शनिवार, 8 नवंबर 2008

बहुत ही ज़्यादा आम है मसूड़ों से खून आना

मसूड़ों से खून निकलना एक बहुत ही आम समस्या है और कोई जो भी मरीज़ इस समस्या से परेशान होता है उस की उम्र जितनी कम होती है मेरा प्रायरटी उसे एक-दम फिट करने की उतनी ही ज़्यादा बढ़ जाती है क्योंकि मसूड़ों की सूजन की जितनी प्रारंभिक अवस्था में रोक दिया जाये उतना ही बढ़िया होता है।

वैसे तो मसूड़ों से खून आने के बीसियों कारण हैं लेकिन सब से अहम् एवं सब से महत्वपूर्ण कारण है –दांतों एवं मसूड़ों पर गंदगी जमा होने की वजह से मसूड़ों पर सूजन आ जाना जिस की वजह से मरीज़ के मसूड़ों से थोड़ा सा टच करने पर ही खून आने लगता है।

अकसर ऐसे मरीज़ आ कर कहते हैं कि जैसे ही वे ब्रुश करते हैं मसूड़ों से खून आने लगता है। कईं बार तो लोग इसी चक्कर में ब्रुश करना ही छोड़ देते हैं और अंगुली से दांत साफ़ करने की कोशिश में अपने रोग को और बढ़ावा देते रहते हैं।

यह जो मैंने शुरू शुरू में लिखा कि जितनी मरीज़ की उम्र कम होती है मेरी उसे ठीक करने की उतनी ही ज़्यादा प्राथमिकता होती है। ऐसा इसलिये है क्योंकि प्रारंभिक अवस्था में यह मसूड़ों की सूजन पूरी तरह से रिवर्सिबल होती है अर्थात् इलाज करने से यह पूरी तरह से ठीक हो जाती है और अगर ब्रुश को ठीक ढंग से करना शुरू कर दिया जाये तो भविष्य में भी यह दोबारा होती नहीं ,लेकिन डैंटिस्ट के पास हर छःमहीने में एक बार तो चैक-अप करवा ही लेना चाहिये।

बच्चे इस समस्या के साथ कि उन्हें मसूड़ों से खून आता है काफी कम मेरे पास अभी तक आये हैं –कभी कभार कुछ दिनों के बाद एक –दो बच्चे आ ही जाते हैं और ये बच्चे अकसर 13-14 साल के ही होते हैं।

अगली उम्र है – कालेज के छात्र-छात्रायें----ये 19-20 की अवस्था है , बच्चे अपनी शकल-सूरत की तरफ़ कुछ ज़्यादा ही कांशियस से हो जाते हैं ( वैसे मैं भी कहां भूला ही अपने इन दिनों को जब बीसियों बार आइना देखा करता था और उतनी ही बार बालों में हाथ फेर कर .....!! ) ---और मसूड़ों से खून आये या नहीं , अगर उन्हें गंदगी सी जमा दिखती है, जिसे टारटर कहते हैं, तो वो डैंटिस्ट के पास क्लीनिंग के लिये आ ही जाते हैं.------उन के दांतों की स्केलिंग एवं पालिशिंग कर दी जाती है और ब्रुश करने का सही ढंग उन्हें सिखा दिया जाता है ताकि वे भविष्य में ऐसी किसी परेशानी से बचे रह सकें।

अगली स्टेज है अकसर शादी से पहले आने वालों की ---अर्थात् उन की समस्या है कि एक तो उन के मसूड़ों से खून आता है और दूसरा मुंह से बदबू आती है । इन सब का ट्रीटमैंट करना भी एक अच्छी खासी प्रायरटी ही होती है।

अगली स्टेज है शादी के बाद आने वालों की ----कुछ नवविवाहित जोड़े जब डैंटिस्ट के पास जाते हैं तो अधिकांश की एक ही समस्या होती है कि मुंह से बदबू आती है ----चैक अप करने के बाद वही समस्या निकलती है कि मसूड़ों की सूजन और दांतों एवं मसूड़ों पर जमा गंदगी। एक –दो सीटिंग्ज़ में ही पूरा इलाज हो जाता है और आगे के लिये इस तरह की प्राबल्म न हो, इस के संकेत भी दे दिये जाते हैं।

