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इस युवक के मुंह की तस्वीर.. |
कल मेरे पास एक २१ वर्ष के लगभग आयु का युवक आया। मुंह में कोई समस्या थी। मुझे लगा कि गुटखा-पान मसाला खूब खाया जा रहा है।
पूछने पर उसने बताया कि मैंने खाया तो खूब बहुत वर्षों तक ..लेकिन पिछले ६-७ वर्षों से सब कुछ छोड़ दिया है। ऐसे लोगों से मिल कर बहुत खुशी होती है जो अपने बल-बूते पर इस ज़हर को ठोकर मार देते हैं। उस के इस प्रयास के लिए मैंने उस की पीठ भी थपथपाई।
ऐसे मरीज़ मेरे पास कम ही आते हैं जो कहें कि इतने वर्षों से गुटखा-पानमसाला छोड़ रखा है। मुझे जिज्ञासा हुई कि इस से पूछें तो सही कि कैसे यह संभव हो पाया।
उस ने बताया कि गुटखा-पानमसाला उसने स्कूल के दिनों से ही खाना शुरू कर दिया था और मैट्रिक तक खूब खाया--लगभग दस पैकेट रोज़। लेकिन एक दिन उसने बताया कि उस के पिता जी को पता चल गया ...बस फिर छूट गया यह सब कुछ।
मैंने ऐसे ही पूछ लिया कि पिता जी ने धुनाई की होगी........कहने लगा ...नहीं, नहीं, उन्होंने मुझे बड़े प्यार से उस दिन समझा दिया कि इस सब से ज़िंदगी खराब हो जायेगी। और बताने लगा कि उस दिन के बाद से पिता जी ने मुझे अपने पास ही सुलाना शुरू कर दिया।
दो-चार मिनट तक ये बातें वह बता रहा था। पता नहीं मुझे कुछ ठीक सा नहीं लगा, उस का मुंह के अंदर की तस्वीर उस की बात से मेल खा नहीं रही थी। मैं भी थोड़े असमंजस की स्थिति में था कि सात वर्ष हो गये हैं गुटखा छोड़े इस को लेकिन मुंह की अंदरूनी सेहत तो अब तक ठीक हो जानी चाहिए।
यह बात बिल्कुल सत्य है कि मुझे कल कोई ऐसा मिला जिसने अपने आत्मबल के कारण गुटखा त्याग दिया था।
लेकिन मैं गलत साबित हुआ। पता नहीं उसे किस बात ने प्रेरित किया कि अचानक कहने लगा कि बस, डाक्टर साहब, मैं कभी कभी बस तंबाकू रख लेता हूं। मेरा माथा ठनका।
पूछने पर उसने बताया कि १४-१५ वर्ष की अवस्था से अर्थात् छः-सात वर्ष से उसने गुटखा तो छोड़ ही रखा है, कभी लिया ही नहीं ...लेकिन अभी कुछ डेढ़ साल के करीब वह इलाहाबाद अपने अंकल के पास गया है जो कि वहां पर एक उच्चाधिकारी हैं....वहां रहकर वह सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहा है। बस, वहां रहते रहते अन्य साथियों की देखा देखी ...बस, फ्रस्ट्रेशन दूर करने के लिए (जी हां, उस ने इसी शब्द का इस्तेमाल किया था) जैसे दूसरे लड़के लोग तंबाकू चबा लेते थे मैंने भी चबाना शुरू कर दिया है।
और वह एक बात बड़े विश्वास से कह रहा था कि गुटखे छोड़े रखने के लिए ही उसने तंबाकू चबाना शुरू किया है। मुझे लगा कि यह कैसा इलाज है। उसने बताया कि वह जो तंबाकू इस्तेमाल करता है उस में चूना भी मिला रहता है और गुटखे छोड़ने के लिए बहुत बढ़िया है।
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गुटखे की आदत से मुक्ति दिलाने का दावा करता यह तंबाकू |
मेरे कहने पर उसने वह तंबाकू का पैकेट मुझे जेब से निकाल कर दिखाया। आप इसे देखिए कि किस तरह से ये कंपनियां देश के लोगों को बेवकूफ़ बना कर लूट रही हैं ... धिक्कार है इन सब पर जिस तरह से ये देश की सेहत के साथ खिलवाड़ किये जा रही हैं, आप की जानकारी के लिए इस पैकेट की कुछ तस्वीरें मैं यहां लगा रहा हूं....आप भी देखिए कि किस तरह से पैकिंग पर ही कितना बोल्ड लिखा गया है .. गटुखा छोड़ने का उत्तम उपाय... चूना मिश्रित तंबाकू--- दुर्गंध एवं झंझट से मुक्ति।
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उसी तंबाकू के पैकेट पर यह भी लिखा पाया... |
इस तरह की बातें किसी पैकेट के ऊपर लिखा पाया जाना कि इस तंबाकू को खाने के बाद मुंह से दुर्गंध नहीं आती है ..इसके सेवन से गुटखे की आदत से अतिशीघ्र मुक्ति मिल सकती है। गंभीर बात यह भी है कि ठीक ठाक पढ़े युवक -यह युवक भी ग्रेजुएट है...अगर इस तरह की बातों में आकर गुटखे को छोड़ कर तंबाकू चबाने लगते हैं तो फिर उस इंसान की कल्पना करिए जो न तो पढ़ना जानता है ...और न ही उस की कोई कोई आवाज़ है, बस हाशिये पर जिये जा रहा है।
