आज की अखबार की एक खबर थी ---लिवर ट्रांसप्लांट के एक विशेष आप्रेशन करने के लिये दिल्ली के सर गंगा राम हास्पीटल के 35 विशेषज्ञ 16 घंटे के लिये आप्रेशन करने में लगे रहे।
इसी तरह से गुर्दे के मरीज़ों में भी ट्रांसप्लांट करने के लिये किसी मरीज को , उस के रिश्तेदारों को कितनी मेहनत करनी पड़ती है, तरह तरह के टैस्ट करवाने के लिये किस तरह से पैसों का जुगाड़ करना होता है, सारी चिकित्सा व्यवस्था कितने सुचारू रूप से अपना काम करती है -- तो, लो जी हो गया सफल आप्रेशन।
मैं भी एक ऐसे ही 25-30 साल के युवक को जानता था –दो तीन साल पहले उस के गुर्दे का आप्रेशन हुआ, उस की सास ने उस को अपना गुर्दा दान में दिया था। खर्चा काफ़ी आया था लेकिन वह सारा खर्च रेलवे के चिकित्सा विभाग ने उठाया। बढ़िया से बढ़िया दवाईयां बाद में भी दी गईं ---जो आम तौर पर ऐसे मरीज़ों को दी जाती हैं ताकि जो गुर्दा मरीज़ के शरीर में ट्रांसप्लांट किया गया है वह मरीज़ के शरीर द्वारा रिजैक्ट न किया जा सके।
लेकिन कुछ महीने पहले वह बेचारा चल बसा ---दो अढ़ाई साल बस वह बीमार ही रहा। तीन-चार साल की उस की प्यारी से बच्ची है जो शायद आज पहले दिन स्कूल जा रही थी --- किलकारियां मार रही थी , अपने कलरफुल फ्राक पर लगा आईडैंटिटी कार्ड सब को बड़े शौक से दिखा रही थी ---- मुझे भी उस ने दिखाया। उस बच्ची को देख कर मन बहुत दुःखी होता है।
यह बच्ची उस घर में रहती है जहां से मैं सुबह दूध लेने जाता हूं ----ये लोग किरायेदार हैं। जितने लोग भी सुबह दूध लेने की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं वे अकसर इस बच्ची की सुबह सुबह इस तरह की ज़ोर ज़ोर चीखें सुनते हैं ------- मुझे पापा पास जाना है !! पापा, आ जाओ ना !!
यह उस मरीज़ की बात है जो कि सरकारी सर्विस में था ---रेलवे ने लाखों रूपया इलाज पर लगा दिया लेकिन क्या कोई आम आदमी अपने बल-बूते पर यह सब करवाने की सोच सकता है।
यह लंबी चौड़ी बात कहने का मकसद ? --- मकसद केवल इसी बात को रेखांकित करना है कि यह जो आधुनिक इलाज हैं यकीनन बहुत ही बढ़िया हैं --- इतनी तरक्की हो गई है कि कुछ भी संभव है। लेकिन ये आम आदमी की पहुंच से तो बहतु दूर हैं ही, और कईं बार इस तरह के इलाज का परिणाम क्या निकला वह तो कुछ महीनों बाद ही पता चलता है।
तो फिर चलिये इन से बचाव की बात कर ही लें ---- ठीक है, कुछ केसों में शरीर की भयानक व्याधियों के बारे में cause and effect relationship को परोक्ष रूप से सिद्ध नहीं किया जा सकता। लेकिन फिर भी कोई भी आम आदमी इन से बचने के लिये क्या करता है ? वह अपनी जीवन-चर्या ठीक कर लेगा, दारू से , तंबाकू से बच कर रहेगा, दिन में थोड़ा बहुत टहल लेगा और मेहनत कर लेगा, बाज़ार में मिलने वाली तरह तरह की चीज़ों से बच कर रह लेगा........यह सब तो बहुत हो गया लेकिन समझ लो कि बंदे ने जैसे तैसे यह सब कर ही लिया लेकिन सोचने की बात यह है कि क्या ऐसा करने से वह सेहतमंद रह पायेगा। आप का क्या ख्याल है ?