अगली बात करते हैं ---गर्भावस्था की ---इस स्टेज में बहुत ही महिलाओं को मसूड़ों से खून आने लगता है लेकिन वे समझती हैं कि सब कुछ अपने आप ठीक हो जायेगा , इसलिये वे डैंटिस्ट के पास जाती नहीं हैं और बिना वजह अपने दांतों एवं मसूड़ों की तकलीफ़ को बढ़ावा दे डालती हैं।

बस ऐसे ही बहुत से लोग अकसर बिना किसी इलाज के चलते रहते हैं----इलाज कुछ नहीं, ऊपर से गुटखा, पान, तंबाकू-खैनी अपना कहर बरपाती रहती है ----वे लोग खुशनसीब होते हैं जो कि मसूड़ों की बीमारी को प्रारंभिक अवस्था में ही पकड़ लेते हैं क्योंकि अकसर मैंने देखा है कि जो लोग डैंटिस्ट के पास चालीस-पैंतालीस या यूं कह लूं कि चालीस के आस-पास की उम्र में जाते हैं उन में यह रोग बढ़ चुका होता है ----मसूड़ों की सूजन अंदर जबड़े की हड्डी तक पहुंच ही चुकी होती है, मसूड़ों से पीप आने लगती है, दांत हिलने लगते हैं , दांत अपनी जगह से हिल जाते हैं, चबाने में दिक्कत आने लगती है, ठंडा-गर्म बहुत ज़्यादा लगने लगता है ----अकसर इस अवस्था में इलाज बहुत लंबा चलता है---मसूड़ों की सर्जरी भी करनी पड़ती है।

और इतना लंबा ट्रीटमैंट मैंने देखा है या तो 99 प्रतिशत (इच्छा तो हो रही है कि 99.9 प्रतिशत ही लिखूं)—अफोर्ड ही नहीं कर पाते –कारण कुछ भी हो- वे इस इलाज के लिये तैयार ही नहीं हो पाते और दूसरा कारण यह है कि इस इलाज के जो खास स्पैशलिस्ट होते हैं उन की संख्या भी बहुत कम है। वैसे तो सामान्य डैंटिस्ट भी इस तरह का इलाज करने में सक्षम होते हैं लेकिन पता नहीं मैंने देखा है कि मरीज़ ही तैयार नहीं होते ----बस, दांतों एवं मसूड़ों पर जमी हुई गंदगी को साफ कर दिया जाता है और शायद इस से मरीज़ के दांतों की उम्र थोड़ी बढ़ जाती होगी ----लेकिन जब तक इस तरह के पायरिया के मरीज़ों की नीचे से मसूड़ों के अंदर से पूरी तरह क्लीनिंग नहीं होती है, पूरा इलाज हो नहीं पाता ।

बस, बहुत से लोगों में यूं ही चलता रहता है, धीरे धीरे दांतों का उखड़वाने के लिये नंबर लगता है- एक के बाद एक ---और बाद में नकली डैंचर लगवा लिया जाता है।

यह पोस्ट लिखने का केवल एक ही उद्देश्य है कि हमें मसूड़ों से खून निकलने को कभी भी लाइटली नहीं लेना चाहिये और तुरंत इस का इलाज करवा लेना चाहिये ।और यकीन मानिये, दांतों की स्केलिंग से दांत न ही कमज़ोर पड़ते हैं, न ही हिलते हैं और न और कोई और नुकसान ही होता है-----केवल इस से फायदे ही फायदे होते हैं। इसलिये अभी भी समय है कि हम इन पुरातन भ्रांतियों से ऊपर उठ कर समय रहते अपना उचित इलाज करवा लिया करें ।

2 टिप्‍पणियां:

  1. सही कह रहे हैं. यह बहुत आम देखा जाता है. आभार आपने जानकारी दी.

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  2. बहुत अच्छी जानकारी दी है आप ने.
    धन्यवाद

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