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गुटखा छोड़ने का जानलेवा उपाय |
हां, उस लड़के को मैंने इतना अच्छा से समझा दिया कि यह बात तो तुम ने पैकेट पर लिखी देख ली कि यह गुटखा छोड़ने का उत्तम उपाय है ...जो कि सरासर कोरा झूठ है... लेकिन तुम ने पैकेट की दूसरी तरफ़ यह कैसे नहीं देखा... तंबाकू जानलेवा है और एक कैंसर से ग्रसित मरीज़ के मुंह की तस्वीर (चाहे वह इतनी क्लियर नहीं है) भी पैकेट पर ही छपी है। उसे मैंने समझा तो दिया कि ऐसे सब के सब उत्पाद मौत के खेल के सामान हैं ...।
लगता था वह समझ गया है, कहने लगा कि आज के बाद इसे भी नहीं छूयेगा... और बाहर जाते जाते वहीं कूड़दाने में उस पैकेट को फैंक गया। मुझे लगा मेरी पंद्रह मिनट की मेहनत सफ़ल हो गई। अभी आता रहेगा अपने इलाज के लिए मेरे पास...तीन चार बार... देखता हूं कि वह इस ज़हर से हमेशा दूर रह पाए।
इस पोस्ट में स्वास्थ्य से संबंधित ही नहीं ..अन्य सामाजिक संदेश भी है....किस तरह से बाप के प्यार ने, उसे पास सुलाने से उस ने गुटखा तो छोड़ दिया....लेकिन करीबी रिश्तेदार के यहां जाकर फिर वह तंबाकू चबाने लगा......वहां शायद उसे किसी ने रोका नहीं होगा....मतलब आप समझ ही गये हैं।
मैं इस तरह की कंपनियां के ऐसे भ्रामक विज्ञापन देखता हूं , एक तरह से पैकेट में बिकता ज़हर देखता हूं तो मुझे इतना गु्स्सा आता है कि मैं उसे पी कर ही मन ममोस कर रह जाता हूं लेकिन ये मुझे इस तंबाकू-गुटखे-पानमसाले के विरूद्ध जंग को और प्रभावी बनाने के लिए उकसा जाते हैं।
मुझे लगता है कि हम डाक्टरों के संपर्क में आने के बाद भी अगर लोग तंबाकू, गुटखा, पानमसाला नहीं छोड़ पाएं तो फिर कहां जा कर छोड़ पाएंगे, हमें इन के साथ बार बार गहराई से बात करनी ही होगी। ऐसे कैसे हम इन कमबख्त कंपनियां को जीतने देंगे, अपना युवा वर्ग हमारे देश की पूंजी है.......कैसे हम उन्हें इन का शिकार होने देंगे। अगर कोई व्यक्ति मेरे पास कईं बार आ चुका है और वह अभी भी इस तरह की जानलेवा चीज़ों से निजात नहीं पा सका है तो मैं इसे अपनी असफलता मानता हूं.....यह मेरा फेल्योर है....ये दो टके की लालची कंपनियां क्या डाक्टरों से आगे निकल गईं, हमारे पास समझाने बुझाने के बहुत तरीके हैं, और हम लोग पिछले तीस वर्षों से कर ही क्या रहे हैं, बस ज़रूरत है तो उन तरीकों को कारगार ढंग से इस्तेमाल करने की..........इस सोच के साथ कि जैसे इस तरह का हर युवक अपने बेटा जैसे ही है, अगर हम १०-१५ मिनट की तकलीफ़ से बचना चाहेंगे तो इस की सेहत तबाह हो जायेगी। मैं नहीं जानता निकोटीन च्यूईंग गम वम को... मैं ना तो किसी को इसे लेने की सलाह दी है ...इस के कईं कारण हैं, वैसे भी अपने दूसरे हथियार अच्छे से काम कर रहे हैं, मरीज़ अच्छे से बात सुन लेते हैं, मान लेते हैं तो क्यों फिर क्यों इन सब के चक्कर में उन्हें डालें?
बस अपना कर्म किये जा रहे हैं, इन युवाओं की सेहत की रक्षा हो पाने के रूप में फल भी मिल ही रहा है.......मैंने उसे इतना भी कहा कि अगर इस तरह के दांतों के साथ तुम कोई भी कंपीटीशन की परीक्षा देने के बाद इंटरव्यू में जाओगे तो इस का क्या परिणाम क्या हो सकता है, तुम स्वयं सोचना। कुछ बातें साक्षात्कार लेने वाले रिकार्ड नहीं करते लेकिन ये सब बातें उम्मीदवार के मूल्यांकन को प्रभावित अवश्य करती हैं, आप क्या सोचते हैं ...क्या ऐसा होता होगा कि नहीं?
सुबह से लेकर रात सोने तक सारे चैनलों पर आम आदमी पार्टी एवं अन्य पार्टीयों की छोटी छोटी बातें ...कौन कितना खांसता है, कौन खांसने का बहाना करता है, किस ने एक साइज बड़ी कमीज़ डाली है, किस ने मफलर कैसे लपेटा, कौन दफ्तर से निकल कर महिला आयोग पहुंचा कि नहीं, राखी सावंत कैसे चलाती दिल्ली सरकार..........सारा दिन बार बार वही दिखा दिखा कर...उत्तेजित स्वरों में बड़ी बड़ी बहसें.............इन सब के बीच कुछ कंपनियां किस तरह से ज़हर बेच बेच कर अपना उल्लू सीधा किए जा रही हैं, उन की खबर कौन लेगा?