मेरा ख्याल है कि कोई गारंटी नहीं ---- कारण ? कारण तो बहुत से हो सकते हैं जिन में हम नाम गिना लें कि उस को फलां फलां तकलीफ़ें तो उस की हैरेडिटी से ही मिली हैं, आजकल कीटनाशक बहुत हैं सब्जियों में, यह सब खादों की कृपा हो रही है ---कह देते हैं ना हम ये सब बातें ----और ये सब बातें करते करते हम थकते नहीं हैं, रोज़ाना ये बातें घरों में होती हैं, साथ साथ चाय की चुस्कियां भरी जाती हैं।
लेकिन यह शायद कोई नहीं सोचता कि इस कमबख्त चाय में जो दूध है वह कैसा है। नहीं, नहीं, मैं उस की उत्तमता की बात नहीं कर रहा हू ----आप के दूध में साफ सुथरा पानी मिल के आ रहा है, आप का दूध वाला भैंस के दूध में गाय का दूध डाल कर दे जाता है, इसे आप मिलावट न समझें, और जो बात कईं बार मीडिया में कही जाने लगी है कि पशुओं के चारे में ही इस तरह के कैमीकल हैं कि दूध में तो फिर वे आ ही जायेंगे। यह भी मान कर ही चलें कि पशुओं को दुहने से पहले टीका भी लगना ही लगना है ---- देश का कोई कानून इसी रोक नहीं पायेगा ---- यह सब बातें तो अब लोगों ने स्वीकार ही कर ली हैं ---चाहे इस टीके और कैमीकल्स की वजह से अब कुछ लड़के लड़कियों जैसे दिखने लगे हैं और लड़कियां लड़कों जैसी --- लेकिन जो है सो है। जो भी हो, ये मुद्दे तो अब रहे ही नहीं ।
अब तो भाई इस देश का मेरे विचार में सब से बड़ा मुद्दा है मिलावाटी दूध । मेरा अपना विचार ---अपने ब्लाग में लिख रहा हूं ---कि until unless proven otherwise, for me every milk is adultered. मुझे इस तरह की स्टेटेमैंट के लिये माफ़ कीजिये लेकिन हमारे कुछ अपने व्यक्तिगत विचार तैयार हो जाते हैं, दूध के बारे में मेरे ऐसे ही विचार बन गये हैं।
कल मैं रोहतक में था --- थैली वाले दूध से बनी चाय पी ---यकीन जानिये ऐसे लगा कि दवाई पी रहा हूं --- एक घूंट के बाद उसे फैंक ही दिया। वैसे चलिये मैं आप से शेयर करता हूं कि पिछले कुछ सालों से जब से यह दूध में तरह तरह के हानिकारक पदार्थ मिलाने का धंधा सामने आया है --- मैं कभी भी चाय बाहर नहीं पीना चाहता --- बाहर का पनीर बिल्कुल नहीं, बाहर का दही बिल्कुल नहीं --- और यहां तक कि मुझे बर्फी आदि भी बहुत पसंद रही है लेकिन अब मैं उस से भी कोसों दूर रहता हूं और कभी यहां-वहां एक दो टुकड़ी खा भी लेता हूं तो अच्छी तरह से यही सोच कर खाता हूं कि मैं जैसे धीमा ज़हर ही खा रहा हूं। वैसे इतना मन मारते हुये जीना भी कितना मुश्किल है ना !! लेकिन जो है सो है, अब हमारे सब के सामूहिक लालच ने हमें आज की इस स्थिति में ला खड़ा कर दिया है तो क्या करें ? --- बस, चुपचाप भुगतें और क्या !!
डाक्टर हूं, लेकिन किसी को भी पिछले कईं सालों से यह सलाह नहीं दी कि आप दूध पिया करें। और अगर देता भी हूं तो साथ में इसी तरह के लैक्चर का गिलास भी ज़रूर पिला कर भेजता हूं। अधिकतर इस तरह की सलाह मैं इसलिये नहीं देता हूं कि अगर मैं ही किसी वस्तु की गुणवत्ता के बारे में आश्वस्त नहीं हूं तो दूसरों को क्यों चक्कर मे डालूं ?
मिलावटी दूध की खबरें ऐसी ऐसी पिछले कुछ सालों से टीवी पर देख ली हैं कि अब तो ऐसी खबरें देखते ही उल्टी सी आने को होती है। और यह जो हम नाम लेते हैं ना मिलावटी दूध या कैमीकल दूध -----मुझे इस पर बहुत आपत्ति है, यह काहे की मिलावट जो लोगों को धीमे धीमे मार रही है , रोज़ उन का थोड़ा थोड़ा कत्ल कर रही है ---जो लोग इस ज़हरीले दूध का धंधा कर रहे हैं क्या वे सब के सब आतंकवादी नहीं है, इस तरह के आतंकवादियों का क्या होगा ?
आप सब जानते हैं कि इस तरह के कैमीकल्स से लैस दूध में वे सब चीज़े डाली जा रही हैं जो कि आप की और मेरे सेहत से रोज़ खिलवाड़ कर रही है लेकिन यह एके47 से निकली गोली जैसी नहीं जिस का प्रभाव तुरंत नज़र आ जाये ---- तरह तरह की भयंकर पुरानी ( Chronic illnesses) बीमारियां, छोटी छोटी उम्र में गुर्दे फेल हो रहे हैं, लिवर खराब हो रहे हैं, तरह तरह के कैंसर धर दबोचते हैं, लेकिन इस तरह का आतंक फैलाने वालों की कौन खबर ले रहा है ? ----- शायद मेरा वह जर्नलिस्ट बंधु जो ऐसी किसी खबर को सुबह से शाम तक बार बार टीवी पर चीख चीख कर लोगों को आगाह करता रहता है लेकिन कोई सुने भी तो !!
