर विर थोड़ा भारी लगेगा, शायद थोड़ा दुःख भी सकता है लेकिन बाद में सुख ही सुख है, अगर तलब लगे तो मुंह में छोटी इलायची या सौंफ रख लिया करिए। झट से उन्होंने अपनी जेब से तीन चार इलायचियां निकालीं ...मेरे समेत सब को एक एक थमा दी....मुझे अच्छा लगा कि चलो, यह तो समझ गये लगते हैं ..लेिकन जाते जाते जैसे ही पेस्ट मंजन की बात हुई तो उन्होंने जेब से यह वाली डिबिया निकाल मेरी मेज पर रख दी ...इस में गुल मंजन है ...इस मंजन को यह बंदा कईं बरसों से दिन में कईं बार मुंह में रगड़ लेता है....गुल मंजन के बारे में तो आप जानते ही होंगे कि इस में तंबाकू होता है और यह मुंह का कैंसर का एक बहुत बड़ा कारण है।
चांदी की डिब्बी में गुल मंजन ....नफ़ासत और नज़ाकत का नमूना! |
आप देख ही रहे हैं कि यह डिब्बी भी चांदी की है जिस में इन्होंने इतनी हिफ़ाज़त से गुल मंजन संभाल कर रखा हुआ है...उन के साथ आए हुए शख्स ने इतना ज़रूर कहा कि आप देखिए...किस नफ़ासत और नज़ाकत के साथ....
मैंने इस नफ़ासत नज़ाकत पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन मुझे गुल मंजन के बारे में बात करनी पड़ी ....कह कर तो गये हैं कि इसे भी छोड़ देंगे....देखते हैं...
आज कौन सा गाना लगाऊं.....सोच रहा हूं ...आज पंजाबी की एक सुपरहिट गायिका जसविंदर बराड़ का गीत बजा दिया जाए.....किसी ज़माने में मैं इन्हें बहुत सुना करता था....ग्रेट आर्टिस्ट ...ग्रेट गीत....इस गीत में यह अपने भाईयों को यह हिदायत दे रही है कि घर का सामान चाहे तो सारा कुछ बांट लेना, लेकिन मां-बापू को इक्ट्ठे रहने देना, उन को भी न कहीं बांट लेना कि बेबे एक के पास और बापू दूसरे के पास...निःशब्द........
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, १२२ साल पहले शिकागो मे हुई थी भारत की जयजयकार , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंBhai mujhe gul manzan chorna chahta hu Kaiser chutega koi tarika btaao me ise tambaku jaisa khata rahta hu har das minat me khata rahta hu koi upay btaao
जवाब देंहटाएंSir mujhe gul ki manjan karane ke aadat hea or me use chhodana chahata hu please help me sir sir app mujhe kuchh susejetion do me Kya karu thanku sir
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