हर कोई यह समझता है कि यह तो खबर है , दूध के बारे में जितने पंगे हो रहे हैं वे तो लोगों के साथ हो रहे हैं, हमें क्या ? अपना तो सब कुछ ठीक चल रहा है । बस, यही हम लोग भूल कर बैठते हैं।
पिछले कुछ हफ्तों से मैंने इस टॉपिक पर काफी रिसर्च की है ---- लेकिन मुझे मेरे इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिला कि किसी भी आम आदमी के घर में जो दूध आ रहा है क्या वह विश्वास से यह कह सकता है कि उस में कोई इस तरह की ज़हर ---यूरिया, शैंपू या कोई और कैमीकल नहीं मिला हुआ। आज कल मेरी खोज कुछ ऐसा ढूंढने में लगी है कि कोई ऐसा मामूली सा टैस्ट हो जिसे कोई भी आम आदमी एक-दो मिनट में अपने घर में ही कर के यह फैसला कर ले कि आज सुबह जो दूधवाला दूध दे कर गया है उस में यूरिया, शैंपू , बाहर से मिलाई गई तरह तरह की अजीबोगरीब चिकनाई तो नहीं है जो कि उसे पीने वालों के लिये बहुत सी बीमारियां ले कर आ जायेगी। अगर, किसी ऐसे टैस्ट का जुगाड़ हो जाये तो ग्राहक भी तुरंत फैसला कर ले दूध उस के बच्चे के पीने लायक है या फिर बाहर नाली में फैंकने लायक।
पिछले हफ्तों में मैंने बहुत ही डेयरी संस्थानों की वेबसाइटें छान डालीं ----लेकिन मेरा बस एक प्रश्न वैसा का वैसा ही बना हुआ है ---कि कोई तो ऐसा घरेलू टैस्ट हो जिसे कोई भी दो-चार रूपये में एक दो मिनट में कर ले और यह पता लगा ले कि क्या दूध में कोई ज़हरीले कैमीकल्स तो नहीं मिले हुये ------पानी वानी की चिंता तो छोड़िये, उस की तो सारे देश को ही आदत सी पड़ चुकी है।
अभी मेरी खोज जारी है---- कुछ न कुछ तो ढूंढ ही लूंगा, क्योंकि मैं इस विषय के बारे में बहुत ही ज़्यादा सोचता हूं। पिछले दिनों तो हद ही हो गई ----आपने भी खबर तो देखी होगी कि सातारा में कोई मैट्रिक फेल आदमी एक ऐसा कैमीकल तैयार करने लग गया जो कि वह 70 रूपये किलो बेचता था ---- और इस एक किलो कैमीकल से 30 किलो दूध तैयार किया जा सकता है ----खबर थी इस तरह के कैमीकल से तैयार लाखों टन लिटर दूध बाज़ार में सप्लाई हो चुका था। लेकिन इस पावडर की यह विशेषता बताई जा रही थी कि यह दूध की गुणवता जांचने वाले सभी तरह के टैस्ट पास कर रहा था यानि कि कोई टैस्ट यह ही नहीं बता पाता था कि इस तरह से तैयार दूध में किसी तरह की कोई मिलावट भी है !! कितनी खतरनाक स्थिति है !!
लेकिन क्या है , हम सब इस तरह की इतनी खबरें देख-सुन चुके हैं कि अब यह सब कुछ भी नहीं लगता ----- हम ज़िदा ही हैं ना, let’s pinch ourselves and assure ourselves that we are very much alive !!
Prevention of Food Adulteration नामक कानून से संबंधित आंकड़े कहां से मिलेंगे ? ---यह जानकारी तो अपने मित्र दिनेशराय जी द्विवेदी जी ही दे पायेंगे --- पता नहीं मुझे इन दिनों इस के आंकड़े जानने का इतना ज़्यादा भूत क्यों सवार है कि कितने लोगों को इस कानून के अंतर्गत कितने कितने लंबे समय की सज़ा हुई ? ---- इस के बारे में कोई वेब-लिंक हो तो मुझे बताईयेगा।
पोस्ट को बंद करते वक्त बस यही अनुरोध है कि दूध एवं दूध के उत्पादनों से बहुत ज़्यादा सचेत रहा कीजिये ----- आप को भी अब तो लग ही रहा होगा कि काश कोई तो ऐसा टैस्ट हो जो हमें बता सके कि घर में जो दूध आया है वह यूरिया एवं अन्य कैमीकल रहित है। इस के लिये किसी लंबे-चौड़े टैस्ट की कोई गुंजाईश नहीं है ---टैस्ट बिल्कुल सुगम और सादा हो, सस्ता हो, स्वदेशी हो और इस देश की आम जनता की पहुंच में हो।
P.S……1. हम लोग मुंबई में लगभद दस साल सर्विस में रहे ---अब लगता है कि जो दूध वहां पर भी इस्तेमाल किया वह सब मिलावटी ही था ---- उस दूधवाले से चौबीस घंटे जितना चाहे दूध आप लेकर आ सकते थे -----हम तब सोचा करते थे कि यह दूध दही की नदियां पंजाब की बजाए अब बंबई में बहने लगी हैं क्या !!
2. उस के बाद जब हमारी नौकरी फिरोज़पुर पंजाब में लगी तो वहां पर एक मशहूर डेयरी वाला इस लिये बहुत मशहूर था कि वह तो गांव से दूध लाने वालों को उस दूध में फैट की मात्रा देख कर भुगतान करता है ---वह सब दूध वालों के दूध का सैंपल भर कर रोज़ाना उन में एक इंस्ट्रयूमैंट लगा छोड़ता है ----इस से उसे फैट के प्रतिशत का पता चल जाता था ----लेकिन अब सोचता हूं कि क्या कुछ कैमीकल वगैरह से इस फैट को बढ़ाना कोई मुश्किल काम है ?
शिक्षा ---- तो, साथियो, आज के पाठ से हम ने क्या सीखा ------गोलमाल है भई सब गोलमाल है।
रोटी, कपड़ा और मकान का यह गीत भी तो कुछ यही कह रहा है -----पावडर वाले दुध दी मलाई मार गई, बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई !!
6 comments:
See here or here
Don't click there.. 99% chance of Virus.. :)
holi me khushi manaaiye... virus ka gam na paalen.. :D
ek baat to bhul hi gaya..
Holi mubarak ho Dr. sahab.. :)
होली आप को भी बहुत बहुत मुबारक़ !
आपको होली की हार्दिक शुभकामनाए।
कृपया नोट करें कि जैसे डियर PD ने हमें सचेत किया है...इस पोस्ट में कोई वॉयरस नहीं है , केवल एक Kagahn नामक id से जो कमैंट आया है उस पर क्लिक न करने को कहा गया है। वैसे मैं सोचता हूं कि अब जैसे जैसे हिंदी की प्रयोग इंटरनैट पर बढ़ेगा,ये सब चीज़ें भी , ये सब शरारतें, सैडिस्टिक हरकतें भी बढ़ेंगी....इसलिये इन की क्या परवाह करनी । वैसे आज तो पीडी की एडवाइस ने बचा लिया।
@मीत जी, आप को भी बहुत बहुत होली मुबारक, आशा है अब आप की अक्कू आप के साथ होली का हुड़दंग मचाने के लिये बिल्कुल फिट हो गई होंगी। बॉय गाड, उस दिन आप की पोस्ट बहुत टचिंग थी, शायद हम सब ने ही अक्कू के शीघ्र स्वास्थय लाभ की प्रार्थना कर डाली होगी।
@ पंकज अवधिया जी, आप के लिये एक काम है..कृपया इसी बलोग पर पिछली पोस्ट...रंगों का त्योहार न लाये.....ज़रूर देखें। आप को भी होली की बहुत बहुत शुभकामनायें....आप सब बलोगर बंधुओं की पोस्टें पढ़ता रहता हूं .....लेकिन बस बात ही नहीं हो पाती।
@PD, I am very thankful to you for your timely help. May God bless you...today I went to your blog reg..telephonic conversation but the comment box never opened up. It was a nice post.....आज होली की पूर्व-संध्या पर आप ने अपने बचपन के कॉमिक्स को याद कर लिया...अच्छा है। खुश रहो।
@अरे भईया Kagahn तेरा भी बहुत बहुत शुक्रिया...तूने की तो बहुत शरारत...लेकिन तेरी इस शरारत ने भी हम लोगों को बहुत सिखा दिया ..वह यह कि किसी भी अनजान बंदे की टिप्पणी पर किसी लिंक को क्लिक करने की कोशिश मत करो।
एक तो यह जब से बलोगिंग की है, बच्चे पास ही बैठे रहते हैं.....और इस समय डायलाग मार रहे हैं कि बापू, कमैंट को मार रहा है, इतना ही लिखना है तो एक पोस्ट ही लिख डाल।
सो, अब बंद करता हूं।
शुभकामनायें